SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF NASHA VIRODHI SAMMAN SAMAROH ORGANISED BY RATTAN GROUP OF INSTITUTIONS AT MOHALI ON 16.07.2025.
- by Admin
- 2025-07-17 12:40
रत्तन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स द्वारा आयोजित ‘नशा-विरोधी सम्मान समारोह’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन स्थानः मोहाली दिनांकः 16.07.2025, बुधवार समयः सुबह 10:00 बजे
नमस्कार!
मैं आज के इस ‘नशा-विरोधी सम्मान समारोह’ में सम्मिलित होकर स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ। यह आयोजन न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि एक ऐसे सामाजिक आंदोलन का प्रतीक है, जो हमारे समाज को एक स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित दिशा में ले जाने का कार्य कर रहा है।
मैं सबसे पहले उन 5 साहसी व्यक्तियों को हृदय से बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने नशे की दलदल से निकलकर एक नया जीवन प्रारंभ किया है। आपकी यह जीत केवल व्यक्तिगत नहीं है, यह समाज के लिए एक संदेश है कि अगर इच्छा हो, तो परिवर्तन संभव है।
आज जिन लगभग 60 से 70 पंचायत प्रमुखों को सम्मानित किया गया है, वे वास्तव में ग्रामीण नेतृत्व के स्तंभ हैं। आपने अपने क्षेत्रों में जन-जागरूकता, नशा उन्मूलन और पुनर्वास के लिए जो कार्य किए हैं, वे अनुकरणीय हैं। आप सभी ने यह सिद्ध किया है कि जब स्थानीय नेतृत्व जागरूक और सक्रिय होता है, तो समाज में कोई भी बुराई अधिक समय तक नहीं टिक सकती।
साथ ही, मैं उन प्रतिभाशाली छात्रों को भी विशेष रूप से बधाई देता हूँ, जिन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है, बल्कि नशा-उन्मूलन अभियान में सक्रिय भागीदारी करके समाज को एक नई दिशा दी है। आप ही हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं, और आप जैसे जागरूक युवाओं की आवश्यकता आज हर गाँव, हर मोहल्ले और हर स्कूल को है।
मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि रत्तन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स ने शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर, उसे समाजिक उत्तरदायित्व से भी जोड़ा है। ‘पढ़ो और समाज को बदलो’, यही सही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए।
मुझे बताया गय है कि रत्तन कॉलेज की स्थापना वर्ष 1997 में श्री एस. एल. अग्रवाल जी द्वारा की गई थी। यह संस्थान उनके पूज्य पिताजी, स्वर्गीय श्री रतन लाल अग्रवाल जी की स्मृति को समर्पित है। उन्हीं के नाम पर इस संस्था का नाम ‘रत्तन कॉलेज’ रखा गया है।
इस प्रेरक परंपरा की नींव और भी पहले, वर्ष 1952 में उनके दादा श्री तिलक राम जी द्वारा रखी गई थी, जब उन्होंने ‘बी.एस.एच. आर्य स्कूल’ की शुरुआत की, जिसे बाद में ग्रामीण विद्यार्थियों की सेवा के लिए समाज को समर्पित कर दिया गया।
हर्ष का विषय है कि रत्तन कॉलेज केवल औपचारिक शिक्षा तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसा संस्थान है जो अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास की दिशा में कार्य करता है। यहाँ विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान प्रदान किया जाता है, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक के रूप में तैयार किया जाता है।
मुझे बताया गया है कि कॉलेज में नर्सिंग, लॉ, बी.एड., एम.एड., पैरामेडिकल और विभिन्न डिप्लोमा तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि यहाँ के नर्सिंग छात्र देश और विदेश, दोनों ही स्तरों पर सेवाएं दे रहे हैं।
यह गर्व की बात है कि यहाँ मणिपुर, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे विविध राज्यों से छात्र-छात्राएँ अध्ययन हेतु आते हैं, जो इस संस्था की राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाली भावना को प्रकट करता है।
यह संस्था न केवल शिक्षा का केन्द्र है, बल्कि संस्कार, नैतिकता और सामाजिक ज़िम्मेदारी का भी सशक्त मंच है। यहाँ के छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद, स्वच्छता अभियान, समाज सेवा, रक्तदान शिविर, नशा-विरोधी रैलियों और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को जागरूक कर रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
नशे की समस्या आज पंजाब के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह ऐसी विकराल बुराई है जो हमारे युवा वर्ग को भीतर से खोखला कर रही है, परिवारों को तोड़ रही है और समाज की नींव को कमजोर कर रही है।
नशा केवल पंजाब की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की समस्या है जो कई राज्यों को अपनी चपेट में ले चुका है। गांवों से लेकर महानगरों तक, विकासशील देशों से लेकर विकसित देशों तक, हर जगह यह एक चिंताजनक अनुपात में फैल रहा है। इसलिए, हम सबको संगठित रूप से इसे देश की लड़ाई समझकर लड़ना होगा।
आज जिस गति से इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में तीव्र गति से प्रगति हो रही है, उसी गति से नशीले पदार्थों का उत्पादन, प्रसारण, वितरण और सेवन भी तीव्र गति से बढ़ रहा है। एक प्रकार से यह एक महामारी का रूप लेते हुए दिखाई दे रहा है।
यह भारत के लिए भी एक प्रमुख सामाजिक संकट और सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है, इससे घरेलू हिंसा, रक्तपात, गुंडागर्दी और तस्करी से लेकर देश की सीमाओं पर घुसपैठ और आतंकवाद को भी आश्रय मिल रहा है।
नशे की लत हमारे युवाओं की प्रतिभा और ऊर्जा को अंधकार की ओर धकेल देती है। जो हाथ राष्ट्र-निर्माण में लगने चाहिएं, वे यदि नशे की गिरफ्त में आ गए तो यह हमारे भविष्य के लिए घातक होगा। इसलिए इस संकट का समाधान करना हम सबका नैतिक कर्तव्य है।
पंजाब, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जीवंत भावना के लिए जाना जाता है, आज मादक पदार्थों के सेवन के गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस संकट का एक प्रमुख कारण सीमापार से हो रही नशे की अवैध तस्करी है, जिसके माध्यम से पड़ोसी देश हमारी युवा पीढ़ी को कमजोर करने और समाज को खोखला करने का षड्यंत्र रच रहा है।
पंजाब सरकार नशा उन्मूलन के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। ‘‘युद्ध नशियां विरूद्ध’’ अभियान के तहत ड्रग तस्करों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है, जिसमें कई बड़े तस्करों की गिरफ्तारी और उनकी संपत्तियों की जब्ती शामिल है। न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता से नशे से जुड़े मामलों में 86 प्रतिशत दोषसिद्धि दर प्राप्त हुई है।
साथ ही, 100 से अधिक गैर-सरकारी संगठन जागरूकता और पुनर्वास कार्य में सक्रिय हैं। ये प्रयास दर्शाते हैं कि सरकार और समाज मिलकर पंजाब को नशामुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं।
आज जब विभिन्न गांवों की पंचायतों के प्रमुख हमारे बीच उपस्थित हैं तो, मैं कहना चाहता हूं कि गांव लोकतंत्र की सबसे मजबूत इकाई हैं और यदि समाज में कोई स्थायी बदलाव लाना है, तो उसकी शुरुआत गांवों से होनी चाहिए।
पंजाब में फैलती नशे की समस्या के विरुद्ध गांवों को एक संगठित और जागरूक जनआंदोलन का नेतृत्व करना चाहिए। गांवों में यदि माता-पिता, शिक्षक, सरपंच और युवा मिलकर यह ठान लें कि उनका क्षेत्र नशे से मुक्त रहेगा, तो यह सामाजिक बदलाव संभव है।
इस लोक लहर का उद्देश्य सिर्फ नशामुक्ति नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से एक आत्मनिर्भर और सशक्त ग्रामीण समाज का निर्माण है।
इसी दिशा में पंजाब के सभी सीमावर्ती जिलों में ग्राम स्तरीय रक्षा समितियों का गठन किया गया है, जो पुलिस और सुरक्षा बलों को असामाजिक व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की जानकारी देकर सीमा पार तस्करी रोकने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
राज्यपाल पंजाब ने नशा उन्मूलन में उत्कृष्ट कार्य करने वाली इन समितियों को प्रोत्साहित करने हेतु अपने विवेकाधीन फंड से हर वर्ष 36 लाख रूपये की पुरस्कार राशि देने का निर्णय लिया है। यह पुरस्कार छह सीमावर्ती जिलों की तीन-तीन सर्वश्रेष्ठ समितियों को क्रमशः 3 लाख, 2 लाख और 1 लाख रूपये के रूप में प्रदान किया जाएगा।
देवियो और सज्जनो,
आज जब मैं इस प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में उपस्थित हूं, तो मैं विशेष रूप से इस बात पर बल देना चाहता हूं कि हमें अपने शैक्षणिक परिसरों को केवल ज्ञान केंद्र न मानकर, समग्र विकास के केंद्र के रूप में विकसित करना होगा।
इसके लिए आवश्यक है कि संस्थानों में नियमित रूप से परामर्श सत्र, स्वास्थ्य एवं मानसिक कल्याण पर कार्यशालाएं, नशामुक्ति जागरूकता अभियान, खेल-कूद और सांस्कृतिक गतिविधियां, तथा मुक्त संवाद और विचार-विनिमय का अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
साथ ही, यह अत्यंत आवश्यक है कि हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर पूरी गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ लागू करें। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में लाई गई यह शिक्षा नीति केवल पाठ्य-पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य हर विद्यार्थी को एक संपूर्ण, आत्मनिर्भर, और उत्तरदायी नागरिक के रूप में विकसित करना।
यह नीति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है, बल्कि यह शिक्षा को रोज़गारोन्मुख, कौशल-आधारित और मूल्य-सम्पन्न बनाने की दिशा में भी एक ऐतिहासिक पहल है। इससे हमारे युवा शैक्षणिक रूप से तो समृद्ध होंगे ही, साथ ही वे नैतिक, संवेदनशील और सामाजिक रूप से जागरूक नागरिक भी बन सकेंगे।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस नीति के सफल क्रियान्वयन से हम एक ऐसे समर्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकेंगे, जो 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा।
देवियो और सज्जनो,
आज जब पंजाब जैसे समृद्ध राज्य को नशे की समस्या से जूझते हुए हम देख रहे हैं, तब इस प्रकार के कार्यक्रम, यह सम्मान समारोह, यह प्रेरक कहानियाँ, हमारी आशा की किरण बनकर सामने आते हैं।
पंजाब गुरुओं, वीरों और शहीदों की तपोभूमि है, एक ऐसी धरती, जिसने साहस, बलिदान और आध्यात्मिक चेतना के अनगिनत उदाहरण विश्व को दिए हैं। यही पंजाब, जिसने गुरुओं से मर्यादा, संतुलन और सेवा का पाठ सीखा, और वीरों से अदम्य साहस और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा पाई, आज यदि नशे के अंधकार से जूझ रहा है, तो यह केवल एक सामाजिक चुनौती नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और नैतिक विरासत की रक्षा का आह्वान भी है।
इस पवित्र भूमि को नशे के चंगुल से मुक्त करना केवल प्रशासन या पुलिस का दायित्व नहीं, यह हम सभी का साझा सामाजिक, नैतिक और मानवीय उत्तरदायित्व है। हर माता-पिता, हर शिक्षक, हर छात्र, हर पंचायत, हर संस्था और हर जागरूक नागरिक को इस अभियान में अपनी भूमिका निभानी होगी।
मैं आप सभी से अपील करता हूँ कि हम मिलकर एक ऐसा पंजाब बनाएं, जहाँ कोई बच्चा नशे के कारण अपना भविष्य न खोए, जहाँ हर गाँव में जागरूकता हो और पुनर्वास की सुविधा हो, जहाँ स्कूल और कॉलेज नशा-मुक्त परिसर हों, और जहाँ नशा नहीं, संस्कार, शिक्षा और सेवा जीवन का आधार हों।
आज मैं उन सभी को साधुवाद देता हूँ, जो इस अभियान से जुड़े हैं, चाहे वे शिक्षक हों, पंचायत सदस्य हों, संस्थान के प्रमुख हों या स्वयं नशा मुक्त हुए युवा। आप सभी समाज के सच्चे नायक हैं।
अंत में, मैं यही कहना चाहूँगाः ‘‘बदलाव की शुरुआत एक व्यक्ति से होती है, परंतु जब पूरा समाज संकल्प लेता है, तो इतिहास बनता है।’’
आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि जिस पंजाब ने दुनिया को वीरता और सेवा की मिसालें दी हैं, उसी पंजाब को हम फिर से संस्कार, स्वास्थ्य और स्वाभिमान का प्रतीक बनाएँगे। नशा मुक्त पंजाब ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी हमारे गुरुओं और शहीदों को।
आइए, हम सभी मिलकर एक नशा-मुक्त पंजाब, एक विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ें।
धन्यवाद,
जय हिन्द!