SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF 5TH EDITION OF ‘SHIKSHA MAHAKUMB ABHIYAN’ AT CHANDIGARH ON OCTOBER 31, 2025.

‘‘शिक्षा महाकुंभ-2025’’ के 5वें संस्करण के उद्घाटन अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 31.10.2025, शुक्रवार

समयः सुबह 11:00 बजे

स्थानः मोहाली

 

नमस्कार!

आज इस शिक्षा महाकुंभ अभियान के 5वें संस्करण के उद्घाटन अवसर पर उपस्थित होकर मुझे अपार हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है। यह आयोजन केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि भारत के नवजागरण की दिशा में एक सशक्त आंदोलन है-जो हमारे प्राचीन ज्ञान, आधुनिक विज्ञान और सांस्कृतिक मूल्यों के समन्वय का प्रतीक है।

भारत सदैव से “विश्वगुरु” रहा है। हमारी शिक्षा ने दुनिया को बताया कि ज्ञान तभी सार्थक है जब वह संस्कार और सेवा से जुड़ा हो। इसी भावना को पुनः स्थापित करने का महान कार्य आज शिक्षा महाकुंभ अभियान कर रहा है।

इस वर्ष का पाँचवाँ संस्करण कई दृष्टियों से ऐतिहासिक और व्यापक है। इसमें भारत के संपूर्ण शिक्षा तंत्र को 15 विभागों में विभाजित कर योजनाबद्ध ढंग से आयोजन किया गया है। प्रत्येक विभाग ने अपने क्षेत्र में शोधपत्र आमंत्रित किए और ज्ञान-विज्ञान के नए आयामों पर चर्चा की।

इसी क्रम में इस वर्ष 12 भव्य संगोष्ठियाँ (Conclaves) आयोजित की गई हैं- 

जिनमें शामिल हैं: Vice Chancellors & Directors Conclave, Scientists’ Conclave, Bureaucrats’ Conclave, Global Conclave, Students’ Conclave, Principals’ Conclave] तथा अन्य अनेक विशेष संगोष्ठियाँ, जिनमें देश-विदेश से शिक्षाविद, नीति-निर्माता, उद्योगपति और युवा एकत्रित हुए और चिंतन-मंथन किया।

इस संवाद का उद्देश्य था-कैसे शिक्षा को कक्षा की दीवारों से निकालकर समाज के हर स्तर तक ले जाया जाए। यह सचमुच गर्व का विषय है कि आज भारत ही नहीं, बल्कि अनेक देशों से आए प्रतिभागियों ने इस मंच को एक वैश्विक शिक्षा मंच का स्वरूप प्रदान किया है।

साथ ही, इस वर्ष 25 विद्यालयों की भागीदारी रही है, जिनमें से लगभग 10,000 से अधिक विद्यार्थियों ने English Olympiad एवं अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इनमें से कई चयनित प्रतिभाशाली बच्चे आज हमारे इस महाकुंभ में भी उपस्थित हैं, जिन्होंने अपने विद्यालयों और राज्यों का नाम रोशन किया है।

इस बार के आयोजन में विद्यार्थियों ने प्रोजेक्ट्स और विभिन्न नवाचारों की प्रदर्शनियाँ लगाकर अपने वैज्ञानिक और रचनात्मक कौशल का परिचय दिया है। उच्च शिक्षा संस्थानों से आए कुलपति, निदेशक, और प्राध्यापकों ने इस अभियान को अकादमिक दृष्टि से नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं।

इस वर्ष का विषय-“कक्षा से समाज तक-शिक्षा के माध्यम से एक स्वस्थ विश्व का निर्माण”- स्वयं में अत्यंत प्रेरणादायी और दूरदर्शी है। यह विषय हमें याद दिलाता है कि शिक्षा केवल परीक्षा की तैयारी नहीं, बल्कि एक बेहतर समाज की तैयारी है।

मेरे प्यारे विद्यार्थियो,

शिक्षा केवल अंकों या परीक्षाओं का परिणाम नहीं है। शिक्षा वह शक्ति है जो व्यक्ति में सोचने, निर्णय लेने और सही मार्ग चुनने की क्षमता विकसित करती है। 

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, “शिक्षा वह है जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विस्तार हो और जिससे व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके।” इसलिए सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर, सशक्त और संवेदनशील बनाए।

जीवन की राह में चुनौतियाँ आएँगी, कभी-कभी असफलताएँ भी मिलेंगी, पर याद रखिए, असफलता कोई अंत नहीं है, वह सफलता की पहली सीढ़ी है। “जो गिरकर भी संभल जाए, वही सच्चा विजेता है।” 

देवियो और सज्जनो,

आज भारत शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग की ओर अग्रसर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने शिक्षा को केवल परीक्षा और डिग्री प्राप्त करने का माध्यम न मानकर, उसे जीवन-कौशल, नवाचार और सृजनात्मकता का केंद्र बना दिया है। 

यह नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास, रचनात्मक सोच, आलोचनात्मक दृष्टिकोण और कौशल-आधारित अधिगम पर बल देती है। एनईपी 2020 का लक्ष्य ऐसे सक्षम नागरिक तैयार करना है, जो अपने पेशे में उत्कृष्ट होने के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी भी हों।

आज का युग तकनीक का युग है। भारत आज न केवल एक प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर वाला देश है, बल्कि आर्थिक, तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टि से भी विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना चुका है। 

हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारे योगदान की पहचान हो रही है, और वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ और प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। हम शिक्षा, नवाचार, स्टार्टअप्स, हरित ऊर्जा और डिजिटल क्षेत्रों में नए मानक स्थापित कर रहे हैं। यही कारण है कि आज भारत विश्व के शीर्ष देशों में अपनी शक्ति, प्रतिभा और नेतृत्व के लिए सम्मानित है।

प्रिय विद्यार्थियो,

अपने लक्ष्य तय कीजिए, कड़ी मेहनत कीजिए और कभी हार मत मानिए। आपकी सफलता केवल आपकी नहीं होगी, वह आपके माता-पिता, शिक्षकों और पूरे देश की सफलता होगी।

महान वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने एक बार बहुत सुंदर बात कही थी।

उन्होंने कहा था- “शिक्षा हमें पंख देती है जिससे हम उड़ सकें। शिक्षा मानव को स्वतंत्रता, आत्म-सम्मान और आत्म-निर्भरता प्रदान करती है।”

इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने भी शिक्षा और चिंतन के महत्व पर गहरी बात कही थी।

उन्होंने कहा था - “सिनेमा या नाटक देखने जाना, या मित्रों से बहस करना आसान है;लेकिन शांति से बैठकर किसी पुस्तक को आरंभ से अंत तक पढ़ना अनुशासन का अभ्यास है।’’

यह भी याद रखिए कि शिक्षा केवल अपने अधिकारों की रक्षा तक सीमित न रहे, बल्कि निर्बल और असहाय के अधिकारों की रक्षा भी करे और आपकी विनम्रता यह सुनिश्चित करे कि चाहे आप कितनी भी ऊँचाई प्राप्त कर लें, आप दूसरों के प्रति हमेशा नेक और सच्चे बने रहें।

देवियो और सज्जनो,

पंजाब की धरती सदैव वीरता, परिश्रम और संस्कार की प्रतीक रही है। यह केवल मिट्टी का नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मविश्वास और साहस का पर्याय है। यहाँ के युवाओं ने शिक्षा, खेल, विज्ञान, कला, उद्योग और रक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में अपने अद्वितीय कौशल और मेहनत से जो पहचान बनाई है, वह पूरे देश के लिए गर्व का कारण है। 

यह वही पंजाब है, जहाँ गुरुओं की वाणी ने जीवन को दिशा दी, जहाँ किसानों के पसीने ने हरियाली बोई, और जहाँ युवाओं के सपनों ने भारत के विकास को नई ऊर्जा दी। शिक्षा के क्षेत्र में भी पंजाब ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। यहाँ की शिक्षा संस्थाओं ने न केवल ज्ञान प्रदान किया है, बल्कि चरित्र निर्माण, अनुशासन और राष्ट्रप्रेम की भावना को भी संजोया है।

आज पंजाब के विद्यार्थी देश और दुनिया के हर कोने में अपने ज्ञान, कौशल और नवाचार से भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। चाहे वह विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाएँ हों, उद्योगों के नवाचार केंद्र हों, या खेल के मैदान-हर जगह पंजाब के युवाओं की चमक दिखाई देती है।

यहाँ की शिक्षा व्यवस्था अब केवल ज्ञानार्जन तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह जीवन के मूल्यों, आत्मनिर्भरता और सामाजिक उत्तरदायित्व का माध्यम बन चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप, पंजाब के शिक्षण संस्थान ऐसे विद्यार्थियों को तैयार कर रहे हैं, जो केवल अपनी सफलता तक सीमित न रहकर, समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का संकल्प रखते हैं।

इसलिए जब हम पंजाब की बात करते हैं, तो यह केवल एक राज्य नहीं, बल्कि एक विचार है-परिश्रम, प्रगति और प्रेरणा का विचार। यही शिक्षा का असली उद्देश्य है-ज्ञान को कर्म में, और कर्म को सेवा में परिवर्तित करना। पंजाब की यही भावना भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाने की प्रेरणा देती है।

साथियो,

हम अमृत काल में विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, नैतिक और वैज्ञानिक विकास भी हमारा उद्देश्य है। शिक्षा का लक्ष्य केवल रोजगार तक सीमित न रहकर विद्यार्थियों को स्वावलंबी, नवाचारी और संवेदनशील नागरिक बनाना होना चाहिए।

मैं समझता हूं कि शिक्षक इस परिवर्तन के सबसे बड़े मार्गदर्शक हैं। वे ऐसे नागरिक तैयार करें जो न केवल अपनी व्यक्तिगत सफलता के लिए काम करें, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए उत्तरदायी हों। 2047 तक की शिक्षा प्रणाली में अनुसंधान और नवाचार का मुख्य स्थान होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि भारत का नाम वैश्विक स्तर पर ज्ञान, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बने।

मेरा मानना है कि विकसित भारत के निर्माण के लिए युवाओं में आत्मनिर्भरता के महत्व को गहराई से स्थापित करना आवश्यक है।  इसके लिए हमें उन्हें प्रेरित कर स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा और अनावश्यक विदेशी ब्रांड पर निर्भरता को कम करना होगा। ऐसा करने से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और युवाओं में आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होगी।

यदि हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करना है तो हमें यह समझना होगा, “यथा शिक्षक तथा राष्ट्र।” यदि हमारे शिक्षक सशक्त और प्रेरक हैं तो हमारे विद्यार्थी भी सशक्त होंगे, और यदि विद्यार्थी सशक्त हैं तो राष्ट्र निश्चित ही महान बनेगा।

अंत में मैं एनआईपीईआर निदेशक, प्रो. पांडा तथा शिक्षा महाकुंभ के सभी आयोजकों, सहयोगियों, और प्रतिभागियों को हृदय से बधाई देता हूँ। आप सबके प्रयासों से यह महाकुंभ आज एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच बन चुका है। 

मैं इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ कि यह अभियान भारत की शिक्षा नीति, शोध और संस्कृति के माध्यम से पूरे विश्व को दिशा प्रदान करे। मैं स्वयं इस महाकुंभ के सतत मार्गदर्शन और सहयोग के लिए सदैव उपलब्ध रहूँगा।

धन्यवाद,

जय हिन्द!