SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF VALEDICTORY SCHEDULE FOR FELICITATION OF CIVIL DEFENCE VOLUNTEERS AT CHANDIGARH ON SEPTEMBER 30, 2025.

सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की पासिंग आउट परेड के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 30.09.2025, मंगलवारसमयः दोपहर 3:30 बजेस्थानः चंडीगढ़

         

नमस्कार!

आज इस भव्य ‘पासिंग आउट परेड’ में समीक्षा अधिकारी के रूप में आपके समक्ष खड़ा होकर मुझे अत्यंत गर्व और जिम्मेदारी का अनुभव हो रहा है।

आज आपने जो अनुशासन, समन्वय और उत्साह का परिचय दिया है, वह केवल प्रदर्शन के लिए नहीं है। यही वह आधार है, जिस पर आप चंडीगढ़ की जनता की सेवा की अपनी यात्रा को आगे बढ़ाएँगे। आज आप पास आउट हो रहे 419 स्वयंसेवक, हमारे समाज की दृढ़ता के स्वेच्छा निस्वार्थ सेवा के सबसे सशक्त स्तंभ का प्रतिनिधित्व करेंगे।

आप सभी युवाओं ने अपनी इच्छा और देश के प्रति अपने कर्तव्यबोध से स्वेच्छा से सिविल डिफेंस वॉलंटियर बनने का निर्णय लिया और कठिन प्रशिक्षण पूर्ण किया है। यह न केवल आपकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि हमारे समाज और देश के लिए आशा की किरण भी है।

आपदा, आपात स्थिति या किसी भी संकट के समय आपकी तैयारियाँ, साहस और समर्पण, समाज के हर वर्ग की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करती हैं। आपने हाल ही में चंडीगढ़ में हुई तेज बारिश के दौरान अपनी पहली ड्यूटी निभाई। 

लगभग 50 वॉलंटियर्स ने सुखना लेक फ्लड गेट, किशनगढ़, बापूधाम सहित अन्य प्रभावित क्षेत्रों में तैनात होकर राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। आपने कठिन परिस्थितियों में अनुशासन, तत्परता और सेवा-भावना का जो जज्बा दिखाया, उसने प्रशासन और आम नागरिकों का दिल जीत लिया है। आपकी प्रतिबद्धता ने नगरवासियों में विश्वास, आश्वासन और सुरक्षा का वातावरण निर्मित किया है।

आप अपने शहर और देश के सच्चे प्रहरी बनकर, दूसरों की सहायता के लिए आगे बढ़े हैं। सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स का कार्य केवल ड्यूटी नहीं, बल्कि सेवा, सहयोग और मानवता का आदर्श है।

साथियो,

आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मुझे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान का वह उल्लेखनीय क्षण याद आ रहा है, जब चंडीगढ़ प्रशासन ने टैगोर थिएटर में स्वयंसेवकों को आपात स्थिति में तैयार रहने के लिए बुलाया था। 

सिर्फ़ कुछ घंटों में ही 7 हजार से अधिक युवाओं ने इस आह्वान का उत्तर दिया। उन्होंने अनिश्चितताओं के बावजूद प्राथमिक चिकित्सा, निकासी अभ्यास (evacuation drills) और भीड़ नियंत्रण जैसे विषयों में प्रारंभिक प्रशिक्षण लेकर सेवा के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया।

यह सहभागिता उस भावना को दर्शाता है, जिसे मैं कहता हूँ, “तैयारी का साहस” यानी ”the courage of readiness”। और आज हमने उसी भावना को और अधिक संगठित और समर्पित रूप में आगे बढ़ाया है।

चंडीगढ़ प्रशासन ने दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत आप में निवेश किया है और आप पर पूर्ण विश्वास प्रकट किया है। यह विश्वास युद्ध के हथियारों में नहीं, बल्कि शांति, बचाव और आशा के साधनों में है। 

आपको आक्रमण हेतु नहीं, बल्कि सुरक्षा हेतु प्रशिक्षित किया गया है। ऐसी दुनिया में, जहाँ प्राकृतिक आपदाओं से लेकर वायु हमलों जैसी अप्रत्याशित चुनौतियाँ सामने आती हैं, आप वही शक्ति हैं, जो अव्यवस्था और व्यवस्था, निराशा और आशा के बीच दृढ़ता से खड़ी रहती हैं।

आपका प्रशिक्षण आपको हर परिस्थिति के लिए तैयार करता है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। जब सायरन बजेगा, तब जहाँ और लोग आश्रय की ओर भागेंगे, आप खतरे की ओर बढ़ेंगे। आप ही सबसे पहले प्रतिक्रिया देंगे, तूफ़ान में शांति बनकर और अंधकारमय समय में मददगार हाथ बनकर।

साथियो,

चंडीगढ़ की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित रणनीतिक भौगोलिक स्थिति इसे न केवल प्राकृतिक आपदाओं, बल्कि सुरक्षा संबंधी खतरों के प्रति भी संवेदनशील बनाती है। ऐसे में केवल प्रशासनिक एजेंसियों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं, बल्कि अब प्रशिक्षित और जागरूक नागरिक स्वयंसेवकों का आगे आना समय की मांग है।

आप सबने जिस प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया है, वह केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि जीवन रक्षक तैयारी है। अब आप प्रशिक्षु नहीं, बल्कि संकट के समय समाज की पहली प्रतिक्रिया, सहायता और सहारा बन गए हैं। आप सभी वॉलंटियर्स अब सैद्धांतिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक और जीवनरक्षक कौशल के साथ तैयार हैं, जो किसी भी आपदा या संकट के समय समाज और प्रशासन को महत्वपूर्ण सहयोग देंगे।

आप वह फ़ौज नहीं जिसमें बंदूक होती है, पर आप वह ताकत हैं जो जब देश पर विपदा का बादल मंडराता है, तो निडर होकर आगे आती है। आपके कदमों में जिस निष्ठा और आपकी आँखों में जिस दृढ़ता का प्रतिबिंब दिखता है, वही हमारी सच्ची शक्ति है। 

आपमें से हर एक ने यह तय करके इस सेवा में प्रवेश किया कि जब युद्ध जैसी प्राकृतिक आपदा आए, इमारतें धराशायी हों या बाढ़ का पानी घरों में समा जाए, आप सबसे पहले मदद के लिए पहुँचेंगे। यही भावना राष्ट्र की नम्र सेवा ही उसका सबसे बड़ा शस्त्र है। 

याद रखिए, आप केवल स्वयंसेवक नहीं, बल्कि समाज की रक्षा करने वाले सत्य, साहस और मानवता के दीपक हैं। आपदा के अँधेरे में यदि कोई रोशनी होगी, तो वह आपके हाथों से जलेगी। अपनी काबिलियत, अनुशासन और करुणा के बल पर आप हमारी उत्तरदायित्वपूर्ण प्रणाली को संजीवनी प्रदान करेंगे। 

अब हर वार्ड, हर बाजार, हर मोहल्ला संकट की घड़ी में आपकी तत्परता से समर्थ रहेगा, चाहे संचार बाधित हो, या संसाधनों का दबाव हो। यह प्रशिक्षण एक दीर्घकालिक निवेश है, जो समाज को आत्मनिर्भर, संकट-प्रभारी और आशावान बनाता है।

सबसे बड़ा परिवर्तन यह है कि आपने अभ्यास और निर्देशों को जीवन की आदत बना लिया है। अब आपके भीतर वह मानसिकता विकसित हो गई है, जो अराजकता में संयम, डर में दृढ़ संकल्प, और स्वार्थ की जगह सामूहिक भलाई को प्राथमिकता देना सिखाती है।

अब, जब भी कोई संकट या आपात स्थिति आती है, आप प्राथमिक चिकित्सा, निकासी, अग्निशमन, भीड़ नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण क्षमताओं के साथ तत्परता से सेवा देने के लिए तैयार हैं। आपकी दक्षता से अनगिनत जीवन बचाए जा सकते हैं।

मुझे पूरा विश्वास है, जैसे हमारे युवा तकनीकी, शिक्षा और खेलों में देश का मान बढ़ा रहे हैं, वैसे ही आप भी आपदा व आपात स्थिति में साहस और दक्षता के साथ सामने आकर समाज की रक्षा करेंगे।

अब आप अपने परिवार, मोहल्ले और शहर के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आप पहले उत्तरदाता, साहसी सहयोगी और समाज की जुझारू आत्मा बन गए हैं। “भारत के युवा केवल भविष्य नहीं, वर्तमान की रीढ़ हैं” और आप सभी इस रीढ़ को मजबूत और संगठित करने में अपनी भूमिका निभाएंगे।

इसलिए, मैं आप सबसे आग्रह करता हूँ कि प्रशिक्षण में सीखे जीवनरक्षक कौशल को निरंतर अपनाए रखें। समाज को आपकी ऊर्जा, संवेदनशीलता और समर्पण की आवश्यकता है। आगे बढ़िए, सेवा का कार्य करते रहिए!

आज आपने जो शपथ ली है, उसे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएंगे ऐसी मैं आशा करता हूँ।

आपकी वर्दी विश्वास का प्रतीक है, वह विश्वास, जो चंडीगढ़ के नागरिक अपने सबसे नाज़ुक क्षणों में आप पर करेंगे। उस विश्वास का सम्मान करेंगे इसका भी मुझे पूरा भरोसा है।

मैं प्रशिक्षकों और चंडीगढ़ प्रशासन की सराहना करता हूं जिन्होंने उत्साह को दक्षता में बदल दिया है। आपने सक्षम और साहसी व्यक्तियों की एक सशक्त टीम गढ़ी है जिसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।

स्वयंसेवकों के परिवारों के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करता हूँ। आपका सहयोग और प्रोत्साहन ही इनके पंखों के नीचे की हवा है।

और मेरे वीर स्वयंसेवकों, आज कोई अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। आप अब आधिकारिक रूप से ‘आवाम की सेना’ यानी जनता की सेना हैं। इस पहचान को गर्व, साहस और विनम्रता के साथ धारण कीजिए।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप हर अवसर पर खरे उतरेंगे और चंडीगढ़ का नाम और भी ऊँचा करेंगे।

मैं आप सबको हृदय की गहराइयों से बधाई देता हूँ।”

धन्यवाद,

जय हिन्द!