SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INAUGURATION OF 38TH CHRYSANTHEMUM SHOW – 2025 AT CHANDIGARH ON DECEMBER 19, 2025.
- by Admin
- 2025-12-19 18:00
‘गुलदाउदी शो-2025’ के अवसर पर
माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 19.12.2025, शुक्रवार
समयः सुबह 10:30 बजे
स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
सबसे पहले मैं आप सभी को 38वें गुलदाउदी शो-2025 की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। आज इस अत्यंत सुंदर, रंगों से भरे और उल्लास से परिपूर्ण अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यह आयोजन केवल फूलों की एक प्रदर्शनी भर नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, सौंदर्य, आनंद और मानवीय संवेदनाओं का एक साझा उत्सव है, जहाँ फूलों के माध्यम से खुशियाँ बाँटी जाती हैं और प्रकृति से हमारा आत्मीय रिश्ता और अधिक सुदृढ़ होता है।
चंडीगढ़ को विश्वभर में “सिटी ब्यूटीफुल” के नाम से जाना जाता है और यह पहचान यूँ ही नहीं बनी है। यह वास्तव में पार्कों और उद्यानों का शहर है। यहाँ लगभग 1900 पार्क और उद्यान हैं, जहाँ लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच कुछ पल सुकून के साथ विश्राम कर सकते हैं और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
इन पार्कों में मुख्य रूप से शामिल रॉक गार्डन, रोज़ गार्डन, टेरेस्ड गार्डन, जापानी गार्डन, गार्डन ऑफ़ फ्रेग्रेन्स जैसे अनेक सुंदर उद्यान चंडीगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय चेतना को और भी समृद्ध करते हैं।
चंडीगढ़ के महान योजनाकार ली-कार्बूज़ियर ने इन पार्कों और उद्यानों को शहर के “फेफड़ों” के रूप में परिकल्पित किया था, ताकि शहर को स्वच्छ हवा, खुला वातावरण और स्वस्थ जीवनशैली प्राप्त हो सके।
आज हम जिस टेरेस्ड गार्डन में एकत्रित हुए हैं, उसका निर्माण वर्ष 1979 में किया गया था और लगभग 10 एकड़ में फैला यह उद्यान-शिल्प का एक अनुपम उदाहरण है। यह पूरा उद्यान सीढ़ीनुमा आकार में विकसित किया गया है, जो इसे एक विशिष्ट और आकर्षक स्वरूप प्रदान करता है।
आज इस गुलदाउदी शो में गुलदाउदी की 260 विभिन्न प्रजातियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जो वास्तव में आँखों को आनंद और मन को प्रसन्नता प्रदान करती हैं। ये रंग-बिरंगे और सुसज्जित पुष्प न केवल सौंदर्य का प्रतीक हैं, बल्कि प्रकृति की रचनात्मकता और विविधता का अद्भुत उदाहरण भी हैं। यह स्वाभाविक है कि इस प्रकार के आयोजन में फूलों से प्रेम करने वाले असंख्य लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
मुझे ज्ञात हुआ है कि सामान्य रूप से इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी के दौरान 60 हजार से अधिक दर्शक यहाँ आते हैं। यह आंकड़ा स्वयं इस आयोजन की बढ़ती लोकप्रियता और लोगों के उत्साह का प्रमाण है। वर्ष दर वर्ष इस शो के प्रति लोगों का आकर्षण निरंतर बढ़ रहा है।
गुलदाउदी शो की एक प्रमुख विशेषता यहाँ आयोजित होने वाली प्रतियोगिताएँ हैं। इनमें फूलों की सजावट, पौधों की गुणवत्ता, रचनात्मकता, और बागवानी कौशल के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिए जाते हैं। ‘‘किंग ऑफ द शो’’, ‘‘क्वीन ऑफ द शो’’, ‘‘प्रिंस/प्रिंसेस ऑफ द शो’’, ‘‘बेस्ट फ्लावर ऑफ द शो’’, और ‘‘न्यू कल्टीवर ऑफ द शो’’ जैसी उपाधियाँ प्रतिभागियों को दी जाती हैं।
मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि गुलदाउदी शो और रोज़ फेस्टिवल जैसे पुष्प आयोजनों ने चंडीगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे न केवल शहर की पहचान सुदृढ़ हुई है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिला है।
देवियो और सज्जनो,
फूल प्राकृतिक संसार का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग हैं। विश्व के अनेक धर्मों और संस्कृतियों में विभिन्न प्रकार के फूलों का उपयोग ईश्वर और देवी-देवताओं की उपासना में किया जाता है। भारतीय संस्कृति और परंपरा में तो फूलों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, चाहे वह विवाह संस्कार हो, पूजा-अर्चना हो या औषधीय एवं आयुर्वेदिक प्रयोग, फूल हमारे जीवन के हर महत्वपूर्ण क्षण से जुड़े हुए हैं।
इसके साथ ही, फूल केवल सौंदर्य और आस्था का ही प्रतीक नहीं हैं, बल्कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन भी हैं। फूलों की खेती के माध्यम से अनेक किसान और परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं। पुष्प उत्पादन और उससे जुड़ा व्यवसाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है और रोजगार के नए अवसर सृजित करता है।
इस प्रकार, फूल हमारे जीवन में सौंदर्य, श्रद्धा, संस्कृति और समृद्धि, चारों का समन्वय प्रस्तुत करते हैं, और ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम इन मूल्यों को और अधिक सुदृढ़ करते हैं।
महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी अमर कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ में फूल के माध्यम से त्याग, समर्पण और राष्ट्रभक्ति की भावना को अत्यंत मार्मिक रूप में अभिव्यक्त किया है। वे लिखते हैं:
“मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक।
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक।”
इन पंक्तियों में पुष्प केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं रह जाता, बल्कि वह बलिदान, कर्तव्य और राष्ट्र के प्रति समर्पण का सशक्त प्रतीक बन जाता है। यह कविता हमें यह सिखाती है कि सच्ची सार्थकता तब है, जब जीवन किसी बड़े उद्देश्य और समाज के हित में समर्पित हो।
वहीं दूसरी ओर, आज के आधुनिक समय में रोज़ डे, वैलेंटाइन डे जैसे उत्सवों में भी फूल मानवीय भावनाओं को अत्यंत सुंदर और सहज रूप से व्यक्त करते हैं। प्रेम हो, स्नेह हो, सम्मान हो या संवेदना, फूल बिना शब्दों के भी मन की बात कह देते हैं। यही फूल कभी देशभक्ति का संदेश देते हैं, तो कभी प्रेम, करुणा और आपसी जुड़ाव का।
इस प्रकार, चाहे वह साहित्य और राष्ट्रभावना की ऊँचाइयों में हो या आधुनिक जीवन के भावनात्मक उत्सवों में, फूल मानव जीवन की संवेदनाओं के मौन दूत बने हुए हैं। वे हमें यह स्मरण कराते हैं कि भावनाओं की अभिव्यक्ति में कोमलता, सौंदर्य और संवेदनशीलता कितनी आवश्यक है। यही कारण है कि फूल हमारी संस्कृति, परंपरा और आधुनिक जीवन में समान रूप से प्रासंगिक और प्रिय बने हुए हैं।
आज यहाँ सजे गुलदाउदी के रंग-बिरंगे और मनमोहक फूल हमें एक सरल, किंतु अत्यंत गहन संदेश देते हैं। फूल खुशियाँ बाँटते हैं और हरियाली जीवन को सुंदर बनाती है। फूल बिना शब्दों के भी मुस्कान दे जाते हैं, मन को शांति प्रदान करते हैं और तनाव से भरे जीवन में एक क्षणिक विश्राम का अनुभव कराते हैं। प्रकृति से जुड़ाव, सौंदर्य का आनंद और जीवन में सकारात्मकता का संचार यही इस वर्ष के गुलदाउदी शो की आत्मा और भावना है।
इस गुलदाउदी शो ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। इस शो के माध्यम से न केवल बागवानी की उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह चंडीगढ़ को ‘गार्डन सिटी’ के रूप में भी स्थापित करता है।
साथियो,
इस प्रकार के पुष्प उत्सव हमें प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के साथ-साथ उसके महत्त्व और नाजुक संतुलन को समझने का अवसर भी प्रदान करते हैं। ये आयोजन हमें यह सिखाते हैं कि प्राकृतिक संसाधन असीम नहीं हैं और इन्हें संरक्षित, संवर्धित और सम्मानित करना हम सभी का सामूहिक दायित्व है। जब हम फूलों, वृक्षों और हरियाली को सहेजते हैं, तो वास्तव में हम अपने भविष्य को सुरक्षित करते हैं।
महात्मा गांधी ने अपने विचारों में बहुत सारगर्भित शब्दों में कहा था, “प्रकृति के पास हर मनुष्य की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन है, लेकिन हर मनुष्य के लोभ को पूरा करने के लिए नहीं।”
यह कथन आज के उपभोक्तावादी युग में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है। यदि हम अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं के बीच संतुलन नहीं बनाएँगे, तो प्रकृति पर पड़ने वाला दबाव आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है।
पृथ्वी हमें वह स्वच्छ हवा देती है जिसमें हम साँस लेते हैं, वह निर्मल जल प्रदान करती है जो हमारे जीवन का आधार है, वह सूर्य का प्रकाश देती है जिससे ऊर्जा और जीवन का संचार होता है, और वह वृक्ष देती है जो हमें छाया, फल, औषधि और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। ये सभी मानव जाति के लिए प्रकृति के अमूल्य आशीर्वाद हैं, जिनके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है।
यह अत्यंत आवश्यक है कि हम इन आशीर्वादों को केवल उपभोग की दृष्टि से न देखें, बल्कि उनकी महत्ता को समझें और कृतज्ञता के भाव से उनका संरक्षण करें। हमें ऐसे ठोस कदम उठाने होंगे, जिससे ये संसाधन हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी उसी रूप में उपलब्ध रह सकें, जिस रूप में हमें प्राप्त हुए हैं।
मैं आप सभी से आह्वान करता हूँ कि हम अपने उपभोग की आदतों पर पुनर्विचार करें, अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखें, रीसाइक्लिंग को अपनाएँ, और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लें। छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास जब सामूहिक रूप लेते हैं, तो वे बड़े और स्थायी परिवर्तन का आधार बनते हैं। यदि हम आज प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो कल प्रकृति स्वयं हमारी रक्षा करेगी, और यही सच्चे अर्थों में विकास का मार्ग है।
मैं आप सभी से आग्रह करना चाहूँगा कि प्रकृति संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ। कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएँ, उसकी नियमित देखभाल करें, और यह समझें कि यही छोटे-छोटे प्रयास भविष्य में बड़ी खुशियाँ और स्वस्थ पर्यावरण लेकर आते हैं।
आज लगाया गया एक पौधा आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य की नींव होता है। वही पौधा कल एक विशाल वृक्ष बनकर स्वच्छ और प्राणवायु देने वाली हवा का स्रोत बनेगा, तपती धूप में शीतल छाया प्रदान करेगा और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह वृक्ष न केवल मानव जीवन, बल्कि पक्षियों, पशुओं और सम्पूर्ण जैव-विविधता के लिए आश्रय और जीवन का आधार बनेगा।
एक पौधा लगाना दरअसल प्रकृति के साथ किया गया एक दीर्घकालीन वचन है कि हम पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, सुंदर और रहने योग्य बनाए रखना चाहते हैं। जब हमारे बच्चे और उनके बच्चे उस वृक्ष के नीचे बैठकर सुकून के क्षण बिताएँगे, तब उन्हें यह अनुभूति होगी कि किसी ने उनके भविष्य के बारे में भी सोचा था। इस प्रकार, आज लगाया गया एक छोटा सा पौधा कल स्वास्थ्य, सौंदर्य, शांति और सतत जीवन का अमूल्य उपहार बनकर पीढ़ियों तक अपना योगदान देता रहेगा।
देवियो और सज्जनो,
आज की तेज़ रफ्तार और भागदौड़ भरी जीवनशैली में प्रकृति से हमारा जुड़ाव कहीं न कहीं कम होता जा रहा है। ऐसे में फूलों और हरियाली का महत्व और भी बढ़ जाता है। पार्कों में समय बिताना, बाग़ों की सैर करना और फूलों की खुशबू में कुछ पल बिताना न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि हमारे शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यह वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो चुका है कि हरियाली तनाव को कम करती है, मन को प्रसन्न रखती है और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
मैं इस सुंदर आयोजन के लिए नगर निगम चंडीगढ़, बाग़वानी विभाग तथा इससे जुड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और सहयोगियों को हृदय से बधाई देता हूँ। विशेष रूप से मैं हमारे माली भाई-बहनों के प्रति अपनी सराहना व्यक्त करना चाहूँगा, जिनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रेम से आज यह मनोहारी दृश्य साकार हो पाया है। उनकी लगन और परिश्रम ही इन फूलों की मुस्कान में झलकता है।
आइए, हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि चंडीगढ़ को और अधिक हरा-भरा, स्वच्छ और खुशहाल शहर बनाएँगे। एक ऐसा शहर, जहाँ पर्यावरण संरक्षण, सौंदर्य और मानवीय संवेदनाएँ साथ-साथ आगे बढ़ें। एक ऐसा शहर, जहाँ फूलों की खुशबू और लोगों की मुस्कान हमेशा बनी रहे।
अंत में, मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ कि इस 38वें गुलदाउदी शो-2025 का भरपूर आनंद लें, फूलों की सुंदरता को मन से महसूस करें और इस सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन, परिवार और समाज में भी फैलाएँ।
आप सभी को एक बार फिर हार्दिक शुभकामनाएँ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!