SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INAUGURATION OF GREWAL EYE INSTITUTE AT CHANDIGARH ON NOVEMBER 11, 2025.

गरेवाल आई इंस्टीट्यूट की इमारत के उद्घाटन के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 11.11.2025, मंगलवारसमयः शाम 4:30 बजेस्थानः मुल्लांपुर, न्यू चंडीगढ़

       

नमस्कार!

आज मुझे अपार हर्ष और गर्व का अनुभव हो रहा है कि मैं ‘गरेवाल आई इंस्टीट्यूट’के इस गरिमामय उद्घाटन समारोह में आप सबके बीच उपस्थित हूँ। आज हम एक ऐतिहासिक क्षण के साक्षी हैं, जहाँ सेवा, विज्ञान और संवेदना एक साथ खड़े हैं। यह उस दृष्टि के साकार होने का उत्सव है जो मानती है कि स्वास्थ्य सेवा हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। 

मैं डॉ. एस.पी.एस. गरेवाल और उनकी पूरी टीम को हृदय से बधाई देता हूँ, जिनके समर्पण और दूरदृष्टि ने इस असाधारण संस्थान की नींव रखी। मानवता की सेवा को जीवन का लक्ष्य मानते हुए उन्होंने 1993 में गरेवाल आई इंस्टीट्यूट की स्थापना की।

इस संस्थान ने 1993 में भारत के पहले डायोड लेज़र सिस्टम की स्थापना की, 1998 में ISO प्रमाणन प्राप्त किया, और 2013 में Joint Commission International (USA) से मान्यता प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा नेत्र संस्थान बना। 

2014 में इसने भारत की पहली रोबोटिक लेज़र कैटरेक्ट सर्जरी आरंभ कर नई तकनीकी दिशा दी। साथ ही, C3R और SMILE सर्जरी जैसी आधुनिक विधाओं को अपनाकर हजारों मरीजों की दृष्टि और जीवन में उजाला लौटाया।

परंतु इस संस्थान मे मरीज को एक केस के रूप में नहीं, बल्कि एक “जीवन’’ के रूप में देखा जाता है। इसी भावना से “रोशनी”और “चिराग” जैसी सामाजिक पहलें शुरू हुईं, जिन्होंने गाँवों तक नेत्र शिविरों, जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा का प्रकाश फैलाया।

शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी संस्थान ने मिसाल कायम की है। ‘रेटिना एटलस’जैसी विश्वप्रसिद्ध दृश्य मार्गदर्शिका ने वैश्विक चिकित्सा जगत में ख्याति प्राप्त की और फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स अवार्ड 2025 में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित हुई। इसके अलावा, नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो, अमेरिका के साथ संस्थान का 16 वर्षों से चल रहा प्रशिक्षण सहयोग इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट बनाता है।

आज गरेवाल आई इंस्टीट्यूट केवल एक चिकित्सा केंद्र नहीं, बल्कि भारत की चिकित्सा उत्कृष्टता, नैतिकता और नवाचार का प्रतीक है। यहाँ देश-विदेश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ कार्यरत हैं, और हाल ही में इसे “उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ नेत्र अस्पताल”घोषित किया गया है। 

देवियो और सज्जनो,

नेत्र हमारे जीवन की सबसे अनमोल धरोहर हैं। वे केवल देखने का माध्यम नहीं, बल्कि अनुभूति, संवेदना और सृजन का आधार हैं। जिस क्षण से एक शिशु इस संसार को पहली बार देखता है, उसी क्षण से उसकी सीखने, समझने और जुड़ने की यात्रा आरंभ होती है।

हमारी आँखें केवल दृश्य नहीं देखतीं, वे भावनाएँ पढ़ती हैं, रिश्ते पहचानती हैं, और जीवन को अर्थ देती हैं। एक मुस्कान की गर्मजोशी, एक माँ की ममता, एक सैनिक की दृढ़ता, इन सबका साक्षात्कार हमें अपनी दृष्टि के माध्यम से ही होता है। 

यदि हम थोड़ी देर के लिए भी दृष्टि खोने की कल्पना करें, तो समझ आता है कि यह जीवन कितनी बड़ी चुनौती बन सकता है। इसलिए नेत्र-संरक्षण केवल चिकित्सा का विषय नहीं, बल्कि मानवता की जिम्मेदारी है। जब हम किसी व्यक्ति को उसकी दृष्टि लौटाते हैं, तो हम केवल उसकी आँखें नहीं, उसका आत्मविश्वास, उसकी स्वतंत्रता और उसका भविष्य लौटाते हैं। इसीलिए कहा गया है, “दृष्टि ही जीवन की दिशा है।”

यदि हमारी दृष्टि स्वस्थ है तो हमारा जीवन आशा और उत्साह से भर जाता है, परंतु जब दृष्टि क्षीण हो जाती है, तो व्यक्ति का संसार अंधकारमय हो जाता है। यही कारण है कि नेत्र-स्वास्थ्य किसी भी विकसित समाज के स्वास्थ्य संकेतकों में सर्वोपरि स्थान रखता है।

भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं का अंतर अब भी मौजूद है, वहाँ नेत्र-चिकित्सा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। नेत्रों की छोटी-सी समस्या भी यदि समय रहते पहचानी और उपचारित न की जाए, तो वह स्थायी अंधत्व का कारण बन सकती है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्राथमिक स्तर से लेकर उच्चस्तरीय नेत्र-चिकित्सा तक हर नागरिक को सुलभ और सस्ती सेवाएँ उपलब्ध हों।

आज आधुनिक तकनीक, जैसे लेज़र सर्जरी, रोबोटिक प्रक्रियाएँ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डायग्नोसिस ने नेत्र चिकित्सा को नई ऊँचाइयाँ दी हैं। परंतु तकनीक तभी सार्थक है जब वह मानवता की सेवा में समर्पित हो। 

मेरा मानना है कि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाएँ तभी सार्थक कहलाएँगी, जब वे सुलभ, किफायती और उच्च गुणवत्ता के साथ समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुँचें। इसके लिए केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि निजी संस्थानों की सक्रिय भागीदारी व सहयोग भी उतना ही आवश्यक है।

इसी संदर्भ में, मैं गरेवाल आई इंस्टीट्यूट से कहना चाहूंगा कि आपने जो उन्नत तकनीक स्थापित की है, उसका लाभ समाज के उन वर्गों तक भी पहुँचना चाहिए जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ अस्पताल उपलब्ध नहीं हैं, नेत्र शिविर लगाए जाएँ और समय-समय पर सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ, तो प्रारंभिक स्तर पर ही गंभीर नेत्र-रोगों की पहचान और उपचार संभव हो सकेगा। 

जागरूकता इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनेक लोग अपनी या बच्चों की समस्याओं से अनजान रहते हैं। यदि संस्थान कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत नेत्र-स्वास्थ्य पर जागरूकता शिविर आयोजित करे, तो यह समाज के लिए बड़ी सेवा होगी।

एक डॉक्टर, नर्स, या कोई भी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता केवल एक चिकित्सक नहीं होता, बल्कि वह मरीज के लिए आशा, राहत और नया जीवन देने वाला एक मार्गदर्शक भी होता है। जब तक उसमें सहानुभूति, करुणा और मानवता का गहरा भाव नहीं होगा, तब तक वह अपने पेशे के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता। 

महात्मा गांधी जी ने कहा था - ‘‘एक सच्चा डॉक्टर वही होता है जो अपने मरीज की बीमारी से पहले उसके दर्द को समझे।’’

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं। 2014 से अब तक 1 लाख से अधिक नई मेडिकल सीटें जोड़ी गई हैं, और आने वाले पाँच वर्षों में 75 हजार अतिरिक्त सीटें बनाने का लक्ष्य रखा गया है। पीजी सीटों में 80 प्रतिशत वृद्धि और नए एम्स की स्थापना से चिकित्सा ढाँचा सुदृढ़ हुआ है।

केंद्रीय बजट 2025-26 में स्वास्थ्य मंत्रालय को 99 हजार 858 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2014-15 से 191 प्रतिशत अधिक है। अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डेकेयर कैंसर केंद्र स्थापित होंगे, 36 दवाओं पर सीमा शुल्क छूट से उपचार सस्ता होगा और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में भारत को वैश्विक चिकित्सा गंतव्य बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है।

वर्ष 2018 में शुरू की गई “आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’’ दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है। इस योजना के तहत देशभर में अब तक 6 करोड़ से अधिक लोगों को निशुल्क उपचार मिला है। प्रत्येक पात्र परिवार को 5 लाख रुपये तक की कैशलेस बीमा सुविधा दी जाती है, जिससे गरीब परिवारों को गंभीर बीमारियों का इलाज कराने में अब आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ता।

‘प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’के तहत वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक देश में स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त करने के लिए व्यापक कार्य हो रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत 17 हजार से अधिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में विकसित किया जा रहा है तथा 11 हजार से अधिक शहरी आरोग्य मंदिरों की स्थापना झुग्गी और वंचित क्षेत्रों में की जा रही है।

साथ ही 3 हजार 382 ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स, 730 एकीकृत जनस्वास्थ्य प्रयोगशालाएँ और 602 क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक्स के निर्माण की प्रक्रिया जारी है। अब तक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 32,929 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है। यह मिशन भारत में एक मजबूत, विकेन्द्रित और सर्वसुलभ स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है, जो हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करेगा।

आज का युग डिजिटल स्वास्थ्य का युग है। ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’के तहत National Health ID (ABHA Card) जारी किए जा रहे हैं, जिससे हर नागरिक का मेडिकल रिकॉर्ड ऑनलाइन सुरक्षित रूप में उपलब्ध रहेगा। अब किसी भी नागरिक का उपचार देश के किसी भी कोने में, किसी भी डॉक्टर द्वारा तुरंत किया जा सकता है।

भारत ने “स्वास्थ्य आत्मनिर्भरता”की दिशा में भी ऐतिहासिक प्रगति की है। आज भारत न केवल दवाइयों का, बल्कि वैक्सीन और चिकित्सा उपकरणों का भी प्रमुख वैश्विक उत्पादक बन चुका है। भारत को आज “Pharmacy of the World” कहा जाता है क्योंकि हम विश्व की 60 प्रतिशत से अधिक वैक्सीन और 20 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक दवाएँ आपूर्ति करते हैं। 

“मेक इन इंडिया”के तहत 300 से अधिक चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन देश में ही किया जा रहा है। इससे रोजगार सृजन, लागत नियंत्रण और निर्यात में वृद्धि हुई है।

भारत ने मिशन इंद्रधनुष के माध्यम से करोड़ों बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के दायरे में लाया है। 2021-22 में, इस अभियान ने 90 प्रतिशत से अधिक कवरेज हासिल की, जो एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। कोविड महामारी के दौरान भारत ने Covaxin और Covishield जैसी वैक्सीन के माध्यम से विश्व का नेतृत्व किया और 200 से अधिक देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई। यह केवल विज्ञान की विजय नहीं थी, यह मानवता के प्रति भारत की करुणा का प्रतीक थी।

‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना’के तहत आज देशभर में 15 हजार से अधिक जनऔषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं। यहाँ मरीजों को 60 से 90 प्रतिशत तक सस्ती दवाएँ उपलब्ध होती हैं। यह पहल ‘स्वास्थ्य समानता’ की दिशा में एक ठोस कदम है।

भारत की परंपरा में “आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (AYUSH)ß का विशेष स्थान है। अब यह क्षेत्र केवल वैकल्पिक चिकित्सा नहीं रहा, बल्कि इंटिग्रेटिड हेल्थ सिस्टम का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। विश्व के 30 से अधिक देशों में आयुष केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” का मान्यता प्राप्त होना भारत की सांस्कृतिक और स्वास्थ्य चेतना की विजय है।

भारत सरकार के ‘‘पोषण अभियान’’ और  “प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना” जैसी पहलों ने महिलाओं और बच्चों के पोषण एवं मातृ स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार किया है। बाल मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में निरंतर कमी आई है, जो किसी भी देश के स्वास्थ्य विकास का सबसे सटीक संकेतक है।

आधुनिक जीवन की तेज़ रफ्तार में मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस दिशा में सरकार ने “टेली-मानस”प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से देशभर में 1 हजार से अधिक मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र कार्यरत हैं। यह एक ऐतिहासिक पहल है जिसने मानसिक स्वास्थ्य को “कलंक” नहीं बल्कि “कल्याण” का विषय बना दिया है।

नेशनल-लेवल पर स्वास्थ्य-इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने हेतु ‘प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’ द्वारा कई निर्माण तथा अपग्रेडेशन परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, ब्लॉक-पब्लिक-हेल्थ-यूनिट्स, इंटीग्रेटेड पब्लिक-हेल्थ-लैब और क्रिटिकल-केयर इंफ्रास्ट्रक्चर का संवर्द्धन शामिल है। 

यहाँ मैं विशेष रूप से यह कहना चाहूँगा कि नेत्र-विशेषज्ञता से जुड़े संस्थान यदि सरकार की स्वास्थ्य संबंधी पहलों के साथ समन्वय स्थापित करें तो इनकी सेवाएँ और अधिक व्यापक एवं प्रभावी बन सकती हैं। ऐसा सहयोग न केवल रोगियों को अत्याधुनिक उपचार उपलब्ध कराएगा, बल्कि देश में सार्वभौमिक नेत्र स्वास्थ्य के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 

देवियों और सज्जनों

अब हम अमृत काल में हैं और विकसित भारत 2047 की दिशा में एक ऐतिहासिक यात्रा पर अग्रसर हैं। ‘फिट इंडिया’ का सपना तभी पूरा होगा जब चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हमारे कुशल और समर्पित स्वास्थ्य कर्मी अपनी पूरी क्षमता और प्रतिबद्धता के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जुटे रहेंगे। इस यात्रा में सरकार, चिकित्सा संस्थान, टेक्नोलॉजी, अनुसंधान और सामाजिक सहभागिता की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

आइए, हम सभी मिलकर इस लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ें और यह सुनिश्चित करें कि 2047 का भारत न केवल आर्थिक और तकनीकी रूप से विकसित हो, बल्कि एक स्वास्थ्य-संपन्न, जागरूक और सशक्त राष्ट्र के रूप में भी स्थापित हो।

अब जब इस गरेवाल आई इंस्टीट्यूट का शुभारंभ हो चुका है, मैं इस प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़े सभी डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा कर्मियों से अनुरोध करता हूँ कि वे अपने पेशे की मूल भावना को हमेशा जीवंत रखें। निरंतर सीखने की प्रवृत्ति बनाए रखें, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा का क्षेत्र नित नए अनुसंधानों, तकनीकों और उपचार पद्धतियों से विकसित हो रहा है।

मुझे विश्वास है कि गरेवाल आई इंसटीट्यूट चिकित्सा के उच्चतम मानकों का पालन करते हुए सेवा, समर्पण और उत्कृष्टता की नई मिसाल कायम करेगा और लोगों का विश्वास जीतकर एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित होगा।

मैं इस संस्थान के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ और आशा करता हूँ कि यह संस्थान स्वास्थ्य सेवाओं का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेगा।

धन्यवाद,

जय हिंद!