SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF 19TH ANNUAL CONVOCATION OF CGC LANDRAN, AT MOHALI ON DECEMEBER 20, 2025.
- by Admin
- 2025-12-20 14:00
सी.जी.सी. लांडरां के 19वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर
माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 20.12.2025, शनिवार
समयः सुबह 11:00 बजे
स्थानः लांडरां, मोहाली
नमस्कार!
आज चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजिस, लांडरां के इस 19वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता और गौरव का अनुभव हो रहा है। किसी भी शैक्षणिक संस्थान का दीक्षांत समारोह केवल डिग्रियों के वितरण का अवसर नहीं होता, बल्कि यह उस सामूहिक यात्रा का उत्सव होता है, जिसमें विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक और संस्थान मिलकर ज्ञान, मूल्य और चरित्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
सबसे पहले, मैं आज डिग्री प्राप्त कर रहे सभी विद्यार्थियों को हृदय से बधाई देता हूँ। मुझे बताया गया है कि इस 19वें दीक्षांत समारोह में इंजीनियरिंग संकाय के 1 हजार 305 विद्यार्थी तथा नॉन-इंजीनियरिंग कार्यक्रमों के 1 हजार 420 विद्यार्थी अपनी डिग्रियाँ प्राप्त कर रहे हैं। यह उपलब्धि आपकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और निरंतर प्रयासों का प्रतिफल है। इस सफलता में आपके माता-पिता, अभिभावकों और शिक्षकों का योगदान भी उतना ही महत्वपूर्ण रहा है। वे सभी समान रूप से बधाई और सम्मान के पात्र हैं ।
मुझे ज्ञात हुआ है कि सी.जी.सी. लांडरां की स्थापना वर्ष 2001 में चेयरमैन श्री सतनाम सिंह संधू, जो राज्यसभा के सांसद भी हैं, तथा प्रेसिडेंट श्री रशपाल सिंह धालीवाल द्वारा की गई थी। दोनों ही दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता साधारण पृष्ठभूमि से आए ऐसे शिक्षाविद् हैं, जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से युवाओं के जीवन को दिशा देने का सपना देखा। इस सपने की पूर्ति केवल एक व्यक्ति या एक नेतृत्व के प्रयास से नहीं हुई, बल्कि इसमें असंख्य शुभ चिंतकों, समर्पित शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों का योगदान रहा है।
पिछले 25 वर्षों की अपनी गौरवशाली विरासत के साथ, सी.जी.सी. लांडरां आज 40 एकड़ में फैले आधुनिक कैंपस के रूप में विकसित हो चुका है, जहाँ लगभग 15 हजार विद्यार्थी इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी, बायोटेक्नोलॉजी और हॉस्पिटैलिटी जैसे विविध क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह रजत जयंती वर्ष संस्थान के लिए गर्व और आत्म मंथन, दोनों का अवसर है ।
यह गौरवपूर्ण तथ्य है कि सी.जी.सी. लांडरां को NAAC से ए-प्लस ग्रेड प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही, QS I-GAUGE Platinum Rating, नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडेशन (एन.बी.ए.) की मान्यता, नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ.) रैंकिंग, इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आई.आई.सी) तथा ए.आर.आई.आई.ए. जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर संस्थान की उपस्थिति यह प्रमाणित करती है कि सी.जी.सी. लांडरां राष्ट्रीय और वैश्विक मानकों के अनुरूप निरंतर आगे बढ़ रहा है।
आज सी.जी.सी. लांडरां एक रिसर्च-ओरिएंटेड संस्थान के रूप में भी अपनी सशक्त पहचान बना चुका है। अब तक यहाँ से 2 हजार 500 से अधिक पेटेंट्स फाइल किए जा चुके हैं तथा 5 हजार से अधिक रिसर्च पब्लिकेशन्स प्रकाशित हुई हैं। यह विशेष गर्व का विषय है कि भारत सरकार के ऑफिस ऑफ द कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिज़ाइन्स एंड ट्रेड मार्क्स द्वारा संस्थान को लगातार 7 वर्षों तक भारत के शीर्ष दस पेटेंट-फाइलिंग शैक्षणिक संस्थानों में स्थान दिया गया है।
संस्थान का अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर, अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग के सहयोग से अब तक 100 से अधिक स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेट कर चुका है और स्टार्टअप पंजाब मिशन के माध्यम से राज्य के उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बना रहा है। यह उल्लेखनीय है कि सी.जी.सी.लांडरां की एक छात्रा इनोवेटर को नीति आयोग की कम्युनिटी इनोवेटर फेलोशिप से सम्मानित किया गया, तथा पराली जलाने की समस्या के समाधान से जुड़ा उनका नवाचार नीति आयोग की वॉल ऑफ इनोवेशन पर स्थान पा चुका है।
सी.जी.सी. लांडरां ने अपने आसपास के करीब 15 गाँवों को गोद लेकर, संस्थागत सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं जागरूकता शिविर, सामाजिक कल्याण अभियान, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स और ग्रास रूट्स एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने जैसे अनेक प्रयास किए हैं। संस्थान द्वारा सोलर पावर सेंटर्स, चार्जिंग स्टेशन्स, किसानों को ड्रोन तकनीक द्वारा उर्वरक प्रयोग, सस्टेनेबल फार्मिंग, तथा स्थानीय स्कूलों में डिजिटल अवेयरनेस ड्राइव्स जैसे कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।
इस वर्ष आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान, सी.जी.सी. लांडरां का संपूर्ण परिवार सेवा, समर्पण और ‘चढ़दी कला’ की भावना के साथ राहत कार्यों में सक्रिय रहा। यह सेवा-भाव ही इस संस्थान की वास्तविक विरासत है, जो विद्यार्थियों को केवल अकादमिक या पेशेवर रूप से ही नहीं, बल्कि मानवीय रूप से भी समृद्ध बनाती है।
संस्थान के अनेक एन.सी.सी. कैडेट्स आज भारतीय सशस्त्र बलों एवं अन्य सुरक्षा सेवाओं में देश की सेवा कर रहे हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि सी.जी.सी. लांडरां विद्यार्थियों को अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण के लिए भी तैयार कर रहा है।
जानकर हर्ष हुआ कि सी.जी.सी. लांडरां एक ग्रीन और सस्टेनेबल कैंपस बनने की दिशा में भी निरंतर अग्रसर है। रेन-वाटर हार्वेस्टिंग, सोलर-पावर्ड बिल्डिंग्स तथा विस्तृत हरित और खुले स्थान पर्यावरण संरक्षण के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इसके साथ-साथ, ‘परिवर्तन’ जैसे फ्लैगशिप कल्चरल इवेंट्स और ‘स्मार्ट इंडिया हैकथॉन’ जैसे नेशनल-लेवल आयोजनों के माध्यम से यहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि युवा पीढ़ी आधुनिकता के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जुड़ी रहे।
देवियों, सज्जनों और प्रिय विद्यार्थियों,
भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारत की उच्च शिक्षा को एक समग्र, लचीली और कौशल आधारित दिशा प्रदान की है, जहाँ बहुविषयक शिक्षा, नवाचार, शोध और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दिया गया है। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल टेक्नोलॉजीज जैसे क्षेत्रों में हो रहे तीव्र परिवर्तन उच्च शिक्षा की प्रकृति को भी पुनः परिभाषित कर रहे हैं।
भारत सरकार डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्वयंम, पीएम ई-विद्या, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी, अटल इनोवेशन मिशन और रिसर्च व इनोवेशन को प्रोत्साहित करने वाली अनेक पहलों के माध्यम से युवाओं को भविष्य के लिए तैयार कर रही है। इन प्रयासों का उद्देश्य ऐसी शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करना है, जो न केवल रोजगारोन्मुख हो, बल्कि नवाचार, आत्म निर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम मानव संसाधन तैयार करे ।
सी.जी.सी. लांडरां निरंतर यह प्रयास कर रहा है कि उसकी शैक्षणिक संरचना, पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियाँ इस राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप विकसित हों, जहाँ कौशल, नवाचार और समग्र व्यक्तित्व विकास को केंद्र में रखा गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप किए जा रहे इन सतत प्रयासों के लिए सी.जी.सी. लांडरां बधाई का पात्र है।
मेरे प्रिय युवा साथियो,
भारत में शिक्षा की एक गौरवपूर्ण गुरुकुल परंपरा रही है। इस परंपरा ने विद्यार्थियों को केवल ज्ञान ही नहीं दिया, बल्कि उन्हें जीवन के हर आयाम के लिए तैयार किया। इस शिक्षण प्रक्रिया में श्रवण, मनन और निदिध्यासन के तीन महत्वपूर्ण चरण थे। ‘श्रवण’ का अर्थ है, इंद्रियों के माध्यम से ज्ञान को ग्रहण करना। ‘मनन’ का अर्थ है, सुने हुए ज्ञान को मन में विचारकर, उसे गहराई से समझना। और ‘निदिध्यासन’ का अर्थ है, सीखे हुए ज्ञान को जीवन में उतारना, अर्थात् उसे व्यवहार में लागू करना।
विद्यार्थी जब दीक्षांत के चरण में पहुँचते थे, तब आचार्य या गुरु उनसे कहते थे, “सत्यं वद, धर्मं चर, स्वाध्यायान्मा प्रमदः”, अर्थात् ज्ञान प्राप्त करने के बाद जीवन में सत्य का पालन करना, धर्म के मार्ग पर चलना और अध्ययन में कभी आलस्य न करना।
गुरुवाणी में यह भी कहा गया है, “सत्य सबसे ऊपर है, और यदि उससे भी ऊपर कुछ है तो वह है, सत्य का आचरण।”
भारतीय शिक्षा का मूल उद्देश्य सदैव से चरित्र निर्माण और विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास रहा है। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और पंडित मदन मोहन मालवीय जैसे महापुरुषों ने भी अपने लेखन में इस आदर्श को विशेष महत्व दिया है।
आज देश और विश्व के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है चरित्र संकट (Crisis of Character)। यह चरित्र-हीनता ही अनेक समस्याओं की जड़ है। अतः समय की आवश्यकता है कि हम अपनी शिक्षा प्रणाली के इस चरित्र निर्माण के मूल उद्देश्य की ओर पुनः लौटें। यह प्रसन्नता की बात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने इस मूल शिक्षा-दर्शन को पूर्ण सम्मान दिया है और इसे शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न भाग बनाया है।
प्रिय विद्यार्थियो,
आज से आप केवल सी.जी.सी. लांडरां के विद्यार्थी नहीं, बल्कि इसके संस्कारों, मूल्यों और परंपरा के संवाहक हैं। आपने यहाँ जो शिक्षा, अनुशासन और दृष्टि अर्जित की है, वही आगे चलकर आपके जीवन और आपके निर्णयों का आधार बनेगी ।
हमारी भारतीय परंपरा में कहा गया है, “सा विद्या या विमुक्तये”, अर्थात् वही विद्या सार्थक है, जो मनुष्य को अज्ञान, संकीर्णता और भय से मुक्त करे। शिक्षा का उद्देश्य केवल रोज़गार प्राप्त करना नहीं, बल्कि सोच को व्यापक बनाना, चरित्र को सुदृढ़ करना और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराना है।
यह संदेश और भी अधिक अर्थपूर्ण हो जाता है क्योंकि हम पंजाब की उस पावन धरती पर हैं, जिसने गुरु-परंपरा के माध्यम से मानवता को यह सिखाया कि सच्चा ज्ञान वही है, जो सेवा, साहस और सत्य से जुड़ा हो। ‘सिख’ शब्द स्वयं यह स्मरण कराता है कि मनुष्य को विनम्रता के साथ, खुले मन से और सत्य की खोज में जीवन भर सीखते रहना चाहिए। यही दृष्टि व्यक्तिगत सफलता के साथ-साथ नैतिक शक्ति भी प्रदान करेगी।
आज का युग तीव्र परिवर्तन और नवाचार का युग है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रतिदिन नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं, और ऐसे समय में समय के साथ कदम मिलाकर चलना केवल विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुका है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, रोबोटिक्स, साइबर सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र भविष्य की दिशा तय कर रहे हैं। युवाओं को चाहिए कि वे निरंतर सीखने की प्रवृत्ति अपनाएँ, नई तकनीकों के प्रति जिज्ञासु रहें और स्वयं को बदलते समय के अनुरूप ढालें। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “जो समय की चाल को नहीं समझता, वह पीछे रह जाता है।”
मेरा मानना है कि भविष्य उन्हीं का होगा जो आज स्वयं को उसके लिए तैयार करेंगे। केवल डिग्री पर्याप्त नहीं है; कौशल, नवाचार और समस्या-समाधान की क्षमता ही आपको आगे बढ़ाएगी। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों में कहूं तो, “उत्कृष्टता एक सतत प्रक्रिया है, कोई एक घटना नहीं।” इसलिए तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ। तकनीक तब ही सार्थक है, जब वह मानवता के कल्याण का साधन बने।
यदि आप समय के साथ चलते हुए भविष्य की तकनीकों में दक्ष बनते हैं, तो न केवल अपना भविष्य सुरक्षित करेंगे, बल्कि देश को आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्व की ओर भी ले जाएँगे। आत्मविश्वास, निरंतर परिश्रम और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़िए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप आने वाले समय के नवप्रवर्तक, नेतृत्वकर्ता और राष्ट्र-निर्माता बनेंगे।
हम सभी का साझा लक्ष्य है एक समावेशी और आत्मनिर्भर भारत यानी विकसित भारत 2047। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में आप जैसे युवा सबसे अहम होंगे। तकनीकी दक्षता, वैज्ञानिक सोच, नैतिक नेतृत्व, और सामाजिक संवेदनशीलता, यही चार स्तम्भ हैं जिनपर एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव है। आप सभी से मेरा आग्रह है कि अपने ज्ञान को स्थानीय समस्याओं के समाधान में लागू करें। छोटे कदम भी यदि जन-हित में हों तो बड़े परिवर्तन का कारण बनते हैं।
मैं विशेष रूप से छात्रों से कहना चाहूँगा कि सिर्फ करियर की ऊँचाइयों पर ही न चढ़ें, बल्कि अपनी जिम्मेदारी का भी बोध रखें। समाज सेवा, नैतिकता और जनहित का मार्ग आपके व्यावसायिक जीवन को स्थायी और समृद्ध बनाएगा। महात्मा गांधी जी का कथन मुझे बार-बार याद आता है, “बदलाव वह है जो आप स्वयं देखना चाहते हैं।” इसलिए, परिवर्तन के लिए आप स्वयं पहल करें।
याद रखिए, सच्चा नेतृत्व केवल उपलब्धियों से नहीं, बल्कि चरित्र, करुणा और दृढ़ संकल्प से निर्मित होता है। जीवन में चुनौतियाँ आएँगी, असफलताएँ भी मिलेंगी, लेकिन आप यह हमेशा स्मरण रखिएगा कि मानवीय भावना अदम्य होती है। अपने भीतर विश्वास रखिए, कभी हार मत मानिए और निरंतर आगे बढ़ते रहिए। आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी अपने ज्ञान, मूल्यों और संकल्प के बल पर न केवल सी.जी.सी. लांडरां और अपने परिवारों को गौरवान्वित करेंगे, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के वाहक भी बनेंगे।
अंत में, मैं सी.जी.सी. लांडरां के प्रबंधन, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को उनके समर्पण और परिश्रम के लिए बधाई देता हूँ तथा डिग्री प्राप्त करने वाले सभी ग्रेजुएट्स को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।
धन्यवाद,
जय हिंद!