THE PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INTERNATIONAL DAY OF SENIOR CITIZENS AT CHANDIGARH ON OCTOBER 3, 2025.
- by Admin
- 2025-10-03 18:30
अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 03.10.2025, शुक्रवार समयः सुबह: बजे स्थानः लुधियाना
नमस्कार!
यह मेरे लिए अत्यंत सम्मान की बात है कि आज हम सब एक साथ मिलकर ‘अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस’ मना रहे हैं। यह दिन हमारे समाज के बुजुर्गों को सम्मान देने का अवसर है, जो उनके ज्ञान, शक्ति और अमूल्य योगदान की पहचान भी है।
मैं ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे समाज के सबसे महत्वपूर्ण अंग माने जाने वाले हमारे वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान में आयोजित इस समारोह में आमंत्रित किया।
ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट ने अध्यक्ष श्री अनिल मोंगा के नेतृत्व में 1995 में अपनी यात्रा शुरू की, जिसका उद्देश्य गरीबी को खत्म करने के साथ वंचित लोगों के जीवन में बदलाव लाना है।
ट्रस्ट ने अपनी सेवाओं को सात मुख्य क्षेत्रों में केंद्रित किया है। जिनमें:
1. ब्रह्मभोग पहल के अन्तर्गत पिछले 29 वर्षों से रोज़ाना जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्तमान में 15 हजार भोजन प्रतिदिन परोसे जाते हैं, लक्ष्य 20 हजार है।
2. मार्गदर्शन पहल के अन्तर्गत युवाओं की प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षित किया जाता है तथा उनके कौशल के अनुसार उन्हें नौकरियां प्रदान की जाती हैं। अब तक 10 हज़ार युवाओं को लाभ मिल चुका है।
3. कर्मा हेल्थकेयर पहल के तहत गरीब और असहाय लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। रोज़ाना 500-600 मरीजों का उपचार किया जाता है।
4. हेवन्ली पैलेस एक अनूठी पहल है जो 14 एकड़ में फैला दुनिया का सबसे बड़ा वरिष्ठ नागरिक गृह है। इसमें 330 कमरे, 200 सुइट्स, भोजनशाला, सभागार, मनोरंजन स्थल और स्वास्थ्य व सुरक्षा सुविधाएँ उपलब्ध हैं। वर्तमान में यहां 450 वरिष्ठ नागरिक रह रहे हैं।
5. हेवन्ली एंजल्स पहल एक अनाथालय है। वर्तमान में यहां 150 बच्चे रह रहे हैं और इसकी क्षमता 350 बच्चों को आश्रय देने की है। यहां बुजुर्ग और बच्चे एक-दूसरे के अनुभव व स्नेह साझा कर आनंदमय जीवन जी रहे हैं।
6. जॉयफुल लिविंग उन बुजुर्गों के लिए आश्रय है जो परिवारहीन हैं। यहाँ उन्हें सम्मानजनक, सुरक्षित और स्नेहपूर्ण वातावरण प्रदान किया जाता है।
7. ग्लोबल पीस एंड हार्मनी इनिशिएटिव के अन्तर्गत विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले लोगों के बीच शांति, सौहार्द और सामंजस्य को बढ़ावा दिया जाता है। यह विश्व बंधुत्व और मानव एकता का संदेश देती है।
मैं समझता हूँ कि ट्रस्ट की ये सभी पहलें सच्चे अर्थों में सेवा, करुणा और मानवता के आदर्श उदाहरण हैं।
देवियो और सज्जनो,
हम सभी जानते हैं कि वरिष्ठ नागरिक किसी भी समाज की अमूल्य निधि होते हैं। वे अनुभव, ज्ञान, संस्कृति और नैतिकता के जीते-जागते स्तंभ हैं, जिन्होंने वर्षों अपनी मेहनत, बुद्धिमत्ता एवं त्याग के माध्यम से हमारा आज संवारा है।
आज के तेज़ी से बदलते दौर में जब आधुनिकता के प्रभाव से परंपराएँ और मूल्य चुनौती के सामने खड़े हैं, तब वरिष्ठ नागरिकों का महत्व और भी बढ़ जाता है।
भारत जैसे देश में, जहाँ संयुक्त परिवार, सांस्कृतिक रीति-रिवाज तथा उच्च सामाजिक मूल्यों की सदियों पुरानी परंपरा रही है, वहां बुजुर्गों को न केवल सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है बल्कि परिवार व समाज निर्माण में उनकी भूमिका के लिए भी उनका मार्गदर्शन सर्वोपरि माना जाता है।
वर्तमान समय में बढ़ती उम्र, बदलते सामाजिक ताने-बाने, आर्थिक असमानता, स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं तथा बदलती पारिवारिक प्रणालियों के बीच वरिष्ठ नागरिकों के प्रति समाज की जिम्मेदारी और भी अहम हो जाती है। आवश्यकता है कि हम उनकी अनुभव-सम्पदा, योगदान और आवश्यकताओं को समुचित समझें, उनकी चुनौतियों को स्वीकारें, और उन्हें समाज में वे सभी अधिकार और सम्मान दें जिनके वे सच में हकदार हैं।
साथियो,
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में वरिष्ठ नागरिकों को अत्यंत उच्च दर्जा प्राप्त है। ‘मातृदेवो भव’, ‘पितृदेवो भव’ जैसी वाक्यावली हमारी पारंपरिक आस्था में गहराई से रची-बसी है, जो हमें माता-पिता और बड़ों के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और श्रद्धा की सीख देती है।
भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, तत्र रमन्ते देवताः’, अर्थात जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है, वहाँ देवता वास करते हैं। इसी भाव को आगे बढ़ाते हुए कहा जा सकता है कि ‘यत्र वृद्धाः पूज्यन्ते, तत्र स्थिरता समाजस्य’ अर्थात जिस समाज में बुजुर्गों का सम्मान होता है, वहाँ स्थिरता, समृद्धि और खुशहाली सुनिश्चित होती है।
‘श्रवण कुमार’ जैसे उदाहरण भारतीय समाज में आदर्श माने जाते हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता की अंत तक सेवा की। हमारे रामायण और महाभारत के धार्मिक ग्रंथों, उपनिषदों तथा पुराणों आदि सभी में वृद्धजनों के अनुभवजन्य निर्देश और आशीर्वाद को सर्वोपरि स्थान दिया गया है।
किसी भी भारतीय परिवार की नींव बुजुर्गों के अनुभव, विवेक और त्याग पर खड़ी होती है। वे न केवल परंपराओं, सामाजिक रीति-रिवाजों के संरक्षक होते हैं, बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं।
प्राचीन काल से ही वृद्धजनों के कुशल नेतृत्व और अनुभव आधारित निर्णयों को सर्वोच्च महत्व दिया जाता रहा है। चाहे वह पंचायत प्रणाली हो या वैदिक सभाएँ, बुजुर्गों की सम्मति को ही समाज का आधार माना जाता था। आज भी भारतीय परिवारों में त्यौहार, संस्कार, धार्मिक अनुष्ठान, विवाह आदि महत्वपूर्ण अवसरों पर निर्णय वरिष्ठ सदस्यों की सहमति से ही लिए जाते हैं।
चाहे वरिष्ठ नागरिकों का योगदान अतुलनीय है, फिर भी वे आज अनेक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और भावनात्मक समस्याएँ प्रमुख हैं।
समाज में बढ़ते एकल परिवारों की प्रवृत्ति, पति-पत्नी के नौकरीपेशा होने, शहरीकरण तथा पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बुजुर्ग प्रायः उपेक्षित हो रहे हैं। कुछ मामलों में तो मानसिक, मौखिक या आर्थिक शोषण जैसी घटनाएँ भी देखने को मिलती हैं, जिससे बुजुर्गों में हीनता, असुरक्षा व निराशा बढ़ जाती है।
इन चुनौतियों का सामना केवल सरकारी योजनाओं के भरोसे नहीं किया जा सकता, इसके लिए समाज, परिवार तथा हर नागरिक की सहभागिता अनिवार्य है।
भारत सरकार और अनेक राज्य सरकारों ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ, नीतियाँ और सुरक्षा उपाय लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य उनकी गरिमा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है।
इनमें वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम 2007 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि यदि परिवारजन अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल से इनकार करें, तो वे अपने बच्चों या परिजनों पर भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं। इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना निर्धन वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक संबल देती है, वहीं आयुष्मान भारत योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ 70 वर्ष या उससे अधिक आयु वालों को विशेष स्वास्थ्य सुरक्षा और गंभीर बीमारियों में राहत प्रदान करती हैं।
इसके साथ ही, रेलवे, बस और विमान यात्रा में रियायतें, बैंकिंग और पेंशन सुविधाओं में प्राथमिकता, तथा सीनियर सिटीजन कार्ड जैसी व्यवस्थाएँ उन्हें सुविधा और सम्मान देती हैं। कई राज्यों ने तो कम्युनिटी डे-केयर सेंटर, वृद्धाश्रम, मोबाइल मेडिकल इकाइयाँ, जिला-स्तरीय हेल्पलाइन और बुजुर्गों के शोषण के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई जैसी सेवाएँ भी आरंभ की हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास के अधीन वृद्धजनों के सहयोग की विशेष व्यवस्था करेगा।
तथापि यह विडंबना है कि आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण और हमारे युवाओं के रोजगार के लिए शहरी इलाकों में प्रवास से ऐसे हालात पैदा हो गए हैं, हमारी पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली का स्थान एकल परिवार ढांचा लेता जा रहा है जहां बुजुर्ग अपेक्षित सम्मान, प्रेम और देखभाल से वंचित हो रहे हैं।
हमें अपने बुजुर्गों के आत्मविश्वास को मजबूत बनाना चाहिए। उनकी पीढ़ी ने ही आधुनिक जीवंत भारत का निर्माण किया है जिनका हम आनंद उठा रहे हैं और अपने भविष्य की ओर पूरी आशा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारे बुजुर्गों को निश्चित रूप से यह अहसास होना चाहिए कि वे अपनी मेहनत और हमारी समृद्धि में अपने योगदान का आनंद उठा रहे हैं।
वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों और सुरक्षा का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए। यह हमारी संस्कृति है और संस्कार भी। हमारी भारतीय संस्कृति ने ‘‘परोपकार’’ को परम धर्म माना है। वसुधैव कुटुंबकम् का भाव भी इसी में निहित है।
हमें चाहिए कि वरिष्ठ नागरिकों से संवाद बनाए रखें। उनके अनुभव, सुझाव और मार्गदर्शन का लाभ लें। जीवन के हर समारोह, निर्णय और गतिविधि में उन्हें शामिल करें। उनकी जरूरतों, इच्छाओं, स्वास्थ्य समस्याओं और आत्मसम्मान का सम्मान करें। आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य, कानूनी, वित्तीय व मनोवैज्ञानिक सहायता दें।
परिवार हो, पड़ोसी या समाज का कोई अन्य वर्ग, हमें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में बुजुर्गों के प्रति विनम्रता, सहानुभूति, सहायता और सम्मान का भाव रखना चाहिए। बच्चों में बचपन से ही बुजुर्गों का आदर, सेवा और संवाद का संस्कार जगाएं ताकि अगली पीढ़ियाँ भी इस अमूल्य लोकाचार को अपनाएँ।
देवियो और सज्जनो,
आज जब हम वरिष्ठ नागरिक दिवस मना रहे हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि हमारे बुजुर्ग ज्ञान, अनुभव और संस्कृति के भंडार हैं। उन्होंने हमारे लिए मार्ग प्रशस्त किया है, और अब हमारी जिम्मेदारी है कि उनके जीवन के संध्याकाल में उन्हें गरिमा, देखभाल और प्रेम प्रदान करें।
अंत में, मैं ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के सभी कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और समर्थकों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ, जिनकी निःस्वार्थ सेवा और परिश्रम एक दयालु और समावेशी दुनिया का निर्माण कर रही है।
यहाँ उपस्थित सभी वरिष्ठ नागरिकों को मेरा हृदय से आभार। आपने हमें अपना समय, ज्ञान और स्नेह दिया है। अब हमारी बारी है कि हम आपको आदर, सम्मान और स्नेह दें।
ईश्वर करे कि ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट इसी प्रकार प्रेरणा देता रहे और असंख्य जीवनों को शांति, सौहार्द और देखभाल की दिशा में आगे बढ़ाता रहे।
धन्यवाद,
जय हिन्द!