SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF EK DIN, EK GHANTA, EK SAATH – MEGA CLEANLINESS DRIVE AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 25, 2025.
- by Admin
- 2025-09-25 18:30
‘स्वच्छता ही सेवा 2025’ के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 25.09.2025, गुरूवार
समयः सुबह 8:00 बजे
स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज मैं “स्वच्छता ही सेवा”2025 के नौवें संस्करण के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होकर अत्यंत प्रसन्नता और गर्व का अनुभव कर रहा हूं।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, स्वच्छता ही सेवा 2025 का यह संस्करण “स्वच्छोत्सव”थीम के साथ उत्सव और जिम्मेदारी का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि हर नागरिक को यह संदेश देता है कि स्वच्छता केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी और देशप्रेम का सजीव प्रतीक है।
इस अभियान के अंतर्गत आज यानी 25 सितंबर को “एक दिन, एक घंटा, एक साथ” की थीम के साथ एक राष्ट्रव्यापी स्वैच्छिक श्रमदान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है कि हम सभी नागरिक एक साथ मिलकर स्वच्छता का संकल्प लें और इसे व्यवहार में लाएँ।
क्योंकि आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिवस भी है, तो आइए हम सभी पूज्य महात्मा गांधी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मदिवस पर उनके आदर्शों को याद करते हुए, मिलकर स्वच्छता के लिए श्रमदान करें।
देवियो और सज्जनो,
इस अवसर पर नगर निगम चंडीगढ़ द्वारा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, अर्थात् गांधी जयंती तक चलने वाले इस स्वच्छता अभियान के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें ‘स्वच्छता रैली और प्रभात फेरियां’, ‘स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम’, ‘वेस्ट-टू-आर्ट (कचरे से कला) प्रदर्शनी’, ‘वार्ड स्तर पर जन-जागरूकता अभियान’, ‘बाजारों और वेंडरों के लिए विशेष अभियान’, ‘26 सितंबर को सफाई मित्रों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर’, ‘29 सितंबर को स्वच्छ कन्या महालंगर - परंपरा और स्वच्छता का संगम’, ‘साइक्लोथॉन और सांस्कृतिक उत्सव - युवाओं को जोड़ने की पहल’ और ‘1 अक्टूबर को प्लास्टिक कचरा संग्रह अभियान और कपड़े के थैलों की लंगर सेवा’ शामिल हैं।
इसके अलावा, स्वच्छता अभियान दौरान स्वच्छोत्सव प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी वर्ग के लोग भाग लेकर स्वच्छता के प्रति अपने योगदान को प्रदर्शित कर सकते हैं। सभी विजेताओं को 2 अक्टूबर 2025 को सम्मानित किया जाएगा।
जैसा कि महात्मा गांधी जी ने कहा था, “स्वच्छता ही सेवा है।”
स्वच्छता का उनका संदेश न केवल उनकी सोच का हिस्सा था, बल्कि यह हमारे समाज को बेहतर, अधिक मानवीय और अधिक सभ्य बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी विचार था।
हम महात्मा गांधी के योगदान को कभी नहीं भूल सकते। उनका मानना था कि ‘‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’’ अर्थात ईश्वर के सबसे करीब वही है जो स्वच्छ है।
वर्ष 1895 में जब ब्रिटिश सरकार ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और एशियाई व्यापारियों से उनके स्थानों को गंदा रखने के आधार पर भेदभाव किया था, तब से लेकर जीवनभर गांधीजी लगातार स्वच्छता पर जोर देते रहे।
उनके अनुसार, एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज ही सच्चे अर्थों में स्वतंत्र हो सकता है। जब वे भारत लौटे, तो उन्होंने स्वच्छता को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का अभिन्न अंग माना और कहा कि ‘‘स्वच्छता स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण है।‘’
साथियो,
हमारे प्राचीन वेदों और ग्रंथों में भी स्वच्छता को एक नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी के रूप में देखा गया है। ऋग्वेद और अथर्ववेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि स्वच्छता न केवल व्यक्ति के लिए, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी अत्यावश्यक है।
हमारे प्राचीन साहित्य और ऐतिहासिक ग्रंथों में अयोध्या, उज्जयिनी, पाटलिपुत्र और हम्पी जैसे नगरों की भव्यता के साथ उनकी स्वच्छता और सुव्यवस्थित शहरी जीवन के अनेक वर्णन मिलते हैं। यह हमारी परंपरा की गवाही है कि स्वच्छता केवल शारीरिक या बाहरी सफाई नहीं, बल्कि सामाजिक अनुशासन, आध्यात्मिक चेतना और सभ्य समाज की पहचान भी है।
मनुस्मृति, जो कि एक प्राचीन भारतीय विधि संहिता है, में भी स्वच्छता के महत्व का वर्णन किया गया है। इसमें व्यक्ति की शारीरिक स्वच्छता के साथ-साथ उसके आस-पास के पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने पर जोर दिया गया है।
पतंजलि के योग सूत्रों में भी स्वच्छता को एक महत्वपूर्ण नैतिक नियम के रूप में स्वीकार किया गया है। शौच को मानसिक और शारीरिक स्वच्छता दोनों से जोड़ा गया है, और इसे एक संपूर्ण जीवन जीने के लिए अनिवार्य माना गया है।
हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में भी स्वच्छता का विशेष महत्व है। स्वच्छता पर बल देना हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का प्राचीन आधार रहा है। घरों, उपासना स्थलों और आस-पास के परिवेश को स्वच्छ रखना हमारी जीवन-शैली का सदियों पुराना हिस्सा है।
दीवाली जैसे पर्वों में घरों और आस-पास की सफाई एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान का हिस्सा है। यह माना जाता है कि माता लक्ष्मी साफ-सुथरे घरों में ही निवास करती हैं।
इस प्रकार, स्वच्छता हमारे जीवन के हर आयाम में जुड़ी हुई है। यह न केवल भौतिक स्वास्थ्य की सुरक्षा करती है, बल्कि नैतिकता, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी के मूल्यों को भी प्रबल करती है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर में यह संदेश है कि स्वच्छता केवल कर्तव्य नहीं, बल्कि जीवन की नैतिक और आध्यात्मिक आवश्यकता है।
मित्रो,
जब हम स्वच्छता की बात करते हैं, तो प्रायः हमारी कल्पना में केवल बड़े-बड़े कचरा ढेर या सार्वजनिक स्थानों पर फैला हुआ कचरा ही उभरता है। लेकिन सच यह है कि गंदगी की शुरुआत बहुत छोटे स्तर से होती है यानी हमारे अपने घरों, रसोईघरों, और दफ़्तरों से निकलने वाले थोड़े-थोड़े कचरे से। हम अक्सर इन छोटे कचरों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि असली बदलाव की नींव यहीं से रखी जाती है।
स्वच्छता केवल सड़कों और गलियों को साफ़ रखने तक सीमित नहीं है, यह तो हमारे विचारों, आदतों और जीवनशैली से शुरू होने वाली प्रक्रिया है। हमें स्रोत स्तर पर, यानी कचरा उत्पन्न होने के क्षण से ही जिम्मेदारी निभानी होगी। हमें गीले और सूखे कचरे का अलग-अलग प्रबंधन, कम प्लास्टिक का उपयोग, और पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) को अपनी आदत बनाना होगा।
साथ ही, समाज और प्रशासन को मिलकर बड़े स्तर पर सफ़ाई व्यवस्था को मज़बूत करना होगा। बेहतर कचरा संग्रहण प्रणाली, वैज्ञानिक अपशिष्ट निपटान और जागरूकता अभियान इस दिशा में अहम हैं।
स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। चंडीगढ़ हमेशा से शहरी प्रबंधन और नागरिक सहभागिता में अग्रणी रहा है। आज हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम अपने घर, मोहल्ला, स्कूल और सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित बनाएँगे।
मुझे विश्वास है कि यदि हम सभी नागरिक व्यक्तिगत स्तर पर अपनी जिम्मेदारी समझें और सामूहिक प्रयासों से आगे बढ़ें, तो चंडीगढ़ न केवल देश में स्वच्छता में नंबर 1 की अपनी पहचान फिर से प्राप्त करेगा, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बनकर सामने आएगा।
आइए, हम सब मिलकर महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरणा लें, और स्वच्छता को केवल एक अभियान नहीं, बल्कि अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। इसी प्रयास से हम एक स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ चंडीगढ़ और स्वच्छ भारत की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
धन्यवाद,
जय हिंद!