SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASSION OF GOPALSHTAMI MAHOTSAV AT CHANDIGARH ON OCTOBER 30, 2025
- by Admin
 - 2025-10-30 20:45
 
										 गोपाष्टमी महोत्सव के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 30.10.2025, वीरवार समयः शाम 6:30 बजे स्थानः मोहाली 
नमस्कार,
सबसे पहले मैं आप सभी को गोपाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। यह पर्व केवल गौ माता की पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, संवेदना और श्रद्धा का उत्सव है।
आज जब मैं इस पवित्र भूमि माता-पिता गौधाम महातीर्थ में खड़ा हूँ, तो मुझे गर्व और संतोष दोनों हो रहा है। यह स्थान केवल एक गौशाला नहीं, बल्कि संस्कार, सेवा और श्रद्धा का तीर्थ बन चुका है।
इसके संस्थापक श्री ज्ञानचंद वालिया जी ने इस पवित्र ध्येय के साथ यह कार्य शुरू किया कि, ‘‘हर घर में माता-पिता का सत्कार और गौ माता से प्यार- यही है मात-पिता गौधाम का आधार।’’
यह एक ऐसा विचार है जो समाज की आत्मा को छू जाता है। यहाँ एक ऐसा मंदिर आकार ले रहा है जिसमें कोई मूर्ति नहीं होगी, आप अपने मात पिता को यहाँ लाये उनकी पूजा करें, अगर वो इस संसार में नहीं है तो, उनकी स्मृति में उन्हें याद करे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
यह विचार भारतीय संस्कृति के उस अमर संदेश को जीवंत करता है, जिसे हम ‘‘मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः।’ कहते है। इसका अर्थ यह भी होता है, जब कोई अपने माता-पिता की सेवा करता है, तो वह वास्तव में ईश्वर की ही पूजा कर रहा होता है। और यही इस संस्था का मूल संदेश है- सेवा में ही साधना, और माता-पिता में ही भगवान का दर्शन।
हमारे यहाँ गौ माता को ‘‘धेनु माता’’ कहा गया है, जो पालन-पोषण और समृद्धि का प्रतीक हैं। इस संस्थान में 400 से अधिक देसी गौवंशों की सेवा की जा रही है। यह केवल गौ सेवा नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन का उत्कृष्ट उदाहरण है। जहाँ गौ की सेवा होती है, वहाँ सकारात्मकता, शुद्धता और समृद्धि का वास होता है।
मुझे यह जानकर गर्व है कि माता-पिता गौधाम महातीर्थ ने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। संस्था को ब्रिटिश पार्लियामेंट (हाउस ऑफ लॉर्ड्स) में सम्मान, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन में स्थान मिला है और भारत कीर्तिमान सम्मान प्रमाणपत्र प्राप्त है।
ये उपलब्धियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि जब कार्य निस्वार्थ भाव से किया जाता है, तो उसकी गूंज सीमाओं के पार जाती है।
आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में हम अक्सर भूल जाते हैं कि हमारी असली पूँजी क्या है -वह है हमारे माता-पिता का आशीर्वाद और हमारी संस्कृति के मूल्य। यदि हर घर में माता-पिता का सत्कार होगा, तो समाज में कभी अंधकार नहीं रहेगा। और यदि हर हृदय में गौ माता के प्रति प्रेम होगा, तो हमारी धरती सदैव हरी-भरी और पवित्र बनी रहेगी।
देविया और सज्जनो,
मैं आज के युवाओं से विशेष रूप से कहना चाहता हूँ -आधुनिकता अपनाइए, पर अपनी जड़ों को मत भूलिए। आपके माता-पिता आपकी सबसे बड़ी पूँजी हैं, और उनकी सेवा ही आपकी सच्ची साधना है। जो अपने माता-पिता का आदर करता है, वही अपने जीवन में सच्चा नेता, सच्चा नागरिक और सच्चा भारतीय बनता है। और जो अपने माता पिता के आगे झुकता है वो दुनिया में किसी भी बाधा के आगे झुकाए नहीं झुकता।
हमारे पूर्वजों ने सबसे अच्छा परिवारिक मॉडल विकसित किया है जो कि बलिदान, सम्मान और एकजुटता के मूल्यों पर आधारित है। भारत अपनी मजबूत पारिवारिक मूल्य प्रणाली के कारण पूरे विश्व के लिए आदर्श साबित हो सकता है।
भारतीय परिवार प्रणाली न केवल व्यक्तिवाद को हतोत्साहित करती है बल्कि सामूहिकता को भी प्रोतसाहित करती है। भारत अपने संयुक्त परिवार प्रणाली के मजबूत और सहायक ढांचों के माध्यम से आगे बढ़ा है और वर्तमान कद तक पहुंचने में सफल हुआ है। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए एक मजबूत परिवारिक प्रणाली संभवतः सबसे अच्छा उपाय साबित हो सकती है।
देवियो और सज्जनो,
संयुक्त परिवार प्रणाली की विशेषता यह है कि यह जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न करता है, सामंजस्य की प्रवृत्ति और बच्चों में अनुशासन के लिए प्यार की भावना, कम उम्र से ही विकसित करता है। बड़ों का सम्मान करना और उनसे प्यार करना, महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय उनकी अनुभवी बुद्धि का सलाह लेना, जैसे कुछ अभ्यास हैं, जिनका पालन भारतीय संयुक्त परिवारों में किया जाता है।
आज शहरीकरण और आधुनिकीकरण के आगमन के साथ ही, भारत में भी, संयुक्त परिवारों का विखंडन हो रहा हैं, ‘‘लोग नौकरियों की तलाश में पलायन कर रहे हैं और इस प्रकार से सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में नए परिवारिक प्रणाली उभर कर सामने आ रहे हैं, और वे पारंपरिक संयुक्त परिवार मॉडल की जगल ले रहे हैं’’।
मैं मानता हूं कि परिवर्तन अपरिहार्य है। परिवार का जैसा भी प्रणाली हो, बुनियादी मूल्यों ने सदियों से भारतीय परिवारों को एक साथ बनाए रखा और पोषित है, इसलिए उनसे कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि भले ही परिवार शारीरिक रूप से बहुत दूर रह रहे हों, फिर भी उन्हें हमेशा एक-दूसरे के करीब रहना चाहिए, दृढ़ता के साथ प्रेम, भाईचारा और बलिदान के शाश्वत मूल्यों में बंधे रहना चाहिए।
मैं युवा पीढ़ी से आग्रह करता हूं कि वे अपना समय माता-पिता के साथ बिताया करें। आज मोबाइल फोन और टीवी के कारण माता-पिता को पर्याप्त समय नहीं देने की नकारात्मक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
मैं श्री ज्ञानचंद वालिया जी, सभी ट्रस्टीगण, समिति सदस्यों और कार्यकर्ताओं को इस महान कार्य के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।
‘‘माँ-बाप का सत्कार और गौ माता से प्यार’’
वास्तव में भारत की आत्मा को पुनर्जीवित कर रहा है...
मेरी शुभकामनाएँ हैं कि यह संस्था आने वाले वर्षों में और ऊँचाइयाँ छुए, और यहाँ से निकली यह ज्योति हर घर में, हर हृदय में प्रकाश फैलाए।
जय गौ माता, जय गोपाल
धन्यवाद!
जय हिन्द!