SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF DIAMOND JUBILEE CELEBRATIONS OF INDIA PAKISTAN WAR 1965 AT TARN TARAN ON SEPTEMBER 30, 2025.

1965 के युद्ध के 60 वर्ष पूर्ण होने पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 30.09.2025,  मंगलवारसमयः सुबह 10:30 बजेस्थानः खेम करन, पंजाब

         

नमस्कार!

सम्मानित जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ पश्चिमी कमाँड, जनरल ऑफिसर कमांडिंग 11 कोर, 7 इंफैंट्री डिवीजन के बहादुर जवान, पूर्व सैनिकगण, वीरता पदक प्राप्त योद्धागण, अतिथिगण, देवियो और सज्जनो,

आज हम सभी यहाँ असल उत्तर की इस ऐतिहासिक भूमि पर 1965 के भारत पाक युद्ध के उस गौरवशाली अध्याय की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, जिसने भारत के साहस, एकता और अटूट राष्ट्रीय संकल्प को स्वर्णाक्षरों में दर्ज किया। 

असल उत्तर की इस ऐतिहासिक भूमि पर 60 साल पहले 1965 के भारत पाक युद्ध में हमारी सेना ने असाधारण साहस और वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन की योजनाओं को विफल किया। मैं उन सभी शूर वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। यहाँ के नागरिकों को भी मैं तहे दिल से नमन करता हूँ जिन्होंने हमारी सेना का साथ दिया और सहयोग किया।

यह युद्ध इतिहास की सबसे बड़ी टैंक लड़ाइयों में माना जाता है, जिसे ‘पेटन टैंक का कब्रिस्तान’ भी कहा गया है। असल उत्तर की विजय न केवल हमारी सैनिक क्षमता की पहचान थी, बल्कि यह पूरे राष्ट्र के आत्मबल, साहस व एकता का प्रमाण भी था।

1965 का युद्ध हमारी यादों में हमेशा रहेगा। यहाँ की धरती पैटन टैंकों का कब्रिस्तान बनी और दुनिया ने देखा कि भारतीय जवान किसी भी ताक़तवर मशीन से ज्यादा मज़बूत हौसले रखते हैं। इस अवसर पर मैं यहाँ उपस्थित सभी पूर्व सैनिकों, वीर नारियों एवं वीर माताओं तथा बहादुर जवानों के परिवार जनों को विशेष रूप से नमन करता हूँ। 

इस रणभूमि से निकली वीरगाथाओं में कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उन्होंने केवल एक रिकॉयलेस गन से दुश्मन के कई पैटन टैंक ध्वस्त कर दिए जिन्हें उस समय का सर्वश्रेष्ठ टैंक माना जाता था। आज उनका परिवार भी हमारे बीच मौजूद है। मैं उन्हें विशेष रूप से नमन करता हूँ और कहना चाहता हूँ कि अब्दुल हमीद, सिर्फ आपके ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का स्वाभिमान हैं।

साथियो,

आज मैं भारतीय सेना के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूँ। हमारी सेना ने न केवल 1965 जैसे युद्ध में इतिहास रचा, बल्कि आज के समय में भी देश की सीमाओं की सुरक्षा, जनता के विश्वास और शांति बनाए रखने में अमूल्य योगदान दिया है। पश्चिमी कमाँड की Vajra Corps, Golden Arrow Division, INTACH और सिविल प्रशासन के साझा परिश्रम से इस पावन धरती को एक प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर विकसित किया गया है। 

यह Archive cum Museum, Abdul Hamid Gallery और ऊँचा लहराता तिरंगा हमारे सभी योद्धाओं के शौर्य को समर्पित एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है। यह सुनिश्चित करेगा कि अब्दुल हमीद जैसे वीरों और अनेक नायकों का साहस सदैव अमर रहेगा। यह War Memorialआने वाली पीढ़ियों के लिए वीरता और देशभक्ति का प्रतीक रहेगा।

साथियो,

1965 के युद्ध की बात करें तो इसके पीछे की पाकिस्तान की रणनीति यह थी कि उसकी टैंक फोर्स भारत को पीछे धकेलते हुए अमृतसर और लुधियाना को कब्ज़े में ले ले। मगर असल उत्तर में भारतीय जनरलों की विलक्षण रणनीति, सैनिकों के शौर्य और गाँववासियों के सहयोग के कारण भारत ने न केवल दुश्मन की योजनाओं को विफल किया, बल्कि पूरे विश्व में अपनी सैन्य क्षमता का लोहा मनवाया।

भारतीय सेना ने अपनी ‘स्वॉम्प ट्रैप’ रणनीति के तहत जलभराव कर क्षेत्र को टैंकों के लिए दलदल में तब्दील कर दिया, जिससे दुश्मन के भारी टैंक वहीं फंस गए। परिणामस्वरूप, भारतीय जवानों ने बहादुरी से दुश्मन के 97 टैंक नष्ट किए, जिसमें पाकिस्तान के तब नाजाने कितने ‘पेटन’ टैंक शामिल थे, जो उस समय विश्व के सबसे उन्नत युद्धक टैंक समझे जाते थे।

असल उत्तर की विजय ने भारतीय सेना को यह विश्वास दिलाया कि सामरिक कौशल और साधनों के सीमित होते हुए भी, मनोबल, नेतृत्व और रणनीति के दम पर दुश्मन को हराया जा सकता है।

1965 के युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का “जय जवान, जय किसान” का नारा सिर्फ एक उद्घोष नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प बना। इसने देश को सिखाया कि सीमा की रक्षा करने वाला जवान और अन्न उपजाने वाला किसान, दोनों ही राष्ट्र की असली ताकत हैं। शास्त्री जी का यह संदेश उस कठिन समय में सेना के साहस और किसानों की मेहनत को एक साथ प्रेरणा देता रहा।

साथियो,

भारत ने समय-समय पर यह सिद्ध किया है कि उसकी संप्रभुता को चुनौती देने वालों को हमेशा करारा जवाब मिलेगा। 1947-48 के पहले युद्ध से लेकर 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध तक, हर बार पाकिस्तान को शिकस्त का सामना करना पड़ा। हाल के वर्षों में भी भारत ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक इसके सशक्त उदाहरण हैं।

दुर्भाग्य से, हमारा पड़ोसी देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की बात करता है, परंतु आतंकी संगठनों को समर्थन देना नहीं छोड़ता। लेकिन अब भारत बदल चुका है। अब यह सहन करने के बजाय सटीक और निर्णायक जवाब देता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी नए भारत की दृढ़ नीति और अडिग संकल्प का प्रतीक है कि राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और आतंकवाद का उत्तर हमेशा निर्णायक होगा।

इसके अलावा आज हमें नार्को-टेररिज़्म की गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान हमारे युवाओं को निशाना बनाने के लिए ड्रोन के माध्यम से पंजाब और अन्य सीमावर्ती राज्यों में नशे की तस्करी कर रहा है, ताकि नशे का ज़हर फैलाकर देश की सामाजिक संरचना को कमजोर किया जा सके। यह छुपा हुआ युद्ध हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और भविष्य दोनों के लिए गंभीर खतरा है।

भारत सरकार और हमारी सुरक्षा एजेंसियाँ इस खतरे को पूरी तरह समझते हुए मज़बूत कदम उठा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एंटी-ड्रोन सिस्टम और हाई डेफिनेशन कैमरे लगाए जा रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय व राज्य खुफिया एजेंसियाँ और राज्य पुलिस बल लगातार ड्रग्स की खेपों को पकड़ रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क को तोड़ रहे हैं और आतंकवाद को आर्थिक बल देने वाले सिंडिकेट्स का सफाया कर रहे हैं।

इसी दिशा में, पंजाब के राज्यपाल द्वारा गठित विलेज डिफेंस कमेटियाँ भी स्थानीय स्तर पर अहम भूमिका निभा रही हैं। ये कमेटियाँ गाँवों में संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखकर समय पर सुरक्षा एजेंसियों को सूचना देती हैं, जिससे नशा और आतंक से जुड़े नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के प्रयासों को बल मिलता है। 

इन कमेटियों और सुरक्षा एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। अब इनकी क्षमता को और अधिक मजबूत किया जाएगा, ताकि इस राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर हम निर्णायक जीत हासिल कर सकें और अपने युवाओं को नशे के इस जहर से बचाकर देश का उज्ज्वल भविष्य सुरक्षित रख सकें।

साथियो,

2025 के भारत ने पिछले 60 वर्षों में सेना को जिस प्रकार अत्याधुनिक, सक्षम और अंतरराष्ट्रीय स्तर की फोर्स बनाया है, वह अपने आप में गौरव की बात है। 

हाल ही में भारतीय सेना ने वैश्विक रैंकिंग्स में टॉप 4 में जगह बनाई है, जिससे यह स्पष्ट है कि ब्रह्मोस, प्रलय, अग्नि मिसाइल, राफेल जेट्स, ‘अर्जुन’ तथा ‘टी90 भीष्म’ टैंकों के साथ-साथ एंटी-सैटेलाइट मिसाइलों, एडवांस्ड रडार और ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीकों के कारण आज भारत रक्षा के क्षेत्र में स्वावलंबन और उच्च तकनीकी क्षमता का प्रतीक है।

हमारी सेनाओं ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, स्वार्म ड्रोन और नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर जैसी आधुनिक तकनीकों को तेज़ी से अपनाया है। उच्चस्तरीय संयुक्त सेना-कमांड प्रशिक्षण और देश-विदेश में नियमित सामरिक युद्धाभ्यास ने हमारी पेशेवर क्षमता को और सशक्त बनाया है। इन प्रयासों से भारतीय सेना ‘स्पेस डोमेन’ और ‘साइबर डिफेंस’ में अग्रणी बनी है, जिससे वैश्विक मंच पर हमारी सैन्य प्रतिष्ठा नई ऊँचाई पर पहुँची है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान ने रक्षा क्षेत्र को नई दिशा दी है। ‘मेक इन इंडिया’ नीति से हम न केवल अपने लिए हथियार और रक्षा प्लेटफ़ॉर्म तैयार कर रहे हैं, बल्कि मित्र देशों को भी रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहे हैं। 

सिर्फ सैन्य शक्ति ही नहीं, भारत ने आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। अब भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और लगभग 8 प्रतिशत वार्षिक विकास दर के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ते देशों में शामिल है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, एआई आधारित हेल्थकेयर, ग्रीन एनर्जी, क्वांटम कंप्यूटिंग और चंद्रयान-3 जैसी उपलब्धियों ने हमें वैश्विक नेतृत्व दिलाया है।

आज भारत एक बहुआयामी शक्ति के रूप में उभरा है। UNO, G20, SCO और BRICS जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने शांति, विकास और वैश्विक सुरक्षा के क्षेत्र में प्रभावी नेतृत्व सिद्ध किया है। यह नया भारत हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छूते हुए दुनिया को एक स्थायी और समावेशी भविष्य की ओर ले जा रहा है।

साथियो,

आज जब हम 1965 के युद्ध के विजय दिवस की 60वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो यह केवल इतिहास को याद करने का अवसर नहीं, बल्कि अपने भीतर उस अदम्य जज़्बे को जगाने का संकल्प है, जिसने हमें हर चुनौती पर विजय पाना सिखाया। 

आज, 2025 में, जब भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था, नवाचार, सैन्य शक्ति, एआई-आधारित रक्षा और उत्कृष्ट कूटनीति में विश्व का नेतृत्व कर रहा है।

आइए, इस अवसर पर हम यह संकल्प लें कि अपने वीर सैनिकों के बलिदान को सदैव याद रखेंगे, उनकी निष्ठा और साहस को अपने कर्मों से सम्मानित करेंगे, और अपने राष्ट्र को और अधिक शक्तिशाली, आत्मनिर्भर और गौरवशाली बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे। 

साथ ही, इस पावन दिवस पर हम सब मिलकर यह प्रण लें कि शांति बनाए रखेंगे, एकजुट रहेंगे, और देश की सुरक्षा पर आँच नहीं आने देंगें। मुझे पूरा विश्वास है कि इस कर्मभूमि से हमारे नौजवानों को राष्ट्र सेवा की प्रेरणा मिलेगी और वे देश की रक्षा और उन्नति में भागीदार बनेंगें। 

भारत माता की जय!

धन्यवाद,

जय हिन्द!