SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF GALI CRICKET AT PANCHKULA ON NOVEMBER 6, 2025.
- by Admin
- 2025-11-06 18:30
‘‘प्रथम भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचकूला जिला गली क्रिकेट टूर्नामेंट’’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 06.11.2025, गुरूवार समयः शाम 5:00 बजे स्थानः पंचकूला
नमस्कार!
आज इस गौरवपूर्ण अवसर पर उपस्थित होकर मुझे अत्यंत हर्ष और गर्व का अनुभव हो रहा है कि मुझे स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी, पंचकूला द्वारा आयोजित प्रथम “भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जिला पंचकूला क्रिकेट टूर्नामेंट” के उद्घाटन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
यह टूर्नामेंट केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र के महान नेता भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की अदम्य ऊर्जा, सकारात्मक सोच और राष्ट्रप्रेम की भावना को समर्पित एक प्रेरक आयोजन है।
अटल जी का जीवन राष्ट्रसेवा और आदर्श नेतृत्व का प्रतीक था। वे न केवल राजनीति के शिखर पुरुष थे, बल्कि जनमानस के कवि, दार्शनिक और दूरदर्शी विचारक भी थे। उन्होंने कहा था, “राष्ट्र के प्रति समर्पण ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है।”
अटल जी ने भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई। उन्होंने शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, और खेल, हर क्षेत्र में युवाओं को राष्ट्र निर्माण की धुरी माना। इस टूर्नामेंट को उनके नाम से जोड़ना वास्तव में उस भावना का सम्मान है, जो कहती है कि “खेल भी राष्ट्र निर्माण का माध्यम है।”
देवियो और सज्जनो,
आज जब मैं गली क्रिकेट के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हूँ, तो सबसे पहले मैं आप सभी को भारतीय महिला क्रिकेट टीम द्वारा हाल ही में महिला विश्वकप में ऐतिहासिक विजय प्राप्त करने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। यह उपलब्धि न केवल भारतीय खेल जगत के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
यह हम सभी के लिए अत्यंत गौरव और गर्व की बात है कि इस विजेता टीम में पंजाब की बेटियाँ, कप्तान हरमनप्रीत कौर, हरलीन देओल और अमनजोत कौर, तथा फाइनल मैच में ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ रही हरियाणा की शैफाली वर्मा जैसी प्रतिभाशाली खिलाड़ियाँ शामिल हैं, जिन्होंने अपने अनूठे प्रदर्शन से पूरे देश का मान बढ़ाया है।
साथियो,
खेल हमें जीवन का बड़ा पाठ पढ़ाते हैं, जीतने का नहीं, बल्कि ईमानदारी से खेलने का। मैदान में खेला गया हर मैच जीवन के संघर्षों का एक छोटा रूप होता है।
खेल बच्चों और युवाओं में आत्मविश्वास, सहयोग, संयम और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता विकसित करते हैं। यह उन्हें जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक बने रहने की शक्ति देते हैं। ये हमें सिखाते हैं कि सफलता का असली अर्थ निरंतर प्रयास में है, परिणाम में नहीं।
इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी, पंचकूला ने युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा देने, उन्हें नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रखकर राष्ट्र निर्माण के कार्य में प्रेरित करने का संकल्प लिया है।
मुझे बताया गया है कि स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी की स्थापना वर्ष 2010 में ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देने और युवाओं की ऊर्जा को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से की गई थी। इसकी परिकल्पना श्री ज्ञान चंद गुप्ता जी, पूर्व अध्यक्ष, हरियाणा विधानसभा ने की थी।
स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी पूरे हरियाणा में इनडोर और आउटडोर खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यरत है। यह स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की स्थापना, संचालन और प्रबंधन के साथ-साथ जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएँ आयोजित करती है तथा खिलाड़ियों के प्रशिक्षण केंद्र भी संचालित करती है।
वर्ष 2010 में गाँव खतौली, पंचकूला से ‘अश्वंती गुप्ता मेमोरियल कबड्डी टूर्नामेंट’ के आयोजन के साथ इसकी शुरुआत हुई, जो अब प्रतिवर्ष होता है। कबड्डी, रस्साकशी और वॉलीबॉल जैसे खेलों से पंचकूला को नई पहचान मिली है।
सोसाइटी ने 2021, 2022 और 2024 में वॉकथॉन व साइक्लोथॉन, 2019 में ‘ट्राइसिटी बैडमिंटन चैम्पियनशिप’, और 2022-2025 के बीच ‘ऑल इंडिया सब-जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट’ जैसे बड़े आयोजनों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। वर्ष 2023 में आयोजित ‘ट्राइसिटी क्रिकेट टूर्नामेंट’ भी अत्यंत सफल रहा।
अब सोसाइटी 6 से 11 नवंबर 2025 तक “प्रथम भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचकूला जिला गली क्रिकेट टूर्नामेंट” का आयोजन कर रही है, जिसमें लगभग 115 टीमें भाग ले रही हैं। विजेता टीम को रनिंग ट्रॉफी के साथ 1 लाख रूपये तथा उपविजेता टीम को 51 हजार रूपये का पुरस्कार मिलेगा। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज, गेंदबाज, कैचर, विकेटकीपर, फील्डर और मैन ऑफ द टूर्नामेंट को 5 हजार 1 सौ और मोमेंटो प्रदान किया जाएगा।
मेरा मानना है कि यह आयोजन न केवल खेल भावना को प्रोत्साहित करेगा बल्कि युवाओं को नशे से दूर रखकर उन्हें स्वस्थ और सशक्त भारत निर्माण की दिशा में प्रेरित करेगा।
देवियो और सज्जनो,
हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति हमारी युवा आबादी है। भारत आज विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है। यदि यह युवा शक्ति अनुशासन, परिश्रम और खेल की भावना से जुड़ जाए, तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
खेलों से जुड़ने वाले युवाओं में आत्मनियंत्रण, दृढ़ता और सामाजिकता विकसित होती है और यही गुण उन्हें नशे जैसी बुराइयों से दूर रखते हैं।
आज का यह आयोजन नशे के विरुद्ध संघर्ष में भी एक प्रतीक बन सकता है। मैं यहाँ उपस्थित युवाओं से कहना चाहता हूँ, “जो मैदान की धूल से दोस्ती कर लेता है, उसे नशे की जंजीरें कभी बाँध नहीं पातीं।”
खेल नशे का सबसे सशक्त विकल्प हैं। जब युवा मैदान पर अपनी ऊर्जा और जोश लगाते हैं, तब उनका शरीर और मन दोनों स्वस्थ बनते हैं। नशे से दूर रहकर खेलों में आगे बढ़ना ही जीवन का सच्चा विजयोत्सव है।
साथियो,
हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्य देश में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं और भारतीय खेल परिदृश्य की रीढ़ माने जाते हैं। एक ओर पंजाब ने क्रिकेट और हॉकी जैसे खेलों में तो, वहीं हरियाणा ने कुश्ती, नेशनल स्टाइल कबड्डी, एथलेटिक्स और मुक्केबाज़ी में अभूतपूर्व योगदान दिया है। दोनों राज्यों की यह खेल भावना और जमीनी स्तर पर तैयार की गई खेल संस्कृति पूरे देश के लिए प्रेरणा है। हरियाणा और पंजाब ने यह सिद्ध किया है कि परिश्रम, अनुशासन और जुनून के बल पर गाँव-गाँव की मिट्टी से भी विश्वविजेता पैदा किए जा सकते हैं।
आज केंद्र और राज्य सरकारें खेलों के प्रोत्साहन के लिए अनेक योजनाएँ चला रही हैं। ‘खेलो इंडिया, फिट इंडिया मूवमेंट, टॉप्स (Target Olympic Podium Scheme)और युवा एवं खेल मंत्रालय की कई पहलें युवाओं के सपनों को वास्तविकता में बदल रही हैं।
युवाओं के लिए खेल के क्षेत्र में करियर बनाने के अवसर बढ़े हैं। आज खेल केवल शौक नहीं, बल्कि एक पेशेवर विकल्प बन चुका है।
अटल जी कहा करते थे, “जीवन का अर्थ संघर्ष है; संघर्ष ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है।” यह वाक्य खेलों के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है। मैदान में जीत-हार से ऊपर उठकर संघर्ष का आनंद लेना ही सच्चा खेलभाव है।
अटल जी का जीवन इस बात का प्रमाण था कि चाहे राजनीति हो, साहित्य हो या खेल संतुलन, संयम और सकारात्मक सोच ही सफलता का मूल मंत्र है।
देवियो और सज्जनो,
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कई अवसरों पर कहा है, ‘‘खेल एक ऐसी सॉफ्ट पावर है, जो दुनिया का ध्यान भारत की ओर आकर्षित कर सकती है।’’ खेलों में वह शक्ति है, जो किसी भी राष्ट्र को वैश्विक मंच पर खेल महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित कर सकती है।
केन्द्र सरकार की ‘खेलो भारत नीति-2025’ एक ऐतिहासिक पहल है जिसका उद्देश्य देश के खेल परिदृश्य को नया स्वरुप देना और खेलों के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाना है।
भारत, जिसकी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए, सरकार ने युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय को रिकॉर्ड 3 हजार 794 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो वित्त वर्ष 2014-15 की तुलना में 130.9 प्रतिशत की वृद्धि है।
इसमें से 2 हजार 191 करोड़ रुपये केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए निर्धारित हैं, जबकि 1 हजार करोड़ रुपये खेलो इंडिया कार्यक्रम के लिए आवंटित किए गए हैं, जो भारत के खेल भविष्य के निर्माण पर सरकार के विशेष ध्यान को रेखांकित करता है।
खेलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया गया है। नीति में स्पष्ट किया गया है कि शारीरिक शिक्षा और खेलकूद विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि वे शरीर के साथ मन, बुद्धि और चरित्र को भी सशक्त बनाते हैं।
नई नीति में “स्पोर्ट्स-इंटीग्रेटेड लर्निंग” की अवधारणा दी गई है, जिसके माध्यम से टीमवर्क, अनुशासन, नेतृत्व और भावनात्मक संतुलन जैसे गुणों के विकास पर बल दिया गया है। यह सोच इस विश्वास पर आधारित है कि खेल शरीर, मन और आत्मा तीनों को शिक्षित करते हैं। इसलिए आज शिक्षा संस्थानों में खेलों को समान महत्व देकर विद्यार्थियों को स्वस्थ, आत्मविश्वासी और चरित्रवान नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित किया जा रहा है।
अब जब हम विकसित भारत 2047 की राह पर अग्रसर हैं तो मेरा पूर्ण विश्वास है कि 2047 तक हम खेल के क्षेत्र में भी विश्व गुरू बनेंगे और यह हमारे युवा खिलाड़ियों के संकल्प और समर्पण के चलते ही संभव हो पाएगा।
प्रिय खिलाड़ियो,
आज आप सभी इस टूर्नामेंट में भाग लेकर केवल एक प्रतियोगिता नहीं खेल रहे, बल्कि आप एक नए भारत की नींव रख रहे हैं, ऐसा भारत जहाँ खेल अनुशासन, स्वास्थ्य, एकता और आत्मगौरव का प्रतीक बनें।
मैं आयोजक संस्था, इसके सहयोगी भागीदारों और इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। आप सभी से मेरा आग्रह है कि नशे से दूर रहिए, खेलों से जुड़िए, और जीवन को सकारात्मक दिशा दीजिए।
अटल जी की ही भावना में कहूँ तो, “हमारा लक्ष्य आसमान नहीं, बल्कि उससे भी ऊँचा होना चाहिए।”
इसी प्रेरणा के साथ, मैं इस टूर्नामेंट की सफलता और सभी खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना करता हूँ।
आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि “स्वस्थ शरीर, सशक्त मन, और समर्पित कर्म ही सच्चे भारत की पहचान बनेंगे।”
धन्यवाद,
जय हिन्द!