SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF ANNUAL UTSAV SAMAROH OF SHRI BABA MASTNATH AT ROHTAK ON DECEMBER 16, 2025.
- by Admin
- 2025-12-16 16:15
‘श्री बाबा मस्तनाथ सीनियर सेकेंडरी स्कूल’ और ‘श्री बाबा मस्तनाथ सैनिक स्कूल’के संयुक्त वार्षिक उत्सव के अवसर पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया जी का सम्बोधनदिनांकः 16.12.2025, मंगलवार समयः दोपहर 12:00 बजे स्थानः रोहतक
नमस्कार!
आज इस पावन अवसर पर रोहतक के इस ऐतिहासिक स्थल पर उपस्थित होकर मुझे अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। श्री बाबा मस्तनाथ सीनियर सेकेंडरी स्कूल और श्री बाबा मस्तनाथ सैनिक स्कूल के संयुक्त वार्षिक उत्सव में सम्मिलित होना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है।
आप सभी जानते हैं कि यह मठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, शिक्षा और सामाजिक सेवा का अद्भुत संगम है। इस पावन स्थल की स्थापना आठवीं शताब्दी में परम सिद्ध शिरोमणि चौरंगीनाथ जी महाराज ने की थी। उस समय इस मठ का इतना वैभव था कि यहां से 84 सिद्धों की पालकियां एक साथ निकलती थीं, जो धर्म, संस्कृति और समाज सेवा की प्रतीक थीं।
कालक्रम से जब यह मठ विध्वंस के कगार पर पहुंच गया, तब अठारहवीं शताब्दी में सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी महाराज ने अपनी कठोर तपस्या और गहन साधना से इस स्थल का पुनरुद्धार किया। उनकी अलौकिक सिद्धियों के कारण उन्हें गुरु गोरखनाथ का अवतार माना गया। आज यह मठ नाथ संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी के रूप में प्रतिष्ठित है।
मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि आज हम सबके बीच इस मठ के आठवें मठाधीश श्री बाबा बालकनाथ जी योगी विराजमान हैं। उनकी जीवन यात्रा स्वयं में एक प्रेरणा है। मात्र साढ़े छह वर्ष की अल्पायु में संन्यास लेकर आध्यात्मिक पथ पर चलने का जो साहस उन्होंने दिखाया, वह असाधारण है।
अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ जी की छत्रछाया में उन्होंने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया, बल्कि समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कार्य किया। 29 जुलाई 2016 को जब योगी आदित्यनाथ जी और बाबा रामदेव जी की उपस्थिति में उन्हें इस पावन गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित किया गया, तब से उन्होंने इस विरासत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
देवियो और सज्जनो,
बाबा बालकनाथ जी के नेतृत्व में बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय आज 35 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, शिक्षा, प्रबंधन, हर क्षेत्र में इस संस्थान ने उत्कृष्टता के मानक स्थापित किए हैं। सन 1987 में श्री बाबा मस्तनाथ पब्लिक स्कूल की स्थापना से लेकर सैनिक स्कूल की मान्यता तक का सफर उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है।
विशेष रूप से, जब हमारे सीनियर सेकेंडरी स्कूल और सैनिक स्कूल, दोनों को सैनिक स्कूल सोसायटी की मान्यता प्राप्त हुई, तो यह हरियाणा और विशेषकर रोहतक के लिए गौरव का क्षण था। आज ये संस्थान न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्र के भावी रक्षकों को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
बाबा बालकनाथ जी ने यह सिद्ध कर दिया है कि आध्यात्मिकता और सामाजिक सेवा एक साथ चल सकती है। 2019 में अलवर लोकसभा सीट से विजयी होकर वे संसद पहुंचे और 2023 में तिजारा विधानसभा सीट से विधायक बने। ‘राजस्थान के योगी’ के रूप में उनकी ख्याति उनके तेजस्वी व्यक्तित्व और कर्मठता का परिचायक है।
मेरे प्यारे बच्चो,
आप सब अत्यंत भाग्यशाली हैं कि आपको इस पावन और ऐतिहासिक स्थल पर शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है। यहां की मिट्टी में तपस्या की सुगंध है, समर्पण का भाव है, और राष्ट्रसेवा का संकल्प है। मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि श्री बाबा मस्तनाथ सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चे सीबीएसई नेशनल स्पोर्ट्स में काफी सारे गोल्ड और सिल्वर जीतकर लाए हैं यह विद्यालय और विद्यार्थियों, दोनों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
जो विद्यार्थी सैनिक स्कूल में हैं, आप राष्ट्र के भावी सुरक्षा कवच हैं। आपने जिस मार्ग को चुना है, वह गौरव, त्याग और सेवा का मार्ग है। राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा करना केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक पवित्र कर्तव्य है। इसके लिए दृढ़ संकल्प, मानसिक एवं शारीरिक सुदृढ़ता तथा नैतिक मूल्यों की आवश्यकता होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यहाँ से निकलने वाले विद्यार्थी भारतीय सशस्त्र बलों में अपनी सेवाओं से देश का नाम रोशन करेंगे।
और सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों से मैं कहना चाहूंगा कि आज आप जिस ज्ञान, अनुशासन और संस्कार को आत्मसात कर रहे हैं, वही कल भारत के भविष्य की दिशा तय करेगा। आप सभी अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करें। चाहे आप वैज्ञानिक बनें, डॉक्टर बनें, इंजीनियर बनें या शिक्षक, जो भी करें, पूरी ईमानदारी और लगन से करें।
प्रिय बच्चो,
हमारी सभ्यता हजारों वर्षों पुरानी है, पर हमारी युवा शक्ति आज भी नई ऊर्जा, नए विचार और नए सपनों से भरी हुई है। आप सभी उस भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो आने वाले वर्षों में विज्ञान, तकनीक, संस्कृति, खेल, कला और राष्ट्रसेवा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करेगा।
हमारे महान चिंतक और शिक्षाविद् स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।” यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। निरंतर परिश्रम, अनुशासन और आत्मविश्वास ही आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचाते हैं।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें हम सभी “मिसाइल मैन” और “जनता के राष्ट्रपति” के रूप में जानते हैं, कहा करते थे, “बड़े सपने देखो, क्योंकि सपने ही विचारों को जन्म देते हैं और विचार ही कर्म में बदलते हैं।” उन्होंने यह भी कहा था कि एक विकसित राष्ट्र का निर्माण प्रयोगशालाओं से नहीं, बल्कि कक्षाओं से होता है।
शिक्षा केवल पुस्तकों का ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं है। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है, आपके भीतर छिपी हुई क्षमताओं को पहचानना और उन्हें समाज एवं राष्ट्र के हित में उपयोग करना। महात्मा गांधी ने कहा था, “किसी भी समाज की सच्ची तस्वीर उसके बच्चों से दिखाई देती है।” इसलिए, आप जैसा सोचेंगे, जैसा सीखेंगे और जैसा आचरण करेंगे, वही भारत के भविष्य का स्वरूप तय करेगा।
आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल तकनीक, अंतरिक्ष विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ भारतीय संस्कृति से जुड़ाव भी उतना ही आवश्यक है। तकनीक हमें सक्षम बनाती है, जबकि संस्कृति हमें दिशा देती है। जब आधुनिक विज्ञान और प्राचीन संस्कार साथ-साथ चलते हैं, तभी एक संतुलित, संवेदनशील और सशक्त राष्ट्र का निर्माण संभव होता है।
साथियो,
भारतीय शिक्षा परंपरा की सबसे बड़ी शक्ति गुरुकुल परंपरा रही है। गुरुकुल शिक्षा के साथ-साथ जीवन जीने की कला सिखाने का केंद्र होता था। वहाँ शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, आत्मसंयम, अनुशासन और सेवा-भाव का विकास था। गुरु और शिष्य का संबंध विश्वास, सम्मान और संस्कारों पर आधारित होता था।
मुझे प्रसन्नता है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इसी प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा की आधुनिक पुनर्व्याख्या है। यह नीति रटंत विद्या के स्थान पर समग्र, अनुभवात्मक और मूल्य-आधारित शिक्षा पर बल देती है। बहुविषयक शिक्षा, कौशल विकास, मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा, नैतिक मूल्य और जीवन कौशल, ये सभी गुरुकुल परंपरा की ही आधुनिक अभिव्यक्ति हैं।
गुरुकुल हमें प्रकृति से जुड़कर सीखने, श्रम के सम्मान, अनुशासन और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव सिखाता है। वहीं एन.ई.पी. 2020 विद्यार्थियों को जिज्ञासु, रचनात्मक, आत्मनिर्भर और नवाचारी बनाने का लक्ष्य रखती है, ताकि आप केवल नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले और राष्ट्र-निर्माता बन सकें।
यदि आज की आधुनिक शिक्षा को गुरुकुल परंपरा के संस्कारों और एन.ईपी. 2020 की दूरदर्शी सोच के साथ अपनाया जाए, तो आप न केवल शैक्षणिक रूप से सफल होंगे, बल्कि संस्कारी, संवेदनशील और आत्मविश्वासी नागरिक बनेंगे।
प्रिय बच्चो,
आपका प्रत्येक दिन, आपकी प्रत्येक आदत और आपका प्रत्येक प्रयास राष्ट्र-निर्माण की नींव है। जब आप ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं, अनुशासन का पालन करते हैं, अपने माता-पिता और शिक्षकों का सम्मान करते हैं, तो आप अनजाने में ही देश को मजबूत बना रहे होते हैं।
भारत आज “विकसित भारत 2047” के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2047 में जब हमारा देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब आप सभी देश के मार्गदर्शक होंगे। कोई वैज्ञानिक होगा, कोई डॉक्टर, कोई शिक्षक, कोई उद्यमी, कोई खिलाड़ी, तो कोई देश की सीमाओं की रक्षा करने वाला सैनिक या अधिकारी। उस समय भारत को विकसित, आत्मनिर्भर, समावेशी और विश्व-गुरु बनाने की जिम्मेदारी आपके कंधों पर होगी।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा था, “सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुरजा-पुरजा कट मरे, कबहूं न छाड़े खेत।” “पुरजा-पुरजा कट मरे” का आशय केवल शारीरिक युद्ध नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने की दृढ़ता से है। “कबहूं न छाड़े खेत” हमें सिखाता है कि कठिनाइयाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अपने कर्तव्य और लक्ष्य से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
प्रिय विद्यार्थियो, आज का युग तलवारों का नहीं, बल्कि विचारों और मूल्यों का है। आज की लड़ाई अज्ञान के विरुद्ध ज्ञान से, आलस्य के विरुद्ध परिश्रम से, स्वार्थ के विरुद्ध सेवा से और भय के विरुद्ध चरित्र की दृढ़ता से लड़ी जाती है। जब आप ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं, सच्चाई का साथ देते हैं, अनुशासन में रहते हैं और दूसरों की मदद करते हैं, तब आप गुरु गोबिंद सिंह जी के बताए हुए “सूरा” बनते हैं।
मेरा मानना है कि आपका विद्यालय आपका रणक्षेत्र है, जहाँ आपकी पुस्तकों, प्रयोगशालाओं, खेल मैदानों और कला मंचों पर आपका चरित्र गढ़ता है। हर दिन समय पर उठना, ध्यान से पढ़ना, प्रश्न पूछना, हार से सीखना और सफलता में विनम्र रहना, यही आज के वीर के शस्त्र हैं। जब आप अपने सपनों के लिए निरंतर प्रयास करते हैं और समाज के प्रति संवेदनशील रहते हैं, तब आप देश की सच्ची सेवा करते हैं।
प्रिय विद्यार्थियों,
राष्ट्र-निर्माण केवल बड़ी उपलब्धियों से नहीं होता, बल्कि छोटे-छोटे अच्छे कार्यों से होता है। स्वच्छता अपनाना, पर्यावरण की रक्षा करना, जल और ऊर्जा की बचत करना, समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील होना, ये सभी कार्य भी देशसेवा का ही रूप हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था, “जो दीप स्वयं जलता है, वही दूसरों को प्रकाश देता है।” आप स्वयं को ज्ञान, संस्कार और आत्मविश्वास से प्रकाशित करेंगे, तो समाज और देश अपने आप प्रकाशमान होगा।
आज के बच्चों को मैं विशेष रूप से यह संदेश देना चाहता हूँ कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में स्वयं की तुलना दूसरों से न करें, बल्कि हर दिन स्वयं को पहले से बेहतर बनाने का प्रयास करें। असफलता से घबराएँ नहीं, क्योंकि असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। जो गिरकर उठना सीख लेता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।
मैं जब कभी भी आप जैसे ऊर्जा, उत्साह और असीम संभावनाओं से भरे युवाओं के बीच उपस्थित होता हूँ, तो मेरे मन में अपार विश्वास और आशा का संचार होता है। मेरा आप सभी से हमेशा एक ही आग्रह रहता है कि आप यह समझें कि आप केवल अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि हमारे महान राष्ट्र के भाग्यविधाता हैं।
इसलिए अपने जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार के असामाजिक कर्म या कृत्य को प्रवेश न करने दें। चाहे वह नशों की लत हो, हिंसा हो, अनैतिक आचरण हो या शॉर्टकट अपनाने की प्रवृत्ति, ये सभी आपके उज्ज्वल भविष्य को भीतर से कमजोर कर देते हैं। नशा केवल शरीर को नहीं, बल्कि सोच, आत्मविश्वास और सपनों को भी खोखला कर देता है। यह आपको आपके लक्ष्य से भटका देता है और आपकी अपार ऊर्जा को नकारात्मक दिशा में मोड़ देता है।
याद रखिए, सच्ची स्वतंत्रता अनुशासन में है और सच्ची शक्ति आत्मसंयम में। जब आप स्वस्थ आदतें अपनाते हैं, सकारात्मक मित्रों का चयन करते हैं, खेल, योग, अध्ययन और सेवा को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं, तभी आपकी प्रतिभा पूर्ण रूप से निखरती है। कठिनाइयाँ आएँगी, प्रलोभन भी होंगे, लेकिन वही युवा सशक्त कहलाता है जो ‘ना’ कहना जानता है और सही मार्ग पर अडिग रहता है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि आप चरित्र, परिश्रम और संस्कारों को अपना आधार बनाएँगे, तो न केवल अपना जीवन सफल बनाएँगे, बल्कि एक सशक्त, समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण में भी ऐतिहासिक भूमिका निभाएँगे। देश को आप पर गर्व है। अब यह आप पर है कि आप अपने आचरण से उस गर्व को और ऊँचा उठाएँ।
आपके शिक्षक और अभिभावक आपके सबसे बड़े मार्गदर्शक हैं। उनका सम्मान करना, उनके अनुभव से सीखना और उनके बताए मार्ग पर चलना आपके जीवन को सही दिशा देगा। भारतीय संस्कृति हमें सिखाती है, “मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव।” यही संस्कार भारत को अन्य देशों से अलग और महान बनाते हैं।
मैं श्री बाबा बालकनाथ जी योगी का हृदय से अभिनंदन करता हूं। आपने इस संस्थान को जो ऊंचाइयां दी हैं, वह सराहनीय है। आपका मार्गदर्शन इस मठ की परंपरा को आगे बढ़ाने में अमूल्य योगदान है। मठ परिसर में अक्षरधाम की तर्ज पर बन रहा भव्य मंदिर आपकी दूरदर्शिता का प्रतीक है।
मैं सभी शिक्षकों की भी सराहना करता हूं। आप राष्ट्र निर्माण के शिल्पकार हैं। आपका धैर्य, समर्पण और मेहनत इन नन्हें बच्चों को सफल नागरिक बनाती है।
प्रिय विद्यार्थियों, आप सभी अपने माता-पिता का गौरव बनें, अपने स्कूल का नाम रोशन करें, और राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित करें। बाबा मस्तनाथ जी की यह पावन धरती आपको सदैव प्रेरणा और शक्ति प्रदान करेगी।
मैं कामना करता हूँ कि श्री बाबा मस्तनाथ सीनियर सेकेंडरी स्कूल एवं श्री बाबा मस्तनाथ सैनिक स्कूल शिक्षा, अनुशासन और राष्ट्रसेवा के क्षेत्र में निरंतर नई ऊँचाइयों को प्राप्त करें और यहाँ से निकलने वाले विद्यार्थी देश और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनें।
आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिंद! जय भारत!