SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF UNITY MARCH AT CHANDIGARH ON 31 OCTOBER, 2025

‘‘सरदार@150-यूनिटी मार्च’’ के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 31.10.2025, शुक्रवार

समयः सुबह 6:30 बजे

स्थानः चंडीगढ़

सभी को नमस्कार!

आज हम सभी यहाँ भारत के लौह पुरुष, सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एकत्र हुए हैं। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, अखंडता और आत्मनिर्भरता के संकल्प का उत्सव है।

आज हम सभी एक ऐतिहासिक क्षण के साक्षी हैं, जब भारत के लौह पुरुष, एकता के शिल्पकार, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘सरदार@150 यूनिटी मार्च’ के माध्यम से देशभर में एक नया जनआंदोलन जागृत हो रहा है। यह आयोजन केवल एक स्मरणोत्सव नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है, एक संकल्प है - भारत की विविधता को एकता में बदलने की प्रेरणा और सामर्थ्य का उत्सव।

‘सरदार@150 एकता मार्च’ का मुख्य उद्देश्य हमारे युवाओं में एकता, देशभक्ति, नागरिक जिम्मेदारी और सेवा भावना के मूल्यों को फिर से जागृत करना है। आज जिस भारत को हम एकजुट और सशक्त रूप में देखते हैं, उसकी नींव सरदार पटेल ने अपने दूरदर्शी नेतृत्व और अदम्य इच्छाशक्ति से रखी थी। यह आयोजन उन्हीं आदर्शों को व्यावहारिक जीवन में उतारने का आग्रह करता है - ताकि हर युवा “एक भारत, आत्मनिर्भर भारत, अखंड भारत, विकसित भारत” के सपनों को अपने जीवन का लक्ष्य बनाए।

इस अभियान का संकल्प मात्र कुछ दिनों का नहीं, यह एक सतत परिवर्तन की प्रक्रिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जनभागीदारी से राष्ट्र निर्माण’ के विज़न से प्रेरित यह पहल युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के MY Bharat प्लेटफार्म द्वारा संचालित है। इसमें राष्ट्र के सबसे सक्षम वर्ग - युवाओं - को देश की एकता, सेवा और आत्मनिर्भरता के संदेश का संवाहक बनाया गया है। यह आयोजन यह संदेश देता है कि देश की एकता तब मजबूत होती है, जब हर नागरिक न्याय, कर्तव्य और अनुशासन के स्वभाव को अपनाता है।

चंडीगढ़ प्रशासन और MY Bharat, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित यह यूनिटी मार्च सरदार पटेल जी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम है। 

मुझे यह जानकर खुशी हुई इस पदयात्रा में लगभग 800 युवा सहभागी बनकर देश की एकता और युवा शक्ति का संदेश देंगे। आज जब युवा कदम मिलाकर आगे बढ़ेंगे, तो वह केवल चलना नहीं होगा-वह एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को साकार करने की यात्रा होगी।

आज हम सभी यहाँ नशामुक्त भारत और आत्मनिर्भर भारत का संकल्प भी लेंगे। युवाओं से मेरा आग्रह है-अपने जीवन से हर प्रकार की नशे की बुराई को दूर रखें, क्योंकि एक स्वच्छ, स्वस्थ और सशक्त युवा ही राष्ट्र की असली ताकत होता है। आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है।

आज भारत का युवा केवल दर्शक नहीं, बल्कि परिवर्तन का निर्माता है। MY Bharat के माध्यम से भारत सरकार युवाओं को राष्ट्र निर्माण के अभियानों से जोड़ रही है। मैं सभी प्रतिभागियों, NSS स्वयंसेवकों और युवाओं को बधाई देता हूँ जो इस पदयात्रा में भाग ले रहे हैं। यह यात्रा युवाओं को एक उद्देश्य, एक दिशा और एक प्रेरणा प्रदान करेगी।

देवियो और सज्जनो,

यदि हम भारत के इतिहास पर दृष्टि डालें तो पाते हैं कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी-देशी रियासतों का एकीकरण। अंग्रेजों द्वारा सैकड़ों छोटी-बड़ी रियासतों को स्वतंत्र या पाकिस्तान के साथ जाने की छूट दी गई थी। ऐसे समय में सरदार पटेल ने कौशल, दृढ़ता और समझदारी से 562 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर “अखंड भारत” का निर्माण किया।

यही कारण है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनके बारे में कहा था-“सरदार पटेल वह पुरुष थे जिन्होंने भारत को एक सूत्र में पिरो दिया।” और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भी कहा था- “यदि सरदार पटेल न होते तो भारत आज इतने राज्यों में बँटा हुआ होता कि एकता का नाम भी मुश्किल होता।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी सरदार पटेल को नमन करते हुए कहा है- “अगर सरदार पटेल न होते, तो आज भारत का नक्शा ऐसा न होता जैसा आज है। उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरो दिया।” 

उनका विश्वास था-“भारत एक है, भारत अखंड है, भारत सदा अखंड रहेगा।” जिसके चलते वे “भारत के बिस्मार्क” और “लौह पुरुष” के नाम से अमर हो गए। आज के इस अवसर पर हम उनके उस अदम्य संकल्प को पुनः जी रहे हैं।

साथियों,

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद नामक स्थान पर हुआ था। एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे वल्लभभाई ने कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास और अनुशासन के गुणों से अपने जीवन को गढ़ा। शुरुआती शिक्षा के उपरांत उन्होंने वकालत में उत्कृष्टता प्राप्त की और लंदन जाकर बैरिस्टर की डिग्री भी हासिल की।

सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय संविधान सभा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक थे और उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सर्वविदित है कि डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने में तथा विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं को संविधान निर्माण प्रक्रिया में सम्मिलित करने में सरदार पटेल का विशेष योगदान रहा।

उनके हस्तक्षेप से संविधान के दो ऐसे अनुच्छेद पारित हुए, जिन्होंने सिविल सेवाओं को राजनीतिक हस्तक्षेप से सुरक्षा प्रदान की और उनके अधिकारों व विशेषाधिकारों की गारंटी दी। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की स्थापना में भी सरदार पटेल का निर्णायक योगदान रहा, इसी कारण उन्हें “भारतीय सिविल सेवाओं का संरक्षक संत” (Patron Saint of India’s Civil Services) कहा जाता है।

पटेल का राजनीतिक जीवन गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा। 1918 के खेड़ा सत्याग्रह, 1923 के झंडा सत्याग्रह, और 1928 के बारडोली सत्याग्रह में उनका योगदान अतुलनीय रहा। बारडोली में किसानों के हित में नेतृत्व करने के बाद उन्हें “सरदार” की उपाधि मिली। भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने जनसमूह के बीच ताकत और एकजुटता की प्रेरणा दी।

स्वतंत्रता के बाद उपप्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री के रूप में उनका सबसे बड़ा योगदान देशी रियासतों का भारत में विलय था। कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़ व अन्य विवादित राज्यों को बिना रक्तपात के भारतीय संघ का हिस्सा बनाना उनकी रणनीतिक प्रतिभा का प्रमाण है। उन्होंने भारतीय सिविल सेवाओं का भी भारतीयकरण कर प्रशासनिक ढांचे को नई दिशा दी।

पटेल का योगदान केवल राजनीतिक नहीं था। उन्होंने समाज सुधार, शिविरों, महिला सशक्तिकरण, पंचायत राज, सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार जैसे कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी कार्यशैली में व्यवहारिक नेतृत्व, संवाद, टीमवर्क और समावेशिता का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है।

सरदार पटेल के नेतृत्व के मूल में अदम्य साहस, स्पष्ट दृष्टि, अनुशासन, निर्णायकता और समावेशिता थी। चुनौतियों में अडिग रहना, टीम वर्क को केंद्रीय स्थान देना, संवाद, समन्वय और संवेदना की त्रयी अपनाना, समस्या के हल के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण रखना और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानना - ये सभी उनकी कार्यशैली के अभिन्न अंग हैं। वे मानते थे कि “नेतृत्व आदेश से नहीं, प्रेरणा से आता है”, और “प्रभावशाली संवाद, सुनने और समझने में निहित है।

एकता का मंत्र केवल राजनीतिक सीमाओं तक ही नहीं था; यह सांस्कृतिक और भावनात्मक बंधन की भी बात थी। सरदार पटेल ने विभिन्न जाति, भाषा, धर्म व क्षेत्र के लोगों को एकत्रित कर “एक भारत” का सपना साकार किया। उनकी प्रेरणा से ही आज हम हर वर्ष 31 अक्टूबर को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मनाते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस जमीनी क्रांति की पहचान को समझें और अपनाएँ।

देवियो और सज्जनो,

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विकसित भारत 2047 का जो संकल्प रखा है, वह तभी संभव है जब हर युवा अपने भीतर सरदार पटेल जैसी दृढ़ इच्छाशक्ति विकसित करे। सरदार पटेल ने रियासतों को जोड़ा था, अब हमें दिलों को जोड़ने और सपनों को एक करने की जिम्मेदारी निभानी है।

आज का दिन केवल स्मरण का नहीं, कर्तव्य का दिन है। हम सबको मिलकर अखंड भारत के उस सपने को आत्मनिर्भर और विकसित भारत के रूप में साकार करना है। मैं सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देता हूँ कि यह पदयात्रा हमारे क्षेत्र में एकता, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बने। आइए, हम सब एक स्वर में कहें-“एक भारत-श्रेष्ठ भारत, नशामुक्त भारत-आत्मनिर्भर भारत!”

‘‘सरदार पटेल जी ने जो भारत जोड़ा था, अब उस भारत को हम सब मिलकर सशक्त बनाएँगे। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’

धन्यवाद,

जय हिन्द!