SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF ANNUAL DAY FUNCTION OF GILCO INTERNATIONAL SCHOOL AT MOHALI ON NOVEMBER 21, 2025
- by Admin
- 2025-11-21 20:15
गिल्को इंटरनेशल स्कूल के ऑडिटोरियम के उद्घाटन और वार्षिक समारोह के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.11.2025, शुक्रवार समयः शाम 5:00 बजे स्थानः मोहाली
नमस्कार!
आज गिल्को इंटरनेशनल स्कूल, मोहाली के इस नव-निर्मित ऑडिटोरियम के लोकार्पण तथा 12वें वार्षिक समारोह के शुभ अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मैं अत्यंत प्रसन्नता और गर्व का अनुभव कर रहा हूँ। यह एक भवन के उद्घाटन के साथ-साथ एक नए विचार, नई ऊर्जा और नई संभावनाओं का शुभारंभ है।
इस नवनिर्मित ऑडिटोरियम में इस प्रतिष्ठित स्कूल के वार्षिक समारोह का हिस्सा बनना मेरे लिए एक विशेष और आनंददायी अनुभव है। मैं इस नवनिर्मित ऑडिटोरियम के लिए गिल्को इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधन, शिक्षकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और अन्य सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।
मैं समझता हूं कि लगभग 10 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में फैले और 600 से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता वाला यह आधुनिक ऑडिटोरियम आने वाली पीढ़ियों को अभिव्यक्ति, सृजनात्मकता, नवाचार और नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा। यह परिसर विद्यार्थियों के सपनों को आकार देने और उनके व्यक्तित्व को निखारने का एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा।
भारत के महान विचारक स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे कि “शिक्षा मनुष्य में पहले से विद्यमान पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”
आज जब मैं इस आधुनिक और सुव्यवस्थित भवन को देखता हूँ, तो यह स्पष्ट होता है कि गिल्को इंटरनेशनल स्कूल न केवल पढ़ाई का स्थान है, बल्कि यह ऐसा संस्थान है जहाँ बच्चों की पूर्णता, क्षमता और सृजनशीलता को उभरने के अवसर मिलते हैं।
विद्यालय का यह ऑडिटोरियम बच्चों में कला, संस्कृति, भाषण-कला, संगीत, नाटक, वाद-विवाद और वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ाने का एक सशक्त मंच बनेगा। ये गतिविधियाँ किसी भी बच्चे को केवल विद्यार्थी नहीं, बल्कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व बनाने में मदद करती हैं।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि गिल्को इंटरनेशनल स्कूल ने वर्ष 2013 में माता हरचरण कौर एजुकेशनल ट्रस्ट के नेतृत्व में मात्र 45 विद्यार्थियों से अपनी यात्रा प्रारम्भ की थी। 2015 में कक्षा 10वीं तक सी.बी.एस.सी. संबद्धता प्राप्त हुई और 2016-17 में 10वीं कक्षा के प्रथम बैच की शुरूआत हुई। 2018 में कक्षा 12वीं तक संबद्धता मिली और 2020 में 12वीं कक्षा के प्रथम बैच की शुरूआत हुई, वह भी वैश्विक महामारी जैसी ऐतिहासिक चुनौती के बीच।
आज 1 हजार 430 विद्यार्थियों की प्रभावशाली संख्या के साथ यह विद्यालय क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुशासन और संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण का एक प्रतिष्ठित केंद्र बन चुका है।
यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ है कि विद्यालय की कक्षा 12वीं के प्रथम बैच में से ही सात विद्यार्थियों ने “Gillco Goes Global”पहल के अंतर्गत विदेशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्राप्त किया। साथ ही, इस विद्यालय के विद्यार्थी एन.डी.ए., एम.बी.बी.एस., इंजीनियरिंग एवं अन्य प्रतियोगी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रदेश और राष्ट्र का गौरव बढ़ा रहे हैं।
इसके अलावा, विद्यालय केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि क्लास-रूमों से परे समग्र विकास का भी सशक्त केंद्र है। इसके द्वारा राष्ट्रीय एवं ज़ोनल स्तर पर चैंपियनशिप जीतना इस बात का प्रमाण है कि यहाँ खेल, कला, संस्कृति और जीवन कौशल, हर क्षेत्र में प्रतिभा को प्रोत्साहित किया जाता है।
भविष्य की दिशा में देखते हुए, रोबोटिक्स लैब की स्थापना, स्मार्ट क्लासरूम और तकनीक-संचालित शिक्षण प्रणाली यह दर्शाती है कि यह विद्यालय न केवल वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि विद्यार्थियों को उनके तकनीक-प्रधान भविष्य के लिए भी तैयार कर रहा है। एक ऐसा भविष्य जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवाचार से परिभाषित होगा।
सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि विद्यालय अपने विद्यार्थियों में मूल्यों, संवेदनशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी विकसित करता है।
किसी एन.जी.ओ. को अपनाना, समुदाय और अभिभावकों की निरंतर सहायता करना, यह सिद्ध करता है कि गिल्को इंटरनेशनल स्कूल केवल शिक्षा ही नहीं देता, बल्कि बच्चों को सच्चे अर्थों में अच्छा इंसान बनने की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि इस वर्ष के वार्षिक समारोह की थीम “Kurukshetra: The Battlefield Within” अत्यंत प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक है।
कुरुक्षेत्र केवल महाभारत का युद्धक्षेत्र नहीं था; यह वह स्थान भी था जहाँ मनुष्य को कर्तव्य और मोह, सत्य और असत्य, भय और साहस के बीच महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़े।
यदि हम ध्यान से देखें तो प्रत्येक व्यक्ति का जीवन भी एक कुरुक्षेत्र है। हर विद्यार्थी अपने सपनों और चुनौतियों के बीच संघर्ष करता है। हर युवा भय और विश्वास के बीच अपना रास्ता चुनता है। हर इंसान अपने भीतर के प्रश्नों, द्वंद्वों और कमजोरियों से निरंतर जूझता है। वास्तव में, सबसे बड़ी जीत मैदान में नहीं, बल्कि मन के भीतर हासिल होती हैं।
मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि गिल्को इंटरनेशनल स्कूल अपने विद्यार्थियों को केवल शिक्षा ही नहीं दे रहा, बल्कि उन्हें यह भी सिखा रहा है कि सच का चयन कैसे करना है, धैर्य कैसे रखना है, और कठिनाइयों से भागने के बजाय उनसे सीखकर आगे कैसे बढ़ना है। यही जीवन के असली मूल्य हैं, और यही मूल्य भविष्य के नेतृत्व की दिशा तय करते हैं।
आज की प्रस्तुतियाँ केवल एक सांस्कृतिक प्रदर्शन नहीं होंगी। वे उस अंतर्युद्ध का प्रतीक होंगी जो हर बच्चे के भीतर प्रतिदिन चलता है; उन मूल्यों का प्रतिबिंब होंगी जो उसे मजबूत बनाते हैं; और उन विजयों का उत्सव होंगी जो वह अपने भीतर की चुनौतियों पर प्राप्त करता है।
देवियो और सज्जनो,
आज मैं हमारे शिक्षकगण को विशेष रूप से बधाई देना चाहता हूँ। आप सभी राष्ट्र निर्माता हैं। महात्मा गांधी जी कहा करते थे, “एक अच्छे शिक्षक की छाप बच्चे के मन पर जीवनभर रहती है।”
मैं समझता हूं कि शिक्षक केवल पाठ्यपुस्तक का ज्ञान नहीं देते, वे जीवन जीने की कला सिखाते हैं, सोचने का तरीका गढ़ते हैं, और व्यक्तित्व को आकार देते हैं।
वे बच्चों में छिपी क्षमताओं को पहचानने वाले प्रथम मार्गदर्शक होते हैं। वे वह शक्ति हैं जो एक साधारण बच्चे के अंदर छिपे असाधारण को बाहर लाती है। वे वह प्रकाश हैं जो अनिश्चितताओं के अंधकार में रास्ता दिखाता है। शिक्षक ही बच्चे को सही और गलत का विवेक देना सिखाते हैं; वे उसे सपने देखने और उन सपनों को पूरे साहस और आत्मविश्वास के साथ पूरा करने का साहस देते हैं।
एक पुस्तक ज्ञान देती है, परंतु एक शिक्षक उस ज्ञान का अर्थ, अनुभव, और उपयोग समझाता है। वे हर बच्चे को यह विश्वास दिलाते हैं कि “तुम कर सकते हो”, और यह छोटा-सा वाक्य जीवन की दिशा बदल देता है।
शिक्षक ही बच्चों में अनुशासन, संवेदनशीलता, कर्तव्यभाव, धैर्य, और चरित्र की नींव रखते हैं। उनकी प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों को न केवल सफल बनाती है, बल्कि अच्छा इंसान भी बनाती है।
सच कहा जाए तो, शिक्षक कक्षाओं में नहीं, हृदयों में अपना प्रभाव छोड़ते हैं। और जहाँ शिक्षक का प्रभाव होता है, वहाँ भविष्य उज्ज्वल होना तय है।
मेरे प्रिय विद्यार्थियो,
यह दिन आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आपका उत्सव है, आपकी मेहनत, आपके सपनों और आपकी उपलब्धियों का उत्सव।
आप ही विकसित भारत 2047 के निर्माता हैं। आपके सामने एक नया भारत खड़ा हो रहा है। डिजिटल इंडिया, खेलो इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी, इन सभी क्षेत्रों में आप जैसे युवा ही देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाले हैं।
याद रखिए, “सफलता उसी को मिलती है, जो अपनी तैयारी पर भरोसा करता है, परिस्थितियों पर नहीं।”
आपके शिक्षक आपको दिशा देते हैं, आपके माता-पिता आपको सपने देते हैं, पर उन सपनों को साकार करने की शक्ति आपके भीतर है। इसलिए मेहनत से कभी समझौता मत कीजिए, और सपनों को कभी छोटा मत समझिए।
अब दायित्व आप सभी पर है कि आप स्वयं को आने वाले समय की जिम्मेदारियों के लिए तैयार करें। आधुनिक भारत के सपने को साकार करने के लिए आपको आत्मविश्वास के साथ भविष्य का सामना करना होगा और अपने व्यक्तित्व में अनुशासन, सहिष्णुता, ज्ञान की प्यास, सकारात्मक दृष्टिकोण और मानव मात्र के प्रति सम्मान का भाव विकसित करना होगा।
भगवान बुद्ध ने कहा है कि “अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेने के लिए, अपने परिवार को सच्चा सुख देने के लिए, सभी को शांति देने के लिए, सबसे पहले व्यक्ति को स्वयं को अनुशासित करना चाहिए और अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। यदि मन को नियंत्रित कर लिया जाए, तो ज्ञान और सद्गुण स्वतः ही प्राप्त हो जाते हैं।”
अनुशासन एक-दूसरे के प्रति सम्मान को जन्म देता है, जिससे परिसर और समाज में शांति एवं सद्भाव का वातावरण बनता है। अनुशासन ही हमें एक जिम्मेदार और उत्तरदायी नागरिक बनने की दिशा दिखाता है।
आपमें जिज्ञासा और सीखने की लालसा होनी चाहिए। तभी आप आगे बढ़ सकते हैं। शिक्षा इसी ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है। ज्ञान की कोई सीमाएँ नहीं होतीं; इसे प्राप्त करने के लिए हमें संकीर्ण क्षेत्रीय और स्थानीय सीमाओं से ऊपर उठना होता है।
आज की दुनिया में औसत दर्जे की कोई कीमत नहीं है। आप जो भी क्षेत्र चुनें, चाहे डॉक्टर बनें, इंजीनियर, कलाकार, सैनिक या समाजसेवी, हर क्षेत्र में श्रेष्ठता का लक्ष्य रखें। मैं हमेशा कहता हूँ कि एक उत्कृष्ट बढ़ई एक औसत इंजीनियर से कहीं बेहतर है।
कभी भी दूसरों की सोच के परिणामों में जीने की भूल न करें। दूसरों की राय का शोर आपकी अपनी भीतरी आवाज को दबा न दे। सबसे आवश्यक है, अपने दिल और अंतःप्रेरणा का साहसपूर्वक अनुसरण करना। बाकी सब बाद में आता है।
जीवन का उद्देश्य तय करता है कि हम अपना समय, ऊर्जा और संसाधन किस दिशा में लगाएँगे। यह भी निर्धारित करता है कि हम दूसरों से कैसे जुड़ते हैं। उद्देश्य के बिना जीवन दिशाहीन हो जाता है। इसलिए यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि हमारा जीवन-उद्देश्य क्या है।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि “एक विचार पकड़ो। उसी विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसका सपना देखो, उसी पर जियो। तुम्हारे मस्तिष्क, स्नायुओं, शरीर के प्रत्येक भाग में वही विचार भर जाना चाहिए। बाक़ी सभी विचारों को छोड़ दो। यही सफलता का मार्ग है, और इसी प्रकार महान व्यक्तित्वों का निर्माण होता है। बाकी लोग मात्र बातें करने वाले होते हैं।”
मैं आशा करता हूँ कि मेरे प्रिय विद्यार्थियों, आप अपने जीवन का उद्देश्य अवश्य पहचानेंगे और उसे प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।
देवियो और सज्जनो,
जीवन में ज्ञान जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण है चरित्र।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कहा करते थे कि “देश का सर्वश्रेष्ठ संसाधन उसके युवा हैं। यदि युवा अच्छे हैं, तो देश का भविष्य भी अच्छा होगा।”
स्कूलों का दायित्व केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चों में उन मूल्यों को रोपित करना भी है जो उन्हें एक अच्छा इंसान बनाते हैं। एक ऐसा इसंान जो दूसरों का सम्मान करे; पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो; सत्य, न्याय और दया का भाव रखे; तथा समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार हो।
मुझे खुशी है कि गिल्को इंटरनेशनल स्कूल इन मूल्यों को अपने शैक्षिक ढांचे का अभिन्न हिस्सा मानता है।
मैं अभिभावकों को भी अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ। आपने अपने बच्चों को शिक्षा के लिए एक उत्कृष्ट संस्थान सौंपा है। स्कूल और परिवार, इन दोनों के बीच सहयोग से ही बच्चे नई ऊँचाइयों तक पहुँचते हैं।
बच्चों को सपनों की उड़ान दीजिए, स्वतंत्रता दीजिए, लेकिन उनसे जुड़कर रहिए। उनकी हर छोटी-बड़ी उपलब्धि को सराहिए। आपका प्रोत्साहन ही उनका आत्मविश्वास बनता है।
देवियो और सज्जनो,
आज के इस समारोह में मैं आप सभी के लिए एक संदेश देना चाहूँगा, “हमारा लक्ष्य केवल सफल होना नहीं, बल्कि उपयोगी होना भी है।” हम अपने देश को तभी आगे बढ़ा सकते हैं जब हम स्वयं आगे बढ़ेंगे, सीखेंगे, बदलेंगे और समाज को भी बदलेंगे।
नए भारत का सपना आप जैसे युवा ही पूरा करेंगे। अपने कौशल से, अपनी सोच से, अपनी ऊर्जा से, और अपने सकारात्मक कार्यों से।
अंत में, मैं गिल्को इंटरनेशनल स्कूल को इस भव्य ऑडिटोरियम के निर्माण और एक उत्तम वार्षिक समारोह के आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। यह संस्थान निरंतर उन्नति करे, नई उपलब्धियाँ हासिल करे और देश के लिए श्रेष्ठ नागरिक तैयार करे। इसी शुभकामना के साथ मैं अपनी मैं आपनी वाणी को विराम देता हूँ।
आप सभी को मेरी ओर से शुभकामनाएँ।
आपका भविष्य उज्ज्वल हो, यही मेरी कामना है।
धन्यवाद,
जय हिन्द!