SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INAUGURATIONOF AVISHKAR – ACADEMY FOR VOCATIONAL INNOVATION, SKILL, HOME, KNOWLEDGE AND REFORMS AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 25, 2025.
- by Admin
- 2025-09-25 19:25
मॉडल जेल में AVISHKAR अकादमी के उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 25.09.2025, गुरूवार समयः शाम 4:30 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज मॉडल जेल, चंडीगढ़ में AVISHKAR (Academy for Vocational Innovation, Skill, Hope, Knowledge and Reform) के उद्घाटन के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
हमने इस अकादमी का उद्घाटन पूरे देश में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाए जा रहे सेवा पखवाड़ा के अवसर पर किया है, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिवस को समर्पित एक विशेष पहल है।
साथ ही, आज का दिन महान दूरदर्शी नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के रूप में भी मनाया जा रहा है। मैं इस महान आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ, जिन्होंने कौशल विकास और समाज के सशक्तिकरण के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कौशल विकास पर हमेशा जोर दिया और इसके महत्व को देश के हर नागरिक तक पहुँचाने का प्रयास किया।
मैं समझता हूं कि आज यह केवल एक संस्था या अकादमी का उद्घाटन नहीं है, बल्कि यह आशा, कौशल, नवाचार और पुनर्निर्माण का प्रतीक है। यह उद्घाटन हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा और कौशल किसी भी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा देने में सबसे शक्तिशाली उपकरण हैं, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि या परिस्थिति से आता हो।
मेरा मानना है कि यह न केवल एक नई शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि जेल प्रशासन की सुधारोन्मुख सोच और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
मॉडल जेल का इतिहास बताता है कि इसे वर्ष 1972 में एक उप-जेल के रूप में स्थापित किया गया था। यह प्रारंभिक रूप से सीमित क्षमताओं और सीमित दायित्वों के साथ कार्यरत रही। लेकिन समय के साथ जेल प्रबंधन और सुधारात्मक दृष्टिकोण में जो व्यापक बदलाव आए, उन्हें ध्यान में रखते हुए इस जेल की भूमिका और महत्त्व भी बढ़ता गया।
इन परिवर्तनों को देखते हुए जनवरी 1990 में इस जेल को एक केंद्रीय जेल के समकक्ष मॉडल जेल का दर्जा प्रदान किया गया। यह केवल एक प्रशासनिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक विचारात्मक बदलाव भी था, जो दंड की बजाय सुधार और पुनर्वास की सोच को प्राथमिकता देता है।
मेरा मानना है कि आज जिस AVISHKAR (Academy for Vocational Innovation, Skill, Hope, Knowledge and Reform) का उद्घाटन हुआ है, यह न केवल व्यावसायिक कौशल और रोजगार के अवसर प्रदान करने वाला मंच है, बल्कि बंदियों के व्यक्तिगत, मानसिक और सामाजिक विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जेल प्रशासन द्वारा यह प्रयास निःसंदेह सराहनीय है, क्योंकि यह न केवल बंदियों के पुनर्वास में मदद करता है, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और समाज में पुनः स्वीकृति के साथ जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करता है। विभिन्न क्षेत्रों में कौशल आधारित प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, ताकि रिहा होने के बाद वे सम्मानपूर्वक अपनी आजीविका चला सकें और समाज की मुख्यधारा में सहज रूप से शामिल हो सकें।
मुझे बताया गया है कि इस अकादमी की स्थापना जेल परिसर के Four-Cell Wardमें की गई है। पहले अकादमी की सभी वोकेशनल गतिविधियाँ बैरेक नंबर 6 में संचालित की जा रही थीं। लेकिन बंदियों की बढ़ती संख्या और भीड़-भाड़ से बचाव की आवश्यकता को देखते हुए, बैरेक नंबर 6 को खाली कर दिया गया है और अब इसे केवल बंदियों के आवास के लिए आरक्षित किया गया है।
अब नई विकसित शेडों में स्थापित किए गए व्यावसायिक और शैक्षणिक सेक्शनों में Music Section, Painting, Art and Craft Section, Candle & Gulal Making Section, Library, IGNOU Study Centre और Tailoring Section शामिल हैं।
मेरा मानना है कि इस अकादमी की स्थापना से बंदियों के कौशल विकास, शिक्षा और रचनात्मक सृजन के अवसरों में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। इससे उनकी सुधारात्मक और पुनर्वास प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी और यह जेल विभाग के उद्देश्यों के अनुरूप सशक्त, सक्षम और सकारात्मक नागरिक बनाने में सहायक साबित होगी।
मैं कैदियों के लिए विभिन्न प्रकार की सुधारात्मक गतिविधियों को शुरू करने के लिए जेल विभाग, चंडीगढ़ को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि कैदी भी जेल प्रशासन का सहयोग करेंगे और इस तरह की सुधारात्मक गतिविधियों का लाभ उठाएंगे।
जेलों का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास के माध्यम से व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पुनः समाज की मुख्यधारा में शामिल करना भी है। हमारा संविधान, हमारी न्याय प्रणाली और हमारा समाज, सभी इस विश्वास पर टिके हैं कि हर व्यक्ति को एक दूसरा मौका मिलना चाहिए। दंड सुधार की दिशा में हो, न कि केवल प्रतिशोध की भावना में।
आज हम उसी सोच को मूर्त रूप दे रहे हैं। यह पहल उन सभी कैदियों के लिए समाज की मुख्य धारा में लौटने का माध्यम बनेगी, जो यहां रहते हुए अपने जीवन को फिर से संवारना चाहते हैं, अपने परिवार और समाज में एक बार फिर सम्मान के साथ जीना चाहते हैं।
साथियो,
मेरा मानना है कि जेल को केवल एक दंड स्थल नहीं, बल्कि एक सुधारगृह के रूप में कार्य करना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य केवल अपराधियों को सजा देना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिरीक्षण, पश्चाताप और पुनर्वास के अवसर प्रदान करना होना चाहिए। जेलों में बंद व्यक्ति भले ही किसी अपराध के कारण वहां पहुंचे हों, लेकिन उन्हें एक नया जीवन शुरू करने का मौका मिलना चाहिए।
एक व्यक्ति जब आत्मनिर्भर बनकर जेल से बाहर आता है, तो उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। वह न केवल अपराध के मार्ग से दूर रहता है, बल्कि समाज के लिए सक्षम और उपयोगी नागरिक बनकर योगदान देने में सक्षम होता है।
आत्मनिर्भरता उसे आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और जिम्मेदारी का अनुभव कराती है, जिससे वह अपने और अपने परिवार के जीवन को संवारता है और समाज में विश्वास और सम्मान के साथ पुनः स्थापित होता है।
इसलिए, जेल व्यवस्था का पुनरुद्धार और उसमें मानवीय दृष्टिकोण का समावेश न केवल आवश्यक है, बल्कि यह हमारी न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को भी दर्शाता है। सुधार की भावना से प्रेरित जेल व्यवस्था ही सच्चे अर्थों में न्याय और मानवता की मिसाल बन सकती है।
जेल तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कारावास के दौरान बंदियों के दुख-दर्द कम हों न की बढ़ें। हमें कैदियों को सुधारने और उन्हें समाज में ससम्मान वापस लाने की जरूरत है।
मित्रो,
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा जेलों की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जैसे फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालतें, जिससे लंबित और विचाराधीन कैदियों की संख्या को कम करने में मदद मिली है और जेल तंत्र पर बढ़ता दबाव कम हुआ है।
मैं समझता हूं कि हम बंदियों की देखभाल और पुनर्वास की प्रक्रिया में गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज संगठनों को भी शामिल कर सकते हैं। इस क्षेत्र में समाज की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए। कैदियों के सुधार की दिशा में प्रयासों को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक सेवाओं में जनता की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है।
आइए, हम यह सुनिश्चित करें कि जिन लोगों ने समाज के प्रति अपना कर्ज चुका दिया है, वे अपने समुदायों में फिर से जुड़ जाएं। हम व्यवसायों के माध्यम से सज़ा काट चुके बंदियों को नौकरी प्रदान करके या फिर उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण संबंधी कार्यक्रमों में मदद करके अपनी भूमिका निभाएं।
हम सभी एक साथ मिलकर इस उद्देश्य के प्रति प्रयासरत हों तभी हम राष्ट्र के रूप में सभी के लिए स्वतंत्रता और न्याय के अपने संस्थापक आदर्श पर खरे उतर सकते हैं।
अंत में, मैं यहाँ उपस्थित सभी कैदियों से विशेष अनुरोध करना चाहता हूँ कि आपका भविष्य आपकी किसी भी गलती से बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण है। आज जिस अकादमी का उद्घाटन हुआ है, वह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। इसे अपनाएँ, इसका पूर्ण लाभ उठाएँ, और जब आप यहाँ से कौशल और ज्ञान से सशक्त होकर बाहर निकलें, तो एक नए, आत्मनिर्भर और जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज में योगदान दें और अपनी नई पहचान बनाएँ।
आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिंद!