SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA DURING INAUGURATION OF 20 MODEL ANGANWADI CENTERS (FUNCTIONAL IN 12 ANGANWADI BUILDINGS), 30 SAKSHAM ANGANWADI CENTERS AND POSHAN AMRIT VAN AT COMPOSITE ANGANWAD
- by Admin
- 2025-09-30 11:55
मॉडल आंगनवाड़ी भवन के उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 29.09.2025, सोमवार समयः शाम 4:30 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
मुझे आज 8वें राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर सेक्टर 41 में मॉडल आंगनवाड़ी भवन के उद्घाटन सहित अन्य 19 मॉडल केन्द्रों और 30 सक्षम आंगनवाड़ी केन्द्रों के शुभारंभ के इस विशेष अवसर पर आप सबके बीच उपस्थित होकर अत्यंत संतोष और गर्व की अनुभूति हो रही है।
हम सभी जानते हैं कि 8 मार्च 2018 को राजस्थान के झुंझुनू में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू किया गया पोषण अभियान, एक ऐसा मिशन है, जिसके साथ कई प्रमुख मंत्रालय जुड़े हुए हैं और जिसे भारत के राष्ट्रीय विकास एजेंडे में पोषण को सबसे आगे रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस अभियान का उद्देश्य हमारे देश के बच्चों, माताओं और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाना है। पोषण अभियान का उद्देश्य आंगनवाड़ी केंद्रों और समुदाय स्तर पर पोषण शिक्षा, स्वस्थ भोजन और स्वास्थ्य जांच के माध्यम से कुपोषण, एनीमिया और बौनेपन जैसी चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटना है।
हर साल पोषण माह, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन के महीने यानी सितंबर माह में मनाया जाता है, जो राष्ट्रीय प्रगति की आधारशिला के रूप में पोषण के प्रति प्रधानमंत्री जी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सशक्त नारी और सुपोषित भारत के उनकी विचारधारा के अनुसार, पीएम मोदी जी ने अपने 75वें जन्मदिन पर ‘स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान’ (एसएनएसपीए) के साथ 8वां राष्ट्रीय पोषण माह शुरू किया है।
देवियो और सज्जनो,
पोषण माह के अवसर पर आज का यह उद्घाटन नवजात और छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और माताओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा और ठोस कदम है। यह मॉडल केंद्र संवेदनशील सेवा, पोषण, शिक्षा और देखभाल के केंद्र बनेंगे, जो हमारे समाज की सबसे ज़रूरी नींव को मजबूत करने का कार्य करेंगे।
इन केंद्रों का उद्देश्य न केवल प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा को सुदृढ़ करना है, बल्कि पोषण सेवाओं की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार लाना है। ये मॉडल केंद्र समुदाय के लिए आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेंगे और भविष्य की पीढ़ियों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
मेरा मानना है कि आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों के विकास का पहला पड़ाव होते हैं। इन्हें मॉडल केंद्रों के रूप में उन्नत करना, बेहतर सुविधाओं और उज्ज्वल भविष्य में निवेश करना है। बच्चों के अनुकूल वातावरण, स्वच्छता और गुणवत्तापूर्ण सामग्री ये सभी छोटे बच्चों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाते हैं।
मैं समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग, यू.टी. चंडीगढ़ की सराहना करता हूँ, जिन्होंने आंगनवाड़ी केंद्रों को आधुनिक और उत्तरदायी बनाने में सराहनीय कार्य किया है।
देवियो और सज्जनो,
मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आज हम सुपोषण 3.0 पुस्तिका का शुभारंभ कर रहे हैं। यह पुस्तिका हमारे राष्ट्रीय पोषण मिशन का अगला महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य बच्चों, माताओं और परिवारों के बेहतर स्वास्थ्य और संतुलित पोषण को सुनिश्चित करना है। यह न केवल मार्गदर्शन का एक सशक्त साधन होगी, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को सही पोषण संबंधी ज्ञान और जागरूकता प्रदान करने का प्रभावी माध्यम बनेगी।
इसके साथ ही हम ‘अमृत वैन’पहल का भी शुभारंभ कर रहे हैं, जिसमें डॉ. बी. आर. आंबेडकर संस्थान, मोहाली की सक्रिय भागीदारी है। यह वैन इच्छुक माताओं से सुरक्षित रूप से दूध एकत्र कर अनाथ और कुपोषित शिशुओं तक पहुँचाने का कार्य करेगी, जो एक अत्यंत मानवीय और नवाचारी पहल है।
“एक बूंद अमृत - एक नई ज़िंदगी”का संदेश इस पहल की भावना को अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करता है। यह केवल एक सामाजिक सेवा नहीं, बल्कि विज्ञान, समाज और सेवा की अद्भुत एकजुटता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह हमें संदेश देता है कि जब समाज, विज्ञान और मानवीय संवेदना साथ आते हैं, तब हम न केवल कुपोषण जैसी चुनौती का समाधान खोज सकते हैं, बल्कि अनगिनत शिशुओं को नवजीवन और उज्ज्वल भविष्य देने की दिशा में ठोस कदम बढ़ा सकते हैं।
मैं विभाग, स्वास्थ्यकर्मियों और विशेष रूप से माँ का दूध दान करने वाली माताओं का हृदयपूर्वक धन्यवाद व्यक्त करता हूँ। आइए हम सब मिलकर इसे एक आंदोलन का रूप दें, इसे जन-जन तक पहुँचाएँ, और सुनिश्चित करें कि हर बच्चे को स्वस्थ जीवन की शुरुआत मिले और हर माँ सशक्त बने।
देवियो और सज्जनो,
जिस समाज में बच्चों को शिक्षा और संस्कारों से वंचित रखा जाता है, वहां उनके भटकने की संभावनाएं भी उतनी ही अधिक होती हैं। यदि प्रारंभिक उम्र में बच्चों को उपयुक्त मार्गदर्शन, नैतिक मूल्यों और सुसंस्कृत वातावरण से वंचित कर दिया जाए, तो उनके जीवन में अनुशासन, उद्देश्य और सकारात्मक दिशा का अभाव हो सकता है, जिससे वे अनजाने में असामाजिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
इस संदर्भ में आंगनवाड़ी केंद्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये केंद्र न केवल बच्चों को पोषण और शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें सुसंस्कारित नागरिक बनाने की दिशा में भी मजबूत नींव रखते हैं।
यहां बच्चों को सामूहिक जीवन, अनुशासन, आदर, स्वच्छता, सहभागिता और सीखने के प्रति जिज्ञासा जैसे गुण सिखाए जाते हैं, जो जीवन भर उनके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बनते हैं।
अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि समाज के प्रत्येक बच्चे, विशेषकर वंचित वर्ग के बच्चों को, प्रारंभिक अवस्था से ही ऐसा सकारात्मक, सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण मिले, जो आंगनवाड़ी केंद्र उन्हें समर्पित भाव से उपलब्ध करवा रहे हैं।
इसलिए, आंगनवाड़ी केंद्रों को जितना अधिक सुविधा-संपन्न, सुरक्षित, आकर्षक और सुदृढ़ बनाया जाए, उतना ही हमारे राष्ट्र के भविष्य की बुनियाद को मज़बूती मिलेगी। यह केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड नहीं, बल्कि एक भावी स्वस्थ, शिक्षित और संस्कारित भारत की दिशा में एक दूरदर्शी निवेश है।
देवियो और सज्जनो,
मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उस दूरदर्शी लक्ष्य के अनुरूप है, जिसके तहत वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया गया है।
ये मॉडल केंद्र न केवल बच्चों के समग्र विकास, पोषण और पूर्व-प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में ठोस प्रयास हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि ‘विकसित भारत’की परिकल्पना की नींव नवजातों और माताओं की बेहतर देखभाल और पोषण से जुड़ी है।
इस पहल के माध्यम से हम यह संदेश भी दे रहे हैं कि भारत का भविष्य स्वस्थ, शिक्षित और सशक्त बाल पीढ़ी के निर्माण में निहित है और यह परिवर्तन आंगनवाड़ी जैसे मूलभूत संस्थानों के सशक्तिकरण से ही संभव है।
यदि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने कार्य को केवल एक ड्यूटी या रोज़मर्रा की जिम्मेदारी न मानकर, इसे राष्ट्र निर्माण की एक पवित्र साधना के रूप में देखें, तो वे निश्चय ही इन नन्हे बच्चों के माध्यम से देश को जागरूक, संस्कारित और जिम्मेदार नागरिक देने में सक्षम हो सकती हैं।
यदि हमारे बच्चे स्वस्थ, शिक्षित और सशक्त होंगे, तभी हमारा देश भी स्वस्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकेगा। एक स्वस्थ राष्ट्र की नींव उसकी स्वस्थ भावी पीढ़ी पर ही टिकी होती है। इसलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि हर मुस्कुराता, स्वस्थ, और सीखने को आतुर बच्चा, एक विकसित भारत की ओर उठाया गया ठोस कदम है।
और जब देश स्वस्थ होगा, तभी हम 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के माननीय प्रधानमंत्री जी के विज़न को साकार करने में सफल हो सकेंगे। इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका मात्र सहयोगी की नहीं, बल्कि अग्रदूतों की होगी।
देवियो और सज्जनो,
आज के इस युग में जब हम तकनीक, आधारभूत संरचना और समावेशी विकास की बात करते हैं, तब यह आवश्यक हो जाता है कि प्राथमिक स्तर पर सेवा देने वाले संस्थान भी आधुनिक सुविधाओं से युक्त हों।
इन नए मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों में बेहतर भवन, सुरक्षित वातावरण, स्वच्छता, खेल सामग्री, और डिजिटल शिक्षण के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे शिशु विकास, मातृ पोषण और पूर्व प्राथमिक शिक्षा को एक नई दिशा मिल सके।
मैं यह आशा करता हूँ कि ये केंद्र एक आदर्श उदाहरण बनेंगे, जहाँ हमारे बच्चों की आंगनवाड़ी रूपी पहली पाठशाला सिर्फ पोषण और देखभाल तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए संस्कार, स्वास्थ्य और शिक्षा का मजबूत आधार बनेगी।
आइए, हम सभी मिलकर कुपोषण मुक्त भारत की दिशा में अपने प्रयासों को और सशक्त बनाएं। इन मॉडल आंगनवाड़ियों को परिवर्तन के प्रेरक उदाहरण बनाएं।
आज हम सेवा पखवाड़ा और राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर हम सभी मिलकर इस सोच को आगे बढ़ाएं कि हर बच्चा स्वस्थ हो, हर माँ सशक्त हो और हर परिवार शिक्षित और जागरूक हो।
हमारे सामूहिक प्रयासों के माध्यम से प्रधानमंत्री जी का नारा “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” वास्तविकता में बदल रहा है।
आप सभी को इस महत्वपूर्ण अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!