SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FIRST “The Governor’s Cup” organized by the Chandigarh Golf Association at Chandigarh on November 5, 2025.
- by Admin
- 2025-11-05 18:25
‘‘दि गवर्नर्स कप’’ के पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 05.11.2025, बुधवार
समयः दोपहर 1:00 बजे
स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज ‘चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन’ (CGA) द्वारा आयोजित इस पहले ‘द गवर्नर्स कप’ के अवसर पर यहाँ उपस्थित होकर मुझे अपार हर्ष हो रहा है। यह टूर्नामेंट हमारे सब-जूनियर, जूनियर और चंडीगढ़ तथा ट्राईसिटी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Section) के प्रतिभाशाली युवा गोल्फरों को समर्पित है।
‘चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन’ की यह पहल वास्तव में समावेशन, खेल भावना और जमीनी स्तर पर प्रतिभा को पोषित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
मुझे बताया गया है कि इस प्रतियोगिता में कुल 84 बच्चों ने भाग लिया, जिनमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 24 बच्चे, 10 वर्ष से कम आयु वर्ग के 12 बच्चे, 10 से 14 वर्ष के 24 बच्चे, और 14 से 18 वर्ष के 24 बच्चे शामिल हैं।
मैं आज इस प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी 32 प्रतिभाशाली बच्चों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। साथ ही, मैं इन बच्चों के प्रशिक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 14 कोचों और 2 रेफरियों, जिन्हें आज सम्मानित किया गया है, को भी अपनी ओर से हार्दिक अभिनंदन और शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।
मुझे बताया गया है कि ‘चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन’ की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी, जो इस क्षेत्र में गोल्फ खेल के संवर्धन एवं विकास हेतु समर्पित है। इस एकेडमी की यात्रा स्वर्गीय श्री सी.एस.आर. रेड्डी जी के दूरदर्शी विचार से शुरू हुई थी।
इस संस्था की निष्ठा सदैव बच्चों एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों तथा गोल्फ प्रेमियों को प्रशिक्षित करने, उन्हें मंच प्रदान करने और उनके उत्साहवर्धन पर केंद्रित रही है।
हमें यह विशेष गर्व है कि चंडीगढ़ के अनेक महान खिलाड़ी गोल्फ की विरासत का अभिन्न अंग रहे हैं। इनमें पद्मश्री श्री जीव मिल्खा सिंह एवं अर्जुन पुरस्कार प्राप्त गगनजीत भुल्लर, हरमीत काहलों और शुभंकर शर्मा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
इसके अतिरिक्त, द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित प्रशिक्षक श्री जे. एस. ग्रेवाल तथा श्री गुरबाज मान ने गोल्फ के स्तर को चंडीगढ ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इन्हीं प्रयासों की शृंखला में, चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन द्वारा इस प्रतिष्ठित ‘द गवर्नर्स कप’ का आयोजन किया गया है। इसका ध्येय बच्चों एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के खिलाडियों को न केवल प्रेरित करना है, बल्कि उनमें उत्कृष्टता, अनुशासन और समर्पण की भावना जागृत कर उन्हें भविष्य की प्रतिस्पर्धाओं हेतु सशक्त बनाना भी है।
ऐसी पहलें न केवल खेल को बढ़ावा देती हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और समान अवसर को भी पोषित करती हैं। ये वो मूल्य हैं जो चंडीगढ़ की पहचान के केंद्र में हैं।
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं। चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन के खिलाड़ियों ने पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। ये खिलाड़ी न केवल संस्थान का, बल्कि पूरे राष्ट्र का भविष्य हैं।
मैं चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री आर. के. पचनंदा जी को, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार और चंडीगढ़ में स्थापित स्कूलों के बच्चों को गोल्फ के प्रति रुझान दिलाने की इस मुहिम के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूँ।
साथियो,
गोल्फ एक प्राचीन और विशिष्ट खेल है, जिसका आधुनिक स्वरूप 15वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड में विकसित हुआ। 1754 में सेंट एंड्रूज़ गोल्फ क्लब की स्थापना के साथ गोल्फ को संगठित रूप और नियम मिले, जिसे आज “Home of Golf” कहा जाता है।
19वीं शताब्दी में यह खेल ब्रिटेन से अमेरिका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया तक फैल गया। औद्योगिक क्रांति और ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार ने इसे वैश्विक पहचान दी।
20वीं सदी में बॉबी जोन्स, जैक निकलस और टाइगर वुड्स जैसे खिलाड़ियों ने गोल्फ को विश्व स्तर पर नई ऊँचाइयाँ दीं।
भारत में गोल्फ का इतिहास लगभग दो शताब्दी पुराना है। 1829 में कोलकाता में रॉयल कोलकाता गोल्फ क्लब की स्थापना के साथ इसकी शुरुआत हुई, जो एशिया का सबसे पुराना गोल्फ क्लब है। धीरे-धीरे यह खेल दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और अन्य शहरों में फैला। आज यह खेल युवाओं और खेल संस्थाओं के प्रयासों से लगातार लोकप्रियता और जन-आधार प्राप्त कर रहा है।
देवियो और सज्जनो,
चंडीगढ़ प्रशासन सदैव खेलों के प्रोत्साहन और खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है। प्रशासन की दूरदर्शी नीतियों ने न केवल खेलों की मजबूत नींव रखी है, बल्कि प्रतिभाशाली युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने के अवसर भी दिए हैं।
हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा लागू खेल नीति के तहत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़ रुपये, रजत विजेता को 4 करोड़ रुपये और कांस्य विजेता को 2.5 करोड़ रुपये का पुरस्कार देने का प्रावधान किया गया है, जो प्रशासन की खेल भावना और खिलाड़ियों के प्रति सम्मान का प्रमाण है।
मेरा मानना है कि बच्चों का व्यक्तित्व केवल कक्षा के भीतर नहीं, बल्कि खेलों और सहगामी गतिविधियों से भी बनता है। खेल बच्चों में अनुशासन, टीमवर्क, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास विकसित करते हैं तथा उन्हें नशे जैसी बुराइयों से दूर रखते हैं।
इसी भावना से प्रशासन ने हाल ही में “उड़ान-स्कूल वॉलीबॉल कार्यक्रम” और “ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन प्रोग्राम” शुरू किए हैं, जो विद्यालय स्तर पर खेल प्रतिभाओं को निखारने और विद्यार्थियों में नेतृत्व एवं सहयोग की भावना विकसित करने के महत्वपूर्ण कदम हैं।
खेल अवसंरचना के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। सेक्टर 8 और 39 में शतरंज केंद्र, सेक्टर 42 में आधुनिक बिलियर्ड्स और स्नूकर हॉल, और सेक्टर 16 क्रिकेट स्टेडियम में नई पिच इसका उदाहरण हैं।
विद्यालयों के खेल मैदान अब स्थानीय खेल संघों के लिए भी खोले जा रहे हैं, जिससे बेहतर प्रशिक्षण और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा मिल रहा है।
साथियो,
खेल केवल मनोरंजन या जीत-हार का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन के समग्र विकास का सशक्त साधन हैं। आज का भारत उस पुरानी सोच से बहुत आगे निकल चुका है कि “पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब।” अब खेलों को चरित्र निर्माण, जीवन प्रबंधन और नेतृत्व क्षमता के विकास का माध्यम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित रूप से खेलों में भाग लेने से युवाओं का ध्यान, एकाग्रता, निर्णय क्षमता और रचनात्मकता सभी में वृद्धि होती है।
मैं यह मानता हूं कि खेल किसी भी राष्ट्र की आत्मा का आईना होते हैं। जब कोई भारतीय खिलाड़ी विश्व मंच पर देश का तिरंगा लहराता है, तो पूरे राष्ट्र का मनोबल ऊँचा होता है और हर भारतीय का हृदय गर्व से भर उठता है।
आज खेल उद्योग और उससे जुड़े स्टार्टअप्स देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय खेल नीति-2025 के तहत सरकार ने गाँव से लेकर महानगरों तक खिलाड़ियों को आधुनिक सुविधाएँ, प्रशिक्षण, पुरस्कार और छात्रवृत्तियाँ उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।
इस नीति का लक्ष्य वर्ष 2036 तक भारत को विश्व के शीर्ष पाँच खेल राष्ट्रों में शामिल करना है और यह तभी संभव है जब हर स्कूल, हर गाँव, हर मोहल्ले से प्रतिभाएँ उभरें और उन्हें सही दिशा मिले।
यह हमारा सौभाग्य है कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘खेलो इंडिया’ पहल के माध्यम से भारत में खेल संस्कृति को एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदल दिया है।
‘खेलो इंडिया’ केवल एक योजना नहीं है, यह देश के कोने-कोने से प्रतिभाओं को ढूंढने, उन्हें तराशने और विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार करने का एक राष्ट्रीय संकल्प है। चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन प्रधानमंत्री जी के इसी सपने को साकार करने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है।
याद रखिए, विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए खेल हमारी राष्ट्रीय शक्ति का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। स्वस्थ, अनुशासित और प्रतिभावान युवा ही इस लक्ष्य को साकार करेंगे।
मैं एक बार पुनः सभी सम्मानित खिलाड़ियों, कोचों और रेफरियों को हार्दिक बधाई देता हूँ और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
अंत में, मैं सभी खिलाड़ियों से यह आह्वान करता हूँ कि आप अपने प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन पर विश्वास रखें, अपने लक्ष्य पर अटल रहें, और हर प्रतिस्पर्धा में अपना शत-प्रतिशत दें।
चंडीगढ़ गोल्फ एसोसिएशन को उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए और सभी प्रतिभागियों को एक सफल और यादगार आयोजन के लिए मेरी शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!