SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF JAIPUR FOOT CAMP AT AMRITSAR ON NOVEMBER 18, 2025.

श्री गुरू रामदास अस्पताल में ‘जयपुर फुट कैंप’ के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 18.11.2025, मंगलवार

समयः शाम 4:30 बजे

स्थानः अमृतसर

नमस्कार!

आज अमृतसर की पावन धरती पर, गुरु रामदास अस्पताल के इस दिव्य परिसर में उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता, संतोष और हर्ष की अनुभूति हो रही है। आज हम सभी एक ऐसे पवित्र कार्य के साक्षी हैं, जो केवल चिकित्सा सेवा नहीं, बल्कि मानवता का सबसे उच्चतम स्वरूप है।

मैं समझता हूं कि यह जयपुर फुट कैंप केवल कृत्रिम अंग प्रदान करने का आयोजन नहीं है; यह आशा, आत्मविश्वास और नई जिंदगी का उत्सव है। यह आयोजन इस सत्य को पुनः स्थापित करता है कि “मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है।”

मैं इस कैंप के आयोजन के लिए भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के सभी सदस्यों, डॉक्टरों, तकनीशियनों और स्वयंसेवकों को हृदय से साधुवाद देता हूँ।

“भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति” (BMVSS) की स्थापना वर्ष 1975 में एक गैर-सरकारी संगठन के रूप में की गई थी। आज यह संगठन विश्व का सबसे बड़ा दिव्यांग पुनर्वास संगठन है, जो लाखों लोगों के जीवन में आशा और आत्मनिर्भरता का संचार कर रहा है।

इस संगठन के भारत में 36 केंद्र कार्यशील हैं। इसके अतिरिक्त, लाभार्थियों की सुगमता के लिए यह प्रति वर्ष लगभग 50 कृत्रिम अंग वितरण शिविर भी आयोजित करता है। यह संगठन “दिव्यांगजनों को गतिशीलता और गरिमा प्रदान करना” के अपने मुख्य उद्देश्य के साथ प्रति वर्ष लगभग 90 हजार दिव्यांग व्यक्तियों को कृत्रिम अंग, कैलिपर्स, व्हीलचेयर, हैंड-पैडिल्ड ट्राइसाइकिल, बैसाखी आदि उपकरण उपलब्ध कराता है। अब तक यह संगठन 25 लाख से अधिक दिव्यांगजनों का पुनर्वास कर चुका है, एक ऐसा मानवीय कार्य जो विश्व में अद्वितीय है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक एवं सामाजिक परिषद ने इस संगठन को ‘विशेष परामर्शदाता का दर्जा’ प्रदान किया है, जो इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को दर्शाता है।

भारत में केंद्रित रहकर कार्य करने के साथ-साथ, गत वर्षों में संगठन ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 50 देशों में 120 अंतरराष्ट्रीय शिविर लगाए हैं, जिनमें अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, कोलंबिया, मिस्र, इथियोपिया, केन्या, इराक, सीरिया, नाइजीरिया, नेपाल, रवांडा, सेनेगल, सूडान, तंज़ानिया, वियतनाम आदि शामिल हैं।

तकनीकी दृष्टि से, संगठन द्वारा प्रदान किए जाने वाले कृत्रिम अंग “जयपुर फुट” के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यह कृत्रिम पैर लचीलेपन, कार्य-क्षमता और सौंदर्य, सभी के संदर्भ में मानव पैर के सबसे निकट माना जाता है।

जयपुर फुट पहनकर कोई भी घुटने के नीचे कटे अंग वाला व्यक्ति चल सकता है, दौड़ सकता है, ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चल सकता है, साइकिल चला सकता है, कार चला सकता है, पेड़ पर चढ़ सकता है और यहाँ तक कि तैर भी सकता है।

भारत में जयपुर लिंब (फुट सहित) का औसत खर्च लगभग 100 अमेरिकी डॉलर है, जबकि अमेरिका में इसी स्तर का कृत्रिम अंग लगभग 10 हजार डॉलर में उपलब्ध होता है।

भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति को विश्व-प्रसिद्ध वैज्ञानिक संस्थानों से तकनीकी सहयोग प्राप्त है। अमरीका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ हुए औपचारिक समझौते के अंतर्गत एक विशेष ‘फोर-बार लिंकेज नी जॉइंट’ विकसित किया गया, जिसे टाइम मैगज़ीन ने वर्ष 2009 के दुनिया के 50 सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया। 

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अमेरिका (MIT USA) भी दो परियोजनाओं पर इस संगठन के साथ मिलकर नए सहायक उपकरण विकसित कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ और भारत के स्थायी मिशन ने 15 मई 2018 को न्यूयॉर्क मुख्यालय में “जयपुर फुट के 50 वर्ष” पर विशेष सम्मेलन और चार दिनों की प्रदर्शनी आयोजित की।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत सरकार के विदेश मंत्री द्वारा प्रारंभ किए गए 'India for Humanity' कार्यक्रम के तहत संगठन ने 25 देशों में 31 शिविर आयोजित किए, जिससे 17 हजार से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को नया जीवन मिला।

जून 2025 में UN Convention on Rights of Persons with Disabilities के दौरान भी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा न्यूयॉर्क में जयपुर फुट और संगठन पर विशेष प्रस्तुति आयोजित की गई।

प्रतिष्ठित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी CARE ने भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति को ‘ए-1’ रेटिंग प्रदान की है, जो किसी भी चैरिटेबल संगठन के लिए सर्वोच्च मानी जाती है।

हमारे लिए हर्ष और गर्व की बात है कि विश्व में सबसे अधिक कृत्रिम पैरों और अन्य कृत्रिम अंगों को पूरी तरह निःशुल्क प्रदान करने वाली संस्था के रूप में भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति ने भारत की मानवीय संवेदना को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी है।

इस संगठन द्वारा अप्रैल 2025 में स्थापित इस अमृतसर केंद्र की बात करें तो, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से श्री गुरु राम दास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च सेंटर में स्थापित यह केन्द्र इस क्षेत्र में एक अत्यंत सराहनीय पहल है।

अमृतसर स्थित इस श्री गुरु रामदास अस्पताल का इतिहास निस्वार्थ सेवा और दया से भरा हुआ है जिसकी आधारशिला देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. नीलम संजीव रेड्डी जी द्वारा 17 अक्टूबर 1977 को रखी गई थी। यह अवसर विशेष रूप से चुना गया था क्योंकि उस वर्ष चौथे सिख गुरु श्री गुरु राम दास जी द्वारा स्थापित अमृतसर शहर की स्थापना के 400वें वर्ष का ऐतिहासिक उत्सव मनाया जा रहा था।

यह दूसरी बार है जब इस केन्द्र में यह कैंप आयोजित किया जा रहा है। इस केंद्र द्वारा अब तक 800 से अधिक दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग, कैलिपर और अन्य सहायक उपकरण निःशुल्क प्रदान किए जा चुके हैं और इस बार भी, 18 और 19 नवंबर को इस विशेष शिविर के माध्यम से सैकड़ों दिव्यांगजन लाभान्वित होंगे।

मैं समझता हूं कि “सेवा, समर्पण और संवेदना जब एक साथ मिलते हैं, तो चमत्कार होता है” और आज इस कैम्प में वही चमत्कार साकार हो रहा है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे महान राष्ट्र की परंपरा हमेशा से “देने” की रही है। देने की, बाँटने की, और जरूरतमंदों के लिए सदैव हाथ आगे बढ़ाने की।

यह वह भूमि है जहाँ तप, त्याग और परोपकार केवल आदर्श नहीं, बल्कि जीवन का तरीका रहे हैं। हमारे ऋषियों ने ज्ञान दिया, गुरुओं ने मार्ग दिखाया, संतों ने समाज को जोड़ने का कार्य किया।

हमने दुनिया को अहिंसा का मार्ग दिया, करुणा का संदेश दिया, और मानवता को एक परिवार मानने की सीख दी।

हमारी संस्कृति कहती है कि जो कमाया जाए, वह केवल अपने लिए नहीं; जो जाना जाए, वह केवल अपने तक सीमित नहीं; और जो पाया जाए, वह समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए।

इसी “देने की परंपरा” ने भारत को केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि विचार, मूल्य और मानवता का जीवंत उदाहरण बनाया है।

और पंजाब की यह धरती तो गुरु साहिबानों की पवित्र शिक्षाओं से पावन और धन्य भूमि है। जहाँ प्रत्येक कण में सेवा, समर्पण, साहस और सत्य की प्रेरणा समाई हुई है। यह वह धरा है जिसने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना, मानवता की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना, और समानता-भाईचारे के अमर संदेश दिए हैं।

गुरु साहिबानों के चरण-स्पर्श से धन्य यह भूमि आज भी हमें यह सिखाती है कि मानव की सेवा ही सर्वोच्च धर्म है, दया और करुणा ही सच्चा सामर्थ्य है, और सत्य के मार्ग पर दृढ़ता से चलना ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य है। ऐसी पुण्यभूमि पर खड़े होकर सेवा और समर्पण से जुड़े किसी भी कार्य का आरंभ स्वयं में एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।

श्री गुरु नानक देव जी का अमर संदेश आज भी पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शक दीपक की तरह उज्ज्वल है। उन्होंने सिख धर्म के तीन मूलभूत स्तंभ “वंड छको, किरत करो, नाम जपो” यानी कमाओ, बाँटो और ईश्वर का स्मरण करो का उपदेश देकर जीवन की सरल, सार्थक और संतुलित दिशा प्रदान की। 

ये तीनों सिद्धांत मिलकर एक ऐसे आदर्श समाज की रचना करते हैं जहाँ श्रम का सम्मान, सेवा का भाव और आध्यात्मिकता की अनुभूति जीवन का आधार बनते हैं।

पंजाब की धरती करुणा और मानवता की परंपरा से समृद्ध रही है। भाई कन्हैया जी इसका सबसे उज्ज्वल उदाहरण हैं, जिन्होंने 1705 में आनंदपुर साहिब की लड़ाई के दौरान बिना किसी भेदभाव के घायल सिख और मुग़ल सैनिकों की सेवा की। उन्होंने सिद्ध किया कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। आज उन्हीं की सेवा-भावना से प्रेरित होकर पंजाब में उनके नाम पर कई अस्पताल और संस्थाएँ चल रही हैं।

आज का यह आयोजन उसी परंपरा की जीवंत मिसाल है। इस शिविर में आज जिन-जिन भाइयों और बहनों को कृत्रिम पैर, हाथ या कैलिपर्स मिल रहे हैं, मैं उन्हें विशेष रूप से बधाई देता हूँ। आपके जीवन में नई ऊर्जा, नई स्वतंत्रता और नई मुस्कान जुड़ रही है। मेरी शुभकामनाएँ हैं कि आपका हर कदम, नई सफलता और आत्मविश्वास की ओर बढ़े।

कई लोग वर्षों से चलने, खड़े होने या सामान्य जीवन जीने की इच्छा मन में लिए संघर्ष कर रहे थे। आज यह मंच उन्हें कह रहा है कि तुम चल सकते हो, तुम बढ़ सकते हो, तुम फिर से जी सकते हो।

शारीरिक विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमता, प्रतिभा और आत्मा को सीमित नहीं करती। सरकारें, संस्थाएँ और समाज, तीनों का कर्तव्य है कि हम प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर दें। यह वह समय है जब हमें “दिव्यांगजन” शब्द की भावना को यथार्थ में बदलना है। प्रधानमंत्री जी के शब्दों में कहूं तो “दिव्यांगजन में दिव्यता है, क्षमता है, प्रेरणा है।”

देवियो और सज्जनो,

आज भारत कृत्रिम अंग प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। जयपुर फुट इसका सर्वोत्तम उदाहरण है, जहाँ विज्ञान और मानवीय संवेदना का अद्भुत संगम है।

अधिक उन्नत कृत्रिम अंग, डिजिटल फिटिंग तकनीक, 3डी प्रिंटिंग आधारित सहायक उपकरण, ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल फिटमेंट यूनिट्स, इन सबकी दिशा में बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है, और पंजाब इससे लाभान्वित होगा।

भारत सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और पुनर्वास के लिए व्यापक प्रयास कर रही है। दिव्यांगजनों की शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा सुविधा और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। 

इनमें ‘स्वावलंबन कार्ड’ के माध्यम से सरकारी लाभों की सरल उपलब्धता, ‘सुगम्य भारत अभियान’ के तहत भवनों और परिवहन को दिव्यांग-अनुकूल बनाना, ‘दिव्यांग पेंशन योजना’ के तहत पेंशन प्रदान करना, सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण, तथा ‘मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017’ के माध्यम से मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं।

आज यहाँ खड़े होकर मैं यही कहना चाहूँगा कि यह केवल शिविर नहीं है, बल्कि आशा का पुनर्जन्म, खुशियों का पुनर्जीवन, और मानवता का उत्सव है। जयपुर फुट पाकर जो मुस्कान आज यहाँ दिखाई दे रही है, वह हम सबके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।

अंत में मैं एक पंक्ति कहना चाहूँगा कि पैर टूटने से मंज़िलें नहीं रुकतीं, हौसला टूटने से रास्ते बंद होते हैं, और जयपुर फुट जैसे प्रयास इसी हौसले को जीवित रखते हैं।

मैं इस अवसर पर भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के सभी सदस्यों, डॉक्टरों, तकनीशियनों और स्वयंसेवकों को प्रणाम करता हूँ। आपके निस्वार्थ प्रयासों के कारण आज कई परिवारों में खुशी लौट रही है। सेवा का हर कार्य प्रार्थना है, और सेवा का हर क्षण जीवन का सौभाग्य।

सबको हार्दिक शुभकामनाएँ। आप सभी स्वस्थ, खुश और उन्नत रहें।

धन्यवाद,

जय हिन्द!