SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF ALL INDIA MEDIA MEET AT CHANDIGARH ON DECEMBER 14, 2025.
- by Admin
- 2025-12-14 13:50
‘ऑल इंडिया मीडिया मीट’के अवसर पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 14.12.2025, रविवार समयः सुबह 11:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज ‘ऑल इंडिया मीडिया मीट’ के इस महत्वपूर्ण आयोजन में उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह मीट केवल एक सम्मेलन नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के उस सशक्त स्तंभ का उत्सव है, जिसे हम मीडिया, प्रेस, चौथा स्तंभ या लोकमत का आईना कहते हैं। मीडिया केवल सूचनाओं का वाहक नहीं, बल्कि समाज की चेतना का संरक्षक है; लोकतंत्र की आत्मा का दर्पण है; और नागरिकों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का जागरूक प्रहरी है।
मैं इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए ‘द ट्रिब्यून इम्पलाइज यूनियन और कॉन्फ़ेडरेशन’ के सभी पदाधिकारियों, कर्मियों, पत्रकार व गैर-पत्रकारों और यहाँ उपस्थित सभी अतिथियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।
मेरा मानना है कि द ट्रिब्यून ग्रुप केवल एक समाचार पत्रों का ग्रुप नहीं, बल्कि उत्तर भारत की सामाजिक चेतना, जनजागरण और लोकतांत्रिक मूल्यों का एक सुदृढ़ स्तंभ है। वर्ष 1881 में सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा स्थापित यह संस्थान 144 वर्षों से अधिक समय से सत्य, स्वतंत्रता, निष्पक्षता और जनहित के पत्रकारिता के सर्वाेत्तम आदर्शों को अपने दायित्व के रूप में निभाता आया है।
सरदार दयाल सिंह मजीठिया एक दूरदर्शी समाज सुधारक, शिक्षा-प्रेमी और आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक थे। उन्होंने अपनी संपत्ति, अपनी ऊर्जा और अपने संकल्प को उन उद्देश्यों के लिए समर्पित किया, जो समाज के बौद्धिक विकास और नागरिक चेतना को समृद्ध करें।
आज भी ट्रिब्यून ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री एन.एन. वोहरा जी इतने बड़े समूह का मार्गदर्शन कर रहे हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में नाम कमाया है।
मैं, आज विशेष रूप से द ट्रिब्यून एम्प्लॉइज़ यूनियन की सराहना करना चाहूंगा। यूनियन का कार्य केवल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा तक सीमित नहीं है। एक सशक्त और संवेदनशील यूनियन वही है, जो अपनी संगठनात्मक शक्ति को सामाजिक कल्याण और जनसेवा में भी लगाए, और मुझे प्रसन्नता है कि ट्रिब्यून एम्प्लॉइज़ यूनियन इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
हाल ही में पंजाब में आई भीषण बाढ़ में पीड़ितों का दर्द बांटने की हो या फिर हिमाचल प्रदेश में आई भारी तबाही से जूझ रहे लोगों की सहायता का मसला हो, ट्रिब्यून एम्प्लॉइज़ यूनियन ने राहत सामग्री एकत्र करने, प्रभावित परिवारों तक सहायता पहुँचाने और जनसहयोग अभियान चलाने में अत्यंत प्रशंसनीय योगदान दिया है।
मुझे बताया गया है कि इससे पहले यूनियन उत्तरकाशी में आये भूकंप के दौरान भी पीड़ितों की मदद के लिये हाथ बढ़ा चुकी है। इतना ही नहीं साल में दो बार सरदार दयाल सिंह मजीठिया की पुण्यतिथि और महिला दिवस पर रक्तदान शिविर लगाती है। यूनियन द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर न केवल मानवीय संवेदना के प्रतीक हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि पत्रकार और कर्मचारी समाज के साथ खड़े होने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
मुझे ज्ञात हुआ है कि यूनियन द्वारा आयोजित की जा रही यह तीसरी ऑल इंडिया मीडिया मीट है जिसमें कन्फेडरेशन ऑफ न्यूज़पेपर एंड न्यूज मीडिया एम्प्लॉइज़ के बैनर तले देशभर की बड़ी पत्रकार-गैर पत्रकार यूनियनें एकत्र हो रही हैं। ये सभी मिलकर मीडिया क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों के अधिकारों, सुरक्षा, वेज बोर्ड, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और आधुनिक कार्य-परिस्थितियों पर उच्चस्तरीय विमर्श करेंगे।
आज का यह कार्यक्रम इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि देशभर से आये मीडिया के लोग दो दिन तक पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों के बारे में विचार-विमर्श करेंगे और मीडिया के दायित्वों को नये सिरे से परिभाषित करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
भारत की प्रेस का इतिहास अत्यंत गौरवशाली और सम्माननीय रहा है तथा उसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वयं महात्मा गांधी अपने समय के संभवतः सबसे प्रभावशाली संपादक और पत्रकार थे। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से भारतीयों में स्वाभिमान और गरिमा की भावना जागृत की, साथ ही उन्हें एकजुट होकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा भी दी।
29 जनवरी, 1780 को प्रकाशित हुए भारत के पहले समाचार पत्र ‘बंगाल गजट’ से लेकर आज तक देश में पत्रकारिता ने एक लंबी और सशक्त यात्रा तय की है।
एक समय सीमित पाठकों तक पहुँचने वाला यह माध्यम आज लगभग 1 लाख 54 हजार पंजीकृत प्रकाशनों के माध्यम से देश के कोने-कोने तक अपनी पहुँच बना चुका है। यह विस्तार न केवल प्रेस की बढ़ती शक्ति और प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में सूचना, अभिव्यक्ति और जन-जागरूकता की भूमिका को भी रेखांकित करता है।
भारत में पत्रकारिता का इतिहास केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि आज़ादी की लड़ाई का सबसे प्रभावी हथियार रहा है। हिंदू पैट्रियट, अमृत बाज़ार पत्रिका, केसरी, यंग इंडिया और हरिजन जैसे प्रकाशन हमारे राष्ट्रीय पुनरुत्थान के जीवंत दस्तावेज़ बने। वहीं पंजाब की पवित्र और प्रगतिशील धरती से अकालि, नवा ज़माना और ट्रिब्यून जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों ने समाज में जागरूकता के दीप जलाए और जनमत को दिशा दी।
आज़ादी के बाद मीडिया ने राष्ट्र-निर्माण, सामाजिक सुधार, जन-शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, कृषि, उद्योग और सांस्कृतिक उन्नति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। समय के साथ पत्रकारिता की यह यात्रा और भी विस्तृत हुई है, विशेषकर डिजिटल युग में, जहाँ समाचार अब सीमाओं से परे पहुँचते हैं; सूचना की गति प्रकाश से भी तेज हो गई है; और एक खबर कुछ ही क्षणों में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँच जाती है।
यदि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं, तो मीडिया उन सभी को संतुलित रखने वाली केंद्रीय धुरी है। मीडिया ही वह शक्ति है जो प्रश्न पूछती है, शासन और संस्थाओं की उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती है, जन-मत को दिशा प्रदान करती है और सत्य को समाज के सामने उजागर करती है। वास्तव में मीडिया वह प्राणतत्व है जो भारत जैसे विशाल, विविध और जीवंत लोकतंत्र को सतत गतिशील, जागरूक और उत्तरदायी बनाए रखता है।
आज के दौर में मीडिया को सोशल मीडिया के बड़े खतरे से भी जूझना पड़ रहा है। मेनस्ट्रीम मीडिया से पहले सोशल मीडिया पर कच्ची-पक्की खबरें प्रसारित हो जाती हैं। वेब, डिजिटल मीडिया और ए.आई. के इस जमाने में पत्रकारों को मीडिया पर विश्वास जमाये रखना और समाज कल्याण की दिशा में काम करते रहना अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
आज सूचनाओं की भरमार है, मीडिया प्लेटफॉर्मों की बाढ़ सी आई हुई है। विविधता और सूचना-उत्पादन की गति ने एक ऐसा माहौल बना दिया है जिसमें वास्तविकता और कल्पना, तथ्य और अफवाह, सत्य और मिथ्या, इन सबका घालमेल सा हो गया है।
इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती है कि कौन सा माध्यम समाज को विश्वसनीय जानकारी देता है? समाज किस मीडियम पर भरोसा करे कि वह उन्हें सटीक एवं विश्वसनीय खबर देगा। या फिर कौन सूचना को तथ्य के रूप में प्रस्तुत करता है, और कौन भ्रम का सूत्रधार बनता है? इस संदर्भ में मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया के बीच जारी द्वंद एक महत्वपूर्ण विमर्श बन चुका है।
बीते दो दशकों में सूचना-प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। पहले समाचार-पत्र, रेडियो और टीवी ही सूचना के मुख्य स्रोत थे। लेकिन आज सोशल मीडिया वैश्विक स्तर पर सूचना का सबसे तेज और प्रभावी माध्यम बन चुका है।
सूचना की इस क्रांति ने लोकतंत्र को मजबूती दी है, परन्तु साथ ही भ्रम, दुष्प्रचार और फेक न्यूज का एक नया उद्योग भी खड़ा कर दिया है। ऐसी स्थिति में सत्य और तथ्य की पहचान करने का काम आप लोगों के लिये पहले से कहीं अधिक कठिन हो गया है। उम्मीद करता हूं कि आप लोग यहां दो दिनों तक इन सभी ज्वलंत मुद्दों की गहराई में जायेंगे और मीडिया व समाज के लिये कुछ उपयोगी सुझाव व निष्कर्ष निकालेंगे।
देवियो और सज्जनो,
मैं समझता हूं कि इस सम्मेलन का आयोजन हमारे मीडिया कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और उनकी पेशेवर गरिमा के संवर्धन के लिए एक अत्यंत सशक्त और प्रभावी मंच है।
मैं यह कहना चाहूँगा कि पत्रकार और मीडिया कर्मी चौबीसों घंटे सक्रिय रहते हैं, अनेक बार चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों, जोखिमपूर्ण क्षेत्रों और सीमित संसाधनों में रिपोर्टिंग करते हैं। ऐसे में मीडिया पेशेवरों की सुरक्षा, मानवोचित कार्य वातावरण, उचित वेतन संरचना, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, बीमा और आवश्यक कानूनी संरक्षण जैसे मुद्दों पर हमें गंभीरता, संवेदनशीलता और दूरदृष्टि के साथ काम करना होगा।
पत्रकारों का कल्याण केवल एक उद्योग या कर्मचारियों के हित का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक तंत्र की आत्मा, मूल्यों और विश्वसनीयता से गहराई से जुड़ा हुआ प्रश्न है। एक सुरक्षित, समर्थ और सम्मानित पत्रकार समुदाय ही एक सशक्त, पारदर्शी और उत्तरदायी भारत के निर्माण में सर्वाेपरि भूमिका निभा सकता है।
मीडिया ने सदैव समाज को सकारात्मक दिशा दी है, और आज भी यह अपेक्षा की जाती है कि पत्रकारिता सत्य पर आधारित, पक्षपातरहित, संतुलित, रचनात्मक और जन-हित को सर्वाेपरि रखने वाली हो। पत्रकारिता में भाषा का संयम, अभिव्यक्ति का संतुलन और सूचना का सत्यापन अत्यंत आवश्यक तत्व हैं।
आज मीडिया के सामने फेक न्यूज़, सनसनीकरण, TRP आधारित प्रतिस्पर्धा, डिजिटल सब्सक्रिप्शन की चुनौतियाँ, छोटे मीडिया हाउसों पर आर्थिक दबाव और विज्ञापन निर्भरता जैसी अनेक कठिनाइयाँ हैं। फिर भी, इन चुनौतियों के बीच अवसर भी उतने ही विशाल और प्रेरक हैं। गुणवत्ता आधारित पत्रकारिता, खोजी पत्रकारिता की नई तकनीकें, समृद्ध डिजिटल संग्रह, युवा पत्रकारों का नवीन दृष्टिकोण, क्षेत्रीय भाषाओं में उत्कृष्ट सामग्री का उभार, और वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ को सशक्त रूप से रखने के अवसर, ये सभी संकेत देते हैं कि भारत विश्व के सबसे बड़े मीडिया बाज़ार के रूप में एक अत्यंत उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
पंजाब की धरती ऊर्जा, सहनशीलता, वीरता और प्रगतिशीलता की प्रतीक है। यह भूमि साहित्य, कविता, संगीत और पत्रकारिता की समृद्ध परंपराओं को अपने भीतर समेटे हुए है। आज पंजाब कृषि के आधुनिकीकरण, उद्योग और MSMEs के विस्तार, स्टार्टअप इकोसिस्टम की मजबूती, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के सुधार, नशा मुक्ति अभियान और युवाओं के पुनर्निर्माण, तथा ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है। इन सभी क्षेत्रों में मीडिया की भूमिका अत्यंत निर्णायक है। मीडिया केवल समस्याएँ उजागर करे ही नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में समाज को प्रेरित करे, यह पंजाब के हित में और राष्ट्र के हित में है।
हम “विकसित भारत 2047” की यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। इस अभियान में मीडिया केवल सहयात्री ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक शक्ति है। यदि भारत को वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में स्थापित होना है, तो तथ्यपूर्ण, संतुलित, उत्तरदायी, सकारात्मक और नवीनतम तकनीक से सुसंगत पत्रकारिता ही इस दिशा में हमारी सबसे बड़ी शक्ति बन सकती है।
मैं ‘द ट्रिब्यून इम्पलाइज यूनियन और कान्फेडरेशन’ को इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। यह मंच न केवल पत्रकारों और मीडिया कर्मचारियों के हितों की रक्षा कर रहा है, बल्कि मीडिया जगत की चुनौतियों, संभावनाओं और जिम्मेदारियों पर गंभीर संवाद को भी आगे बढ़ा रहा है।
आपके प्रयास न केवल इस संस्था को सशक्त बनाते हैं, बल्कि समाज में भरोसे, संवेदना और जनसेवा की परंपरा को भी मजबूत करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि द ट्रिब्यून आने वाले वर्षों में भी निष्पक्ष पत्रकारिता, जनसेवा और सामाजिक सरोकार के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा।
अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि मीडिया जितना स्वतंत्र होगा, भारत उतना ही मजबूत होगा; मीडिया जितना जिम्मेदार होगा, लोकतंत्र उतना ही उज्ज्वल होगा। आप सभी पत्रकारों और मीडिया कर्मियों का कार्य केवल नौकरी नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण का पवित्र दायित्व है। मेरी शुभकामनाएँ हैं कि यह अखिल भारतीय मीडिया मीट नई सोच, नए संकल्प और नई ऊर्जा के साथ भारत की पत्रकारिता को एक नई दिशा प्रदान करे।
आप सभी को शुभकामनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!