SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CONVOCATION OF ARYA COLLEGE, LUDHIANA ON SEPTEMBER 20, 2025.
- by Admin
- 2025-09-20 18:30
आर्य कॉलेज, लुधियाना के 78वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 20.09.2025, शुक्रवार समयः सुबह 11:45 बजे स्थानः लुधियाना
नमस्कार!
आज आर्य कॉलेज, लुधियाना के 78वें दीक्षांत समारोह के इस गरिमामय अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत हर्ष और गर्व का अनुभव हो रहा है। सबसे पहले मैं उन 75 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देता हूँ, जिन्हें आज अपनी कड़ी मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप डिग्रियाँ प्राप्त हुई हैं।
मैं इस अवसर पर शिक्षकों का भी अभिनन्दन करता हूँ, जिनके मार्गदर्शन से विद्यार्थी आज इस मुकाम तक पहुँचे हैं। साथ ही, मैं विशेष रूप से विद्यार्थियों के माता-पिता को भी धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने अथक परिश्रम और त्याग करके अपने बच्चों को शिक्षा हेतु इस प्रतिष्ठित संस्थान में भेजा और उनके सपनों को पंख दिए।
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी के आदर्शों और शिक्षाओं पर आधारित यह संस्थान दशकों से युवा पीढ़ी को न केवल उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें संस्कारवान, जिम्मेदार और राष्ट्रभक्त नागरिक बनाने का कार्य भी कर रहा है।
मुझे बताया गया है कि आर्य कॉलेज, लुधियाना की स्थापना आर्य समाज के कुछ समर्पित और दूरदर्शी सदस्यों द्वारा वर्ष 1946 में की गई थी। वर्तमान में इसका संचालन श्री सुदर्शन शर्मा के नेतृत्व में ‘आर्य विद्या परिषद पंजाब’ द्वारा किया जा रहा है, जो इसके अध्यक्ष हैं। उनके कुशल मार्गदर्शन में न केवल आर्य कॉलेज ने नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्राप्त किया है, बल्कि शैक्षणिक गुणवत्ता, नैतिक मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी संस्थान ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
समय के साथ जब महिलाओं की शिक्षा की आवश्यकता महसूस की गई, तब 1970 में कॉलेज का एक अलग महिला विंग प्रारंभ किया गया। यहाँ छात्राओं के सम्पूर्ण विकास हेतु शिक्षण के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
वर्तमान समय में कॉलेज में कला, विज्ञान, कंप्यूटर साइंस, वाणिज्य और व्यवसाय प्रबंधन जैसे स्नातक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर एम.ए., एम.एससी., एम.कॉम. और पीजीडीसीए जैसे कोर्स उपलब्ध हैं। विशेष रूप से कॉमर्स और सी.ए. को एक साथ करने वाले विद्यार्थियों के लिए कॉलेज में प्रातःकालीन कक्षाओं की व्यवस्था की गई है। लुधियाना का यह एकमात्र कॉलेज है जो इस प्रकार की सुविधा प्रदान करता है।
देश-विदेश में इस कॉलेज का नाम गौरव से ऊँचा करने वाले पूर्व छात्रों में श्री सुनील भारती मित्तल (भारती एयरटेल के संस्थापक), प्रसिद्ध अभिनेता श्री पंकज कपूर, राजनीतिक नेता सरदार शरणजीत सिंह ढिल्लों, ओलंपियन खिलाड़ी सरदार सुखबीर सिंह ग्रेवाल और सरदार हरदीप सिंह ग्रेवाल, अंतर्राष्ट्रीय भारोत्तोलक श्री पर्वेश कुमार, क्रिकेटर श्री यशपाल शर्मा, पूर्व मेयर लुधियाना श्री बलकार सिंह संधू आदि शामिल हैं।
मुझे बताया गया है कि आर्य कॉलेज के विद्यार्थियों ने न केवल शैक्षणिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा सामयिक ज्वलंत विषयों पर जागरूकता रैलियाँ निकालकर भी अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई है।
राष्ट्रीय स्तर पर गणतंत्र दिवस परेड में कॉलेज के एन.सी.सी. कैडेट्स की सहभागिता अपने आप में इस संस्थान के लिए गौरवशाली उपलब्धि है।
सबसे महत्वपूर्ण यह कि यह कॉलेज वैदिक मूल्यों पर आधारित साप्ताहिक यज्ञ, चरित्र निर्माण सत्र और योग शिविरों के माध्यम से विद्यार्थियों के नैतिक और आध्यात्मिक विकास को भी सुनिश्चित कर रहा है। आर्य कॉलेज का इतिहास केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, स्वभाविमान और प्रगतिशील चिन्तन का भी प्रतीक है।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज का दिन आपके जीवन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतीक है। आपने कठोर परिश्रम, अनुशासन और ज्ञानार्जन की यात्रा पूर्ण की है। यह केवल डिग्री प्राप्ति का दिन नहीं, बल्कि आपके जीवन के एक नये अध्याय का शुभारम्भ भी है। जिस प्रकार दीपक स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है, उसी प्रकार शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य भी समाज को आलोकित करना है।
उपनिषद् का वाक्य है, “सा विद्या या विमुक्तये”, अर्थात् सच्ची शिक्षा वही है, जो मनुष्य को अज्ञान, भय और संकीर्णताओं के बंधनों से मुक्त करे। यह केवल पुस्तकीय ज्ञान या रोजगार प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि जीवन को ऊँचे आदर्शों की ओर ले जाने वाली शक्ति है।
जैसे ही आप उपाधि लेकर दुनिया में कदम रखें, तो याद रखें कि आपका ज्ञान और कौशल केवल तभी सार्थक हैं जब वे ईमानदारी और सत्यनिष्ठा में निहित हों। ईमानदारी और सत्यनिष्ठा आपके व्यवसायिक जीवन, व्यक्तिगत संबंधों और समग्र समाज में विश्वास का निर्माण करते हैं। इसके बिना सफलता पल भर की होती है, लेकिन इसके साथ सफलता चिरस्थायी हो जाती है।
आपको याद रखना होगा कि सफलता का सही मापदंड केवल व्यक्तिगत उन्नति नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में आपके योगदान से तय होगा। आपकी प्रतिभा, आपका ज्ञान और आपका चरित्र ये सब मिलकर भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगे। महर्षि अरविन्द ने भी कहा था कि भारत का युवा केवल भारत के लिए नहीं बल्कि समस्त मानवता के लिये कार्य करेगा।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज का युग युवाओं का युग है। ‘युवा शक्ति’ देश का वर्तमान है, लेकिन उसका भविष्य भी उन्हीं के हाथों में निहित है। भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, जो हमारे राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी है। सामाजिक बदलाव, आर्थिक नवाचार, टेक्नोलॉजी, पर्यावरण संरक्षण, और वैश्विक प्रतिष्ठा में हमारी युवा पीढ़ी की सक्रिय साझेदारी अत्यंत आवश्यक है।
युवाओं की ऊर्जा, जिजीविषा, रचनात्मकता और उत्साह समाज के हर क्षेत्र को प्रगतिशील बना सकते हैं। आज आवश्यकता है कि हम सामाजिक-आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी बदलाव, व सांस्कृतिक मूल्यों में संतुलन जैसे अद्वितीय चुनौतियों का समाधान एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में खोजें।
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारतीय युवा विश्व-स्तरीय नई तकनीकों के अनुकूल होने में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। समय आ गया है कि हर युवा शिक्षा, अनुशासन, और मूल्यों से समन्वित होकर स्वयं को राष्ट्र-निर्माण हेतु समर्पित करे।
हमें चाहिए कि हम नीतियों और व्यक्तिगत आचरण में ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की भारतीय विचारधारा को और ‘‘इनोवेशन’’ जैसी आधुनिक सोच को एक साथ आत्मसात करें। आदर्श विद्यार्थी वे हैं जो संस्कार और आधुनिकता, दोनों के पथ पर समान रूप से अग्रसर होते हैं।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज का युग तेज़ी से बदलती प्रौद्योगिकी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का युग है। ऐसे समय में हमें निरंतर सीखते रहने और नई चुनौतियों को स्वीकार करने की आवश्यकता है। साथ ही, भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जुड़ाव बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही संतुलन हमें सच्चे अर्थों में सफल और संतोषपूर्ण जीवन की ओर ले जाता है।
आज जब पूरे विश्व में कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्व बढ़ता जा रहा है, तो मैं समझता हूं कि इस तकनीक से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहने वाला। अगर हम इसे जिम्मेदारी और समझदारी से अपनाएँ, जिज्ञासा से सीखें और संतुलित उपयोग करें तो न सिर्फ व्यक्तिगत, बल्कि देश के भविष्य के लिए वरदान सिद्ध होगा।
याद रखें, ए.आई. सिर्फ तकनीकी विशेषज्ञों के लिए नहीं, हर विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण है। एक ओर इसके नवाचार, दक्षता और विकास रूपी सकारात्मक पहलू हैं; तो वहीं ऊर्जा खपत, ग्रीनहाउस उत्सर्जन, ई-वेस्ट, और सामाजिक प्रदूषण जैसी नई चुनौतियाँ भी हैं। इसीलिए आवश्यक है कि इसका जिम्मेदार और हरित उपयोग किया जाए।
हमने जैसे ड्रोन का एंटी-ड्रोन बनाया है, वैसे ही ए.आई. के नकारात्मक पहलुओं से निपटने के लिए तकनीक विकसित करनी होगी। इससे हम अपनी संस्कृति, भारतीयता, और पर्यावरण का संतुलन कायम रख सकेंगे। आप सभी से उम्मीद है कि तकनीक के जिम्मेदार, जागरूक और हरित उपयोगकर्ता बनें। नवाचार और पृथ्वी संरक्षण दोनों को जीवन में अपनाएँ।
मैं आपको यह भी प्रेरित करना चाहूँगा कि आप जहाँ भी जाएँ, अपने राज्य पंजाब और अपने देश भारत का नाम रोशन करें। पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल नवाचार और आत्मनिर्भर भारत जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्रिय योगदान दें।
आदरणीय शिक्षकों और अभिभावकों,
आज की यह सफलता आपके मार्गदर्शन, परिश्रम और स्नेह का प्रतिफल भी है। विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में आपकी भूमिका अमूल्य है। मैं आपको भी इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूँ।
अंत में, मैं आर्य कॉलेज के प्रबंधक मंडल, शिक्षकों और विद्यार्थियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। मुझे विश्वास है कि यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएँगे और महर्षि दयानंद के आदर्शों को जीवन में उतारकर भारत को “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य की ओर अग्रसर करने में योगदान देंगे।
एक बार पुनः, आज डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ। आप सभी जीवन में प्रगति करें, सफलता प्राप्त करें और अपने माता-पिता, गुरुजनों और देश का नाम रोशन करें।
धन्यवाद,
जय हिंद!