Speech of Hon’ble Governor of Punjab and Administrator of U.T., Chandigarh on the occasion of Anti Drug Awareness Campaign at CII, Sector-31, Chandigarh on 11.07.2025.

Punjab Unaided Colleges Association द्वारा ‘नशा विरोधी जागरूकता अभियान’ के शुभारंभ पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 11.07.2025,  शुक्रवारसमयः दोपहर 12:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

         

नमस्कार!

मैं आज इस सार्थक और समय अनुकूल पहल, ‘‘नशा विरोधी जागरूकता अभियान’’ के शुभारंभ के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष और संतोष का अनुभव कर रहा हूँ।

मैं Punjab Unaided Colleges Association (PUCA) को इस सराहनीय प्रयास के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ, जिसने यह संकल्प लिया है कि वह अपने सभी शैक्षणिक संस्थानों में "Zero Tolerance" की नीति अपनाकर नशे के खिलाफ निर्णायक संघर्ष छेड़ेगा।

मेरा मानना है कि यह अभियान पंजाब भर के युवाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अपार क्षमता रखता है जिसका उद्देश्य युवाओं में नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाना है। 

मैं इस उद्देश्य के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए आर्यन्स ग्रुप के चेयरमैन और PUCA के अध्यक्ष अंशु कटारिया जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। 

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि PUCA ने अपने साथ जुड़े पंजाब के लगभग 250 कॉलेजों को इस अभियान से जोड़ते हुए ऐसा वातावरण तैयार करना है जहाँ ड्रग्स के लिए कोई स्थान न हो, न सोच में, न व्यवहार में, न संस्कृति में।

देवियो और सज्जनो,

हम सब जानते हैं कि नशा एक ऐसा धीमा ज़हर है, जो शरीर को तो नुकसान पहुंचाता ही है, साथ ही व्यक्ति की सोच, आत्मा और भविष्य को भी नष्ट कर देता है।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘शक्ति की साधना करो, आत्मविश्वास रखो, और जीवन को सार्थक बनाओ।’’ नशा इस साधना को नष्ट करता है और आत्मविश्वास को छीन लेता है।

नशीले पदार्थों का सेवन केवल एक व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है; यह एक सामाजिक समस्या है जो परिवारों, समुदायों और पूरे राष्ट्र को प्रभावित करती है। इससे रिश्तों में दरार आती है, उत्पादकता में कमी आती है और हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर भारी बोझ पड़ता है। 

नशीले पदार्थों का सेवन आज हमारे हमारे युवा वर्ग के समक्ष एक गंभीर संकट के रूप में खड़ा है, जो राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी शक्ति है, वह इस घातक प्रवृत्ति का शिकार बन रहा है। यदि हम समय रहते इस चुनौती का सामना नहीं करेंगे, तो यह हमारी भविष्य की पीढ़ियों को अंधकार में धकेल सकती है।

साथियो,

जब कोई युवा नशे के जाल में फँसता है, तो उसका परिवार, उसका भविष्य और अंततः राष्ट्र की संभावनाएँ भी प्रभावित होती हैं। ऐसे में, शिक्षा संस्थानों की भूमिका केवल ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं रह सकती, उन्हें एक नैतिक दायित्व निभाना होगा, एक दिशा दिखाने वाली शक्ति बनना होगा।

मैं विशेष रूप से इस मंच से यहां मौजूद विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के कुलपतियों, अध्यक्षों, निदेशकों और प्राचार्यों से कहना चाहता हूँ कि आपके संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र केवल डिग्री प्राप्त करने नहीं आते, वे जीवन का रास्ता तलाशने आते हैं। यदि हम उन्हें नशे जैसे आत्म-विनाशकारी मार्ग से बचा पाए, तो यही हमारी सबसे बड़ी शैक्षिक उपलब्धि होगी।

हमारा लक्ष्य है, एक नशा मुक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर पंजाब। और इस लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग आप सबकी सक्रिय भागीदारी और प्रेरक नेतृत्व से होकर ही जाता है।

आज समय की सबसे बड़ी मांग यह है कि हम अपने सभी शैक्षणिक संस्थानों को ‘ड्रग-फ्री ज़ोन’ के रूप में घोषित करें, ऐसे स्थान जहाँ केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, चरित्र और चेतना का भी विकास हो। 

हमें छात्रों को यह समझाने की आवश्यकता है कि नशा थोड़े समय की राहत का भ्रम है, लेकिन दीर्घकालिक विनाश का कारण है। इसलिए, हमें शिक्षा को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित न रखकर उसे मूल्य आधारित बनाना होगा, जिसमें चरित्र निर्माण, नैतिक सोच और सामाजिक चेतना का समावेश हो।

हमें संस्थानों में नियमित रूप से परामर्श सत्र, स्वास्थ्य एवं मानसिक कल्याण पर कार्यशालाएँ, नशामुक्ति जागरूकता अभियान, खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ, और खुला संवाद का वातावरण सुनिश्चित करना होगा।

साथ ही हमें चाहिए कि हम हमारी नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से अमल में लाएं जोकि पाठ्यक्रम में नैतिक और सामाजिक मूल्यों, खेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कौशल विकास पर जोर देती है। 

हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक उद्देश्य हमारे बच्चों को संपूर्ण व्यक्तित्व वाला, जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक बनाना है।

यह नीति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाने पर बल देती है, बल्कि यह शिक्षा को रोज़गारोन्मुख, कौशल-आधारित और मूल्यपरक बनाने की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है।

यह नीति हमारे युवाओं को न केवल शैक्षणिक रूप से समृद्ध बना रही है, बल्कि उन्हें संवेदनशील, नैतिक और जागरूक नागरिक बनाने में भी निर्णायक भूमिका निभा रही है, जो विकसित भारत 2047 के निर्माण में अपना योगदान देने में सक्षम होंगे।

साथियो,

मैं युवा शक्ति पर जोर इसलिए दे रहा हूँ ताकि यह बात लोगों तक पहुँच सके कि नशीले पदार्थों के सेवन का खतरा हर जगह फैल चुका है और हमारे युवाओं को अपनी गिरफ़्त में ले रहा है। 

ऐसे कई छात्र हैं जो मौज-मस्ती या कई अन्य कारणों से ड्रग्स का सेवन करते हैं। शुरुआत में छात्रों को ड्रग्स मुफ़्त में बेची जाती है और धीरे-धीरे जब उन्हें इसकी लत लग जाती है, तो वे इसे खरीदना और सेवन करना शुरू कर देते हैं। दरअसल, छात्र भी अंततः उनके नेटवर्क का हिस्सा बन जाते हैं और इसका कारोबार करना शुरू कर देते हैं।

दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनेक छात्र यह समझ नहीं पाते कि नशीले पदार्थों का सेवन उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कितने गंभीर और दूरगामी दुष्प्रभाव डाल सकता है। 

इसके कारण उन्हें मानसिक असंतुलन, एकाग्रता में कमी, स्मरणशक्ति का क्षरण, व्यवहार संबंधी विकार और कई बार कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियाँ हो सकती हैं। 

इसलिए, मैं सभी छात्रों से अनुरोध करता हूँ कि वे नशीले पदार्थों के सेवन से पूरी तरह दूर रहें, इससे पहले कि यह उनके स्वास्थ्य और भविष्य को नष्ट कर दे।   

युवाओं को यह गहराई से समझना चाहिए कि जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है, जिसे किसी भी स्थिति में नशे की भेंट नहीं चढ़ाना चाहिए।

युवा पीढ़ी को आत्म-विनाश की ओर ले जाने वाले इन खतरनाक रास्तों से दूर रखकर रचनात्मकता, सकारात्मकता और आत्मनिर्माण की दिशा में प्रेरित किया जाए, ताकि वे न केवल अपना जीवन संवार सकें, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान दे सकें।

देवियो और सज्जनो,

आज जब मैं पंजाब के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के सम्माननीय कुलपति, अध्यक्ष, निदेशक, प्राचार्य एवं विद्वान शिक्षकों के समक्ष खड़ा हूँ, तो मैं आप सभी से कहना चाहता हूँ कि आप अपने-अपने संस्थानों में NAAC मूल्यांकन एवं प्रत्यायन को अपनाएँ।

यह केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि आपके संस्थान की गुणवत्ता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का प्रमाण है। यह न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि विद्यार्थियों, अभिभावकों और समाज के प्रति संस्थान की विश्वसनीयता को भी सशक्त करता है।

‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्’ (NAAC) को अपनाकर आप अपने संस्थान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला सकते हैं। यह नवाचार, अनुसंधान, और अकादमिक उत्कृष्टता के नए द्वार खोलता है। यह आत्ममूल्यांकन की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो संस्थान को अपनी कमजोरियों को पहचानने और उन्हें दूर करने में सक्षम बनाता है।

मैं आप सभी से अपेक्षा करता हूँ कि आप इस दिशा में गंभीर, सक्रिय और प्रेरक भूमिका निभाएँ, ताकि पंजाब के शैक्षणिक संस्थान गुणवत्ता की मिसाल बन सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान, नैतिकता और नवाचार का आदर्श केंद्र स्थापित कर सकें।

देवियो और सज्जनो,

आज जब हम नशा विरोधी अभियान की शुरुआत कर रहे हैं, यह उल्लेख करना अत्यंत प्रासंगिक है कि भारत सरकार द्वारा ‘‘नशा मुक्त भारत अभियान’’ के रूप में एक प्रभावशाली और संगठित प्रयास पहले से ही देशभर में चलाया जा रहा है। 

इसका उद्देश्य युवाओं और नागरिकों को नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और समाज को नशामुक्त बनाना है। यह अभियान विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों और समुदायों में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से लोगों तक पहुँच बनाने पर विशेष बल देता है।

अब तक इस अभियान के तहत 15.78 करोड़ से अधिक लोगों को जागरूक किया जा चुका है, जिनमें 5.26 करोड़ युवा और 3.31 करोड़ महिलाएँ शामिल हैं। 4.31 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थानों और 20,000 से अधिक प्रशिक्षित मास्टर वालंटियर्स की भागीदारी ने इस आंदोलन को जमीनी स्तर तक प्रभावी रूप से पहुँचाया है।

‘‘नशा मुक्त भारत अभियान’’ ने तकनीक का भी प्रभावी उपयोग किया है। मोबाइल ऐप, सोशल मीडिया, और वेबसाइट के माध्यम से गतिविधियों का समन्वय और जागरूकता सुनिश्चित की जा रही है। अब तक 1.67 करोड़ से अधिक छात्र 99,595 शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से ऑनलाइन शपथ लेकर इस अभियान से जुड़ चुके हैं।

इसके अतिरिक्त, ‘नशे से आज़ादी’, ‘नया भारत, नशा मुक्त भारत’, और ‘एनसीसी के साथ संपर्क’ जैसे कार्यक्रमों तथा आध्यात्मिक-सामाजिक संगठनों के सहयोग से यह अभियान एक व्यापक जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया है। 

मुझे विश्वास है कि इस अभियान से एक नई चेतना जन्म लेगी और हम मिलकर पंजाब को एक नशा मुक्त राज्य बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे, जहाँ हर युवा फल-फूल सकता है और अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकता है।

मैं PUCA के अध्यक्ष डॉ. अंशु कटारिया जी और उनकी पूरी टीम को इस जनहितैषी अभियान के लिए पुनः बधाई देता हूँ। आप सभी के सक्रिय सहयोग और प्रतिबद्धता से यह अभियान अवश्य सफल होगा।

आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें:

“नशे को ना, जीवन को हाँ”।

"Zero Tolerance for Drugs" केवल नारा नहीं, हमारा व्यवहार बने।”

धन्यवाद,

जय हिन्द!