SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF MSME FOR BHARAT AT CII AUDITORIUM CHANDIGARH ON SEPTEMBER 19, 2025.
- by Admin
- 2025-09-19 17:30
‘‘एम.एस.एम.ई. फॉर भारत’’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 19.09.2025, शुक्रवार समयः शाम 3:30 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
सबसे पहले मैं अमर उजाला को विशेष बधाई देता हूँ, जिन्होंने ‘एम.एस.एम.ई फॉर भारत’ (Micro, Small, and Medium Enterprises For Bharat) जैसी पहल की शुरुआत की है। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भारत के विकास, आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में एक मजबूत कदम है।
आज जब मैं अमर उजाला द्वारा आयोजित इस विशेष अवसर पर उपस्थित हूँ, तो इस प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह का उल्लेख करना स्वाभाविक है। उत्तर भारत के प्रमुख समाचार पत्रों में से एक, सन 1948 में स्थापित यह संस्थान आज भारत के अग्रणी हिंदी समाचार पत्रों में से एक के रूप में अपनी विश्वसनीयता और सशक्त पत्रकारिता के लिए विख्यात है।
इसके 22 संस्करण उत्तर भारत के 179 ज़िलों में नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। जो इसे देश के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले हिंदी अख़बारों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।
हर्ष का विषय है कि सिर्फ पत्रकारिता ही नहीं, अमर उजाला ने समाजसेवा के क्षेत्र में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है। वर्ष 2012 में स्थापित ‘अमर उजाला फाउंडेशन’ का उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग को सशक्त बनाकर उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करना है।
इसकी योजनाओं का फोकस महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, वरिष्ठ नागरिकों की सेवा, सभी क्षेत्रों के अनसुने नायकों को सम्मान, तथा युवा पीढ़ी में उत्कृष्टता को प्रोत्साहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर है। ऐसी प्रेरक पृष्ठभूमि के साथ अमर उजाला और इसका फाउंडेशन “एम.एस.एम.ई. फॉर भारत” जैसे आयोजनों के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण और समावेशी विकास के लिए एक सशक्त मंच प्रस्तुत कर रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
हम सब जानते हैं कि एम.एस.एम.ई. भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारत में एम.एस.एम.ई. क्षेत्र विनिर्माण, निर्यात और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाता है। देश में पंजीकृत 5.93 करोड़ एम.एस.एम.ई. इकाइयाँ 25 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं और राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
वर्ष 2023-24 में, भारत के कुल निर्यात में 45.73 प्रतिशत हिस्सा एम.एस.एम.ई. से जुड़े उत्पादों का रहा, जो भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में उनकी निर्णायक भूमिका को दर्शाता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने एम.एस.एम.ई. इकाइयों को अपने कार्यों का विस्तार करने और बेहतर संसाधनों तक पहुँच प्रदान करने के लिए, उनके वर्गीकरण हेतु निवेश की सीमा 2.5 गुना और वार्षिक कारोबार की सीमा 2 गुना बढ़ा दी गई है।
पिछले एक दशक से अधिक समय में देश ने सरकारी नीतियों में उल्लेखनीय स्थिरता और निरंतरता देखी है। बीते दस वर्षों में भारत ने लगातार सुधारों, वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और समावेशी विकास के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है। जिसने हमारे उद्योग जगत में नया आत्मविश्वास पैदा किया है।
किसी भी देश की प्रगति के लिए स्थिर नीतियाँ और अनुकूल व्यवसायिक माहौल अत्यंत आवश्यक होते हैं। इसी दृष्टि से कुछ वर्ष पहले केन्द्र सरकार ने जन विश्वास अधिनियम लागू किया, जिसके तहत अनुपालन की जटिलताओं को कम करने का बड़ा अभियान चलाया गया। केंद्र और राज्य स्तर पर 40 हज़ार से अधिक अनुपालन समाप्त किए गए, जिससे Ease of Doing Business को नई गति मिली।
इसी क्रम में केन्द्र सरकार ने सरल और पारदर्शी आयकर व्यवस्था लागू की और अब जन विश्वास 2.0 विधेयक पर भी सक्रियता से काम किया जा रहा है, ताकि व्यवसायों को और अधिक सुविधा और भरोसा मिल सके।
साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम भविष्य की ओर देखें। आने वाला कल स्टार्टअप्स का है। भारत में आज लगभग 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप्स पंजीकृत हैं और इस क्षेत्र में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है।
मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने भी इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। हाल ही में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया और नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल के साथ समझौते किए गए हैं। हमारा लक्ष्य MSME ZED (Zero Defect Zero Effect) Certification के तहत चंडीगढ़ के कम से कम 1 हजार उद्यमों को ब्रॉन्ज, 100 को सिल्वर और 30 को गोल्ड सर्टिफिकेशन दिलाना है। यह कार्य भारत सरकार के ‘रैंप प्रोग्राम’ (Raising & Accelerating MSME Performance (RAMP) Programme) के अंतर्गत किया जा रहा है।
यह गर्व का विषय है कि चंडीगढ़ भी अब अपनी स्टार्टअप पॉलिसी लागू कर चुका है। हमारा प्रयास है कि इसे देश की सर्वश्रेष्ठ नीति के रूप में विकसित किया जाए, ताकि यहां के युवा अपने इनोवेशन, रिसर्च और उद्यमशीलता से वैश्विक स्तर पर पहचान बना सकें।
भारत सरकार ने भी स्टार्टअप्स को आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के प्रमुख इंजन के रूप में पहचान दी है। स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया और फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप्स जैसी योजनाएँ वित्तीय सहयोग, मार्गदर्शन और सरल नियामकीय ढाँचा उपलब्ध कराकर उद्यमियों की सफलता सुनिश्चित कर रही हैं।
वहीं अगर पंजाब की बात करें तो कृषि और औद्योगिक परंपरा वाले इस राज्य में एम.एस.एम.ई. का महत्व और भी बढ़ जाता है। पंजाब ने लंबे समय से देश को कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में दिशा दी है।
पंजाब में करीब 1 लाख 60 हजार एम.एस.एम.ई. यूनिट्स हैं, जो राज्य की उद्यमशीलता की भावना को दिखाते हैं। एम.एस.एम.ई. के कारण पंजाब में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं, जिसकी वजह से राज्य में औद्योगिक उत्पादन और निर्यात दोनों में वृद्धि हो रही है।
कोविड-19 के बाद भी एम.एस.एम.ई. ने तेजी से रिकवरी की है, जिससे रोजगार के नए अवसर बने हैं। टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, सब्सिडी, आसान क्रेडिट, बिजनेस इकोसिस्टम सुधार और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने जैसे प्रयासों की वजह से साफ नजर आ रहा है कि पंजाब में एम.एस.एम.ई. का भविष्य काफी उज्ज्वल है।
पंजाब सरकार ने एम.एस.एम.ई. को प्रोत्साहन देने के लिए हाल के वर्षों में कई ठोस कदम भी उठाए हैं। सरकार नई औद्योगिक नीति पर काम कर रही है, जिसमें एम.एस.एम.ई. को विशेष छूट दी जाएगी। नई नीति में Ease of Doing Business, Fast Track Clearance और Startups को प्राथमिकता दी जाएगी।
इन प्रयासों के जरिए पंजाब सरकार एम.एस.एम.ई. सेक्टर का आधार मजबूत करने, निर्यात क्षमता बढ़ाने, नवाचार को बढ़ाने और रोजगार पैदा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
एम.एस.एम.ई. पंजाब पोर्टल के माध्यम से उद्यमियों को सहायता, पॉलिसी सलाह और इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी जानकारी दी जाती है। राज्य में औद्योगिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट सुविधाओं पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इससे आर.एंड.डी. और टेस्टिंग ढांचे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा। बदलती तकनीक और बाजार की मांग को देखते हुए पंजाब के उद्योगों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है।
पंजाब में करीब 66 हज़ार माइक्रो और स्मॉल फूड प्रोसेसिंग यूनिट हैं। इनमें से दो-तिहाई यूनिट गांवों में स्थित हैं। ये यूनिट गुड़, आटा, चावल, दूध से बने उत्पाद, शहद, अचार जैसे सामान बनाने का काम करती हैं। सरकार का इन पर काफी फोकस है।
साथियो,
केंद्र सरकार की ‘‘प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना’’ (PMFME Scheme) के तहत इन्हें सस्ते लोन, ब्रांडिंग, ट्रेनिंग, और रजिस्ट्रेशन संबंधी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों के लिए स्पेशल इंसेंटिव दिए जा रहे हैं।
“एम.एस.एम.ई. फॉर भारत” का यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि समावेशी विकास केवल आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सशक्तिकरण का भी आधार है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, क्रेडिट गारंटी योजना, और स्टार्ट-अप इंडिया जैसी पहलों ने एम.एस.एम.ई. क्षेत्र को नई ऊर्जा दी है।
वर्तमान युग डिजिटल क्रांति का है। एम.एस.एम.ई. को अपनी उत्पादन क्षमता, सप्लाई चेन और मार्केटिंग को मज़बूत करने के लिए ई-कॉमर्स, डिजिटल पेमेंट्स, और ऑटोमेशन जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा।
राज्य सरकार और निजी क्षेत्र का दायित्व है कि वे स्किल ट्रेनिंग, अनुसंधान एवं विकास और इन्क्यूबेशन सेंटर्स के माध्यम से एम.एस.एम.ई. को इनोवेशन का सही प्लेटफॉर्म दें।
हमें यह सुनिश्चित करना है कि पंजाब के हर ज़िले, हर कस्बे और गाँव तक उद्यमिता की लहर पहुँचे। महिलाओं और युवाओं को विशेष प्रोत्साहन देकर हम एम.एस.एम.ई. को रोज़गार सृजन और ग्रामीण-शहरी संतुलन का वाहक बना सकते हैं। हम सबका “मजबूत एम.एस.एम.ई. और प्रगतिशील भारत” का साझा संकल्प होना चाहिए।
अंत में, मैं अमर उजाला को इस महत्वपूर्ण पहल के लिए एक बार फिर बधाई देता हूँ और सभी उद्यमियों, नीति निर्माताओं और उद्योग प्रतिनिधियों से अपील करता हूँ कि वे मिलकर पंजाब और चंडीगढ़ को एम.एस.एम.ई. नवाचार और विकास का आदर्श केंद्र बनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिंद!