SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF NASHA MUKT BHARAT ABHIYAAN AT AMRITSAR ON NOVEMBER 18, 2025.

‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के 5 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 18.11.2025, मंगलवार

समयः सुबह 11:30 बजे

स्थानः अमृतसर

नमस्कार!

आज इस शिक्षा-धरा गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में उपस्थित होकर मुझे अपार प्रसन्नता और गर्व की अनुभूति हो रही है। आज का यह कार्यक्रम एक सामाजिक क्रांति यानी ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के पाँच वर्षों का उत्सव है, जिसके लिए आज हम सभी यहाँ एकत्रित हुए हैं।

सबसे पहले, मैं आप सभी को नशा मुक्त भारत अभियान के पाँच वर्ष पूरे होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। यह अभियान 15 अगस्त 2020 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उन 272 अत्यंत संवेदनशील जिलों में प्रारंभ किया गया था, जिनकी पहचान नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इनपुट और राष्ट्रीय नशा सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। अगस्त 2022 में इस अभियान को 372 जिलों तक विस्तारित किया गया और अगस्त 2023 से यह देश के सभी जिलों में सशक्त रूप से संचालित है।

नशा मुक्त भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों, विशेषकर युवाओं और विद्यार्थियों तक नशा-निरोधक संदेश पहुँचाना तथा नशे की समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें परामर्श, उपचार और पुनर्वास सेवाएँ उपलब्ध कराना है। इस अभियान में उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों को जागरूकता के केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है, वहीं अस्पतालों और नशा मुक्ति केंद्रों की क्षमता को भी लगातार सुदृढ़ किया गया है। सेवा प्रदाताओं के लिए व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रमों ने इस अभियान को एक संगठित और प्रभावी स्वरूप दिया है।

आज यह जानकर गर्व होता है कि देश में जमीनी स्तर पर आयोजित अनेकों कार्यक्रमों के माध्यम से 23 करोड़ से अधिक नागरिक नशे के दुष्प्रभावों के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनाए जा चुके हैं। इसमें 7 करोड़ 78 लाख से अधिक युवाओं और 5 करोड़ 22 लाख से अधिक महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 16 लाख 99 हजार से अधिक शैक्षणिक संस्थानों का समर्थन इस अभियान को एक जन-आंदोलन का रूप देता है। पूरे देश में 20 हजार से अधिक मास्टर वॉलंटियर्स को पहचान कर प्रशिक्षित किया गया है, जो इस अभियान की अग्रिम पंक्ति में निरंतर सक्रिय हैं।

पंजाब की बात करें तो इस अभियान की पहुँच यहाँ भी अत्यंत व्यापक और प्रभावशाली रही है। अब तक 14 लाख 80 हजार से अधिक लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया है, जिनमें 4 लाख 27 हजार से अधिक युवा और 2 लाख 82 हजार से अधिक महिलाएं शामिल हैं। पंजाब के 9 हजार 9 सौ से अधिक शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अभियान का सक्रिय समर्थन यह दर्शाता है कि राज्य ने इस चुनौती के समाधान को सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया है।

अभियान की पाँचवीं वर्षगांठ का राष्ट्रीय उत्सव 1 अगस्त 2025 से पूरे देश में शुरू हुआ, जिसमें प्रतियोगिताएँ, जागरूकता गतिविधियाँ और जन-सहभागिता कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरे भारत में 97 हजार 336 गतिविधियों के माध्यम से 2 करोड़ 42 लाख से अधिक लोगों तक यह संदेश पहुँचाया गया। इनमें से अकेले पंजाब में 5 लाख 82 हजार से अधिक लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हुए, जिनमें स्लोगन लेखन, रंगोली, पोस्टर व चित्रकला प्रतियोगिताएँ, शपथ समारोह, जागरूकता रैलियाँ और मैराथन जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं।

नशे से मुक्ति हेतु उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था को भी व्यापक रूप से सुदृढ़ किया गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय वर्तमान में पूरे देश में 349 इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर, 45 कम्युनिटी-बेस्ड पीयर लेड इंटरवेंशन सेंटर, 76 आउटरीच एंड ड्रॉप-इन सेंटर, 139 डिस्ट्रिक्ट डी-एडिक्शन सेंटर और 154 एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटीज़ को वित्तीय सहयोग प्रदान कर रहा है। नशा मुक्ति के लिए चौबीस घंटे उपलब्धता के साथ हेल्पलाइन नंबर 14446 सक्रिय है, जिस पर अब तक 4 लाख 30 हजार से अधिक कॉल प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 14 हजार 229 कॉल पंजाब के नागरिकों द्वारा किए गए।

पंजाब में इस समय 7 इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर, 2 आउटरीच एंड ड्रॉप-इन सेंटर और 1 कम्युनिटी-बेस्ड पीयर लेड इंटरवेंशन सेंटर को केंद्र सरकार से वित्तीय सहयोग प्राप्त हो रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 से अब तक पंजाब को राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत स्टेट एक्शन प्लान के लिए 18 करोड़ 65 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं, जबकि 2014-15 से 2024-25 के बीच 14 करोड़ 31 लाख रुपये राज्य के विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों को उपलब्ध कराए गए हैं।

मैं आपको बताना चाहता हूं कि पंजाब के सभी 23 जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान समिति का गठन किया जा चुका है, और सभी जिलों में मास्टर वॉलंटियर्स को भी पहचानकर नियुक्त कर दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि अभियान की ऊर्जा और दिशा जमीनी स्तर तक पहुँचे और निरंतर प्रवाह में बनी रहे।

साथियो, 

नशा एक सामाजिक बुराई है। यह केवल कानूनी मुद्दा नहीं, यह मानसिक, पारिवारिक और सांस्कृतिक चुनौती है। इसलिए इसका समाधान भी बहुस्तरीय होना चाहिए। जागरूकता, रोकथाम, उपचार, पुनर्वास और सामाजिक स्वीकार्यता, ये सभी मिलकर ही वास्तविक परिवर्तन लाते हैं।

हम युवाओं को केवल दंड या डर से नहीं रोक सकते; हमें उन्हें खेल, शिक्षा, कौशल विकास, संगीत, साहित्य, योग और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के माध्यम से प्रेरित करना होगा। याद रखिए, नशा छोड़ना एक दिन का कार्य नहीं; यह प्रतिदिन का संकल्प है।

मैं विशेष रूप से युवा साथियों से कहना चाहता हूँ कि आप केवल इस अभियान के लाभार्थी नहीं, बल्कि इसके वास्तविक नेता हैं। भविष्य आपका है, निर्णय आपका है और राष्ट्र भी आपका ही है। यदि आप नशा मुक्त रहेंगे, तो आपका परिवार सुरक्षित रहेगा, आपका प्रदेश सुरक्षित रहेगा और राष्ट्र और अधिक मजबूत बनेगा।

हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम उस पवित्र पंजाब धरती के नागरिक हैं, जिसने वीरता, देशभक्ति और त्याग की ऐसी अमर गाथाएँ लिखी हैं, जिनसे पूरे विश्व को प्रेरणा मिलती है। यह वही धरा है जहाँ शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने अपने अदम्य साहस और अटूट देशप्रेम से स्वतंत्रता की लड़ाई को नई दिशा दी।

यह वही भूमि है जहाँ शहीद उधम सिंह ने जलियांवाला बाग के निर्दोष शहीदों का बदला लेने के लिए न्याय का ऐसा इतिहास रचा, जिसे हर भारतीय गर्व से याद करता है।

इसी धरती ने लाला लाजपत राय जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी दिए, जिन्होंने ‘पंजाब केसरी’ के नाम से पूरे देश को अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाने की शक्ति दी।

यही पंजाब गुरु साहिबानों की वह पवित्र भूमि है जहाँ श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर त्याग, न्याय और धर्म-रक्षा की अमर सीख दी।

यह वह भूमि है जिसने अनेकों वीर सैनिकों को जन्म दिया जिनमें  स्वर्गीय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, एअर चीफ मार्शल अर्जुन सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह, ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी सूबेदार जोगिंदर सिंह, नायब सूबेदार बाना सिंह आदि शामिल हैं, जिन्होंने देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिए।

पंजाब की यही विरासत हमें याद दिलाती है कि हमारी रगों में साहस है, हमारी आत्मा में अनुशासन है और हमारे संस्कारों में सेवा और त्याग समाहित है। ऐसी महान परंपरा के वारिस होकर नशे जैसी बुराई के आगे झुकना हमारे स्वभाव में कभी नहीं रहा है और न ही रहेगा।

इसीलिए मैं अपने युवा साथियों से आग्रह करता हूँ कि आपकी ऊर्जा, आपकी क्षमता और आपका संकल्प ही इस अभियान की सफलता का आधार है। आप न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार, अपने समाज, अपने राज्य और अपने देश के लिए नशा-मुक्त रहने का संकल्प लें।

जब पंजाब का युवा जागृत होता है, तो परिवर्तन अवश्य होता है; और जब पंजाब परिवर्तन करता है, तो उससे पूरे देश को दिशा मिलती है। 

देवियो और सज्जनो,

हम सब जानते हैं कि नशा एक ऐसा धीमा ज़हर है, जो शरीर को तो नुकसान पहुंचाता ही है, साथ ही व्यक्ति की सोच, आत्मा और भविष्य को भी नष्ट कर देता है।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘शक्ति की साधना करो, आत्मविश्वास रखो, और जीवन को सार्थक बनाओ।’’ नशा इस साधना को नष्ट करता है और आत्मविश्वास को छीन लेता है।

हम यह नहीं भूल सकते कि नशे का सबसे गहरा प्रभाव परिवार पर पड़ता है। इसलिए माता-पिता, शिक्षक और अभिभावकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। बच्चों के साथ संवाद, स्नेह और मार्गदर्शन ही वह सुरक्षा कवच है जिसका कोई विकल्प नहीं। वास्तव में, परिवार से अधिक प्रभावी कोई पुनर्वास केंद्र नहीं हो सकता।

“नशा छोड़ो-जीवन जोड़ो” केवल एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प है। नशा किसी भी व्यक्ति की प्रतिभा, क्षमताओं और सपनों को नष्ट कर देता है, लेकिन नशा छोड़ देना जीवन के एक नए और उज्ज्वल अध्याय की शुरुआत है। इस मंच से मैं कहना चाहता हूँ कि हर व्यक्ति जो नशे से बाहर आने का प्रयास कर रहा है, वह अकेला नहीं है, हम सब उसके साथ हैं।

साथियो,

हम सभी जानते हैं कि नशे का सबसे बड़ा कारण सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी है। इसे रोकने के लिए पंजाब के 6 सीमावर्ती जिलों में 1500 से अधिक ग्राम स्तरीय रक्षा समितियां गठित की गई हैं, जो ड्रोन से भेजे जा रहे हथियारों और नशों को रोकने में सहायक हैं। भारत सरकार भी पंजाब सरकार के साथ मिल कर पूरी सीमा को ड्रोन-रोधी तकनीक और ए.आई-सक्षम कैमरों से सुसज्जित कर रही है।

नशों के विरूद्ध पंजाब सरकार के प्रयासों की बात करें तो इसने राज्य में नशे के खात्मे के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। एंटी-ड्रग हेल्पलाइन स्थापित की गई, पुनर्वास केंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई, गाँव स्तर पर Buddy Program लागू किया गया, और ड्रग ट्रैफिकिंग के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई। इन सभी प्रयासों ने पंजाब को नशा विरोधी संघर्ष में एक दृढ़ और प्रभावी प्रदेश के रूप में स्थापित किया है।

इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा पंजाब में मार्च 2025 में शुरू किया गया ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ अभियान के आठ महीने पूरे हो गए हैं। इस अभियान के तहत अब तक 23 हजार से अधिक एफआईआर दर्ज करते हुए 36 हजार से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इस दौरान 15 सौ किलो से अधिक हेरोइन, 5 सौ किलो से अधिक अफीम, 35 किलो से अधिक चरस, 5 किलो से अधिक गांजा, 15 किलो से अधिक आई.सी.ई, 39 लाख से अधिक नशीली गोलियां/कैप्सूल और 13 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग मनी जब्त की है।

इसके अलावा, पंजाब सरकार ने मोहाली स्थित एंटी-नरकोटिक्स टास्क फोर्स मुख्यालय में अत्याधुनिक ‘सहायता सेवा इकाई’ स्थापित की है। 

मैंने स्वयं इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पंजाब और चंडीगढ़ में विभिन्न नशा-विरोधी समारोहों व पदयात्राओं में भाग लिया है, ताकि युवाओं को नशे से दूर रखकर उनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके। जब हमारे युवा नशा-मुक्त और सशक्त होंगे, तभी वे विकसित भारत के निर्माण में अपनी पूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।

साथियो,

हमारा लक्ष्य है, एक नशा मुक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर पंजाब। और इस लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग आप सबकी सक्रिय भागीदारी और प्रेरक नेतृत्व से होकर ही जाता है।

आज समय की सबसे बड़ी मांग यह है कि हम अपने सभी शैक्षणिक संस्थानों को ‘ड्रग-फ्री ज़ोन’ के रूप में घोषित करें, ऐसे स्थान जहाँ केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, चरित्र और चेतना का भी विकास हो। 

हमें छात्रों को यह समझाने की आवश्यकता है कि नशा थोड़े समय की राहत का भ्रम है, लेकिन दीर्घकालिक विनाश का कारण है। इसलिए, हमें शिक्षा को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित न रखकर उसे मूल्य आधारित बनाना होगा, जिसमें चरित्र निर्माण, नैतिक सोच और सामाजिक चेतना का समावेश हो।

हमें संस्थानों में नियमित रूप से परामर्श सत्र, स्वास्थ्य एवं मानसिक कल्याण पर कार्यशालाएँ, नशामुक्ति जागरूकता अभियान, खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ, और खुला संवाद का वातावरण सुनिश्चित करना होगा।

साथ ही हमें चाहिए कि हम हमारी नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से अमल में लाएं जोकि पाठ्यक्रम में नैतिक और सामाजिक मूल्यों, खेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कौशल विकास पर जोर देती है। 

हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक उद्देश्य हमारे बच्चों को संपूर्ण व्यक्तित्व वाला, जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक बनाना है।

यह नीति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाने पर बल देती है, बल्कि यह शिक्षा को रोज़गारोन्मुख, कौशल-आधारित और मूल्यपरक बनाने की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है।

यह नीति हमारे युवाओं को न केवल शैक्षणिक रूप से समृद्ध बना रही है, बल्कि उन्हें संवेदनशील, नैतिक और जागरूक नागरिक बनाने में भी निर्णायक भूमिका निभा रही है, जो विकसित भारत 2047 के निर्माण में अपना योगदान देने में सक्षम होंगे।

देवियो और सज्जनो, 

आज का यह दिन स्मरण का भी है, संकल्प का भी है और उत्सव का भी है। हमने ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के पाँच वर्षों की उपलब्धियाँ देखीं, लेकिन हमारा सफर यहीं समाप्त नहीं होता। आइए, हम सब मिलकर यह प्रतिज्ञा करें कि हम स्वयं नशा मुक्त रहेंगे, अपने परिवार को नशा मुक्त रखेंगे, अपने मित्रों को जागरूक करेंगे और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएँगे। क्योंकि नशा नाश का कारण है, और नशा-मुक्ति नव-निर्माण का आधार।

अंत में, मैं गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, पंजाब सरकार, सभी अधिकारियों, सामाजिक संगठनों, चिकित्सकों, परामर्शदाताओं और सबसे बढ़कर, हमारे युवाओं को इस महान अभियान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हृदय से बधाई देता हूँ। आप सभी स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें और भविष्य की नई ऊँचाइयों को प्राप्त करें।

इसी कामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।

नशे को कहें ना, जीवन को कहें हाँ!

धन्यवाद,

जय हिन्द!