SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF NORTH-ZONAL COOPERATIVE CONFERENCE AT NIPPER, SAS NAGAR MOHALI ON 29.08.2022
- by Admin
- 2022-08-29 18:50
· उत्तर क्षेत्रीय राज्यों के लिए सहकारी विकास पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा आयोजित इस क्षेत्रीय सम्मेलन के अवसर पर मैं यहाँ पर उपस्थित सभी महानुभावों का हार्दिक स्वागत करता हूं।
· इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद ज्ञपित करता हूं।
मित्रों,
- सहकारिता शुरूआत से ही भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व रही है और भारत ने पूरी दुनिया को सहकारिता का विचार दिया है।
· औपचारिक सहकारी ढांचे के अस्तित्व में आने से पहले भी भारत में आपसी सहयोग और सहकारी गतिविधियों की प्रथा प्रचलित थी।
· ग्रामीण समुदायों ने सामूहिक रूप से गाँव के तालाबों या गाँव के जंगलों जैसी संयुक्त संपत्तियों का निर्माण किया, बीजों को जमा किया और अपनी सामूहिक फसल को एक-दूसरे से साझा किया।
· 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, सहकारी विकास को उचित मान्यता मिली और भारत के योजना आयोग द्वारा विशेष रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के परिवर्तन के लिए बनाई गई पंचवर्षीय योजनाओं में सहकारी समितियों को एक विशेष भूमिका प्रदान की गई।
· परन्तु भारत के स्वतंत्र होने से पहले ही हमारे देश के महान मार्ग दर्शकों ने सहकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता को महसूस किया था।
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कहा था कि सहकारिता आंदोलन भारत के लिए एक आशीर्वाद साबित होगा।
· भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थापित चरखा केंद्र उस समय विश्व में सबसे बड़ी सहकारी समिति थी।
- आज़ादी के 75 वें वर्ष में केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन करके प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के सहकारिता आंदोलन में प्राण फूंकने का काम किया है।
· केन्द्र सरकार द्वारा नए सहकारिता मंत्रालय के गठन के पश्चात से सहकारी समितियों को उचित मान्यता मिल रही है।
· सहकारिता मंत्रालय सहकारी समितियों को सम्पन्न, समृद्ध और प्रासंगिक बनाने हेतु हर संभव सुधार करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
· मंत्रालय द्वारा ‘‘सहकार से समृद्धि ’’के नारे पर आधारित कई कदम उठाए गए हैं, जैसेः-
§ सरकार द्वारा बजट में सहकारिताओं हेतु 900 करोड़ रूपए की वृद्धि।
§ 63,000 पैक्स के डिजिटलीकरण हेतु 2,516 करोड़ रूपए का बजट आवंटन।
§ सहकारीसमितियोंकेसर्वांगीणविकासकेलिएऔर‘‘ सहकारिता के माध्यम से समृद्धि’’जैसी नई योजनाएं।
§ बजटीय आवंटन में सहकारी शिक्षण एवं प्रशिक्षण में वृद्धि सहकारी समितियों के लिए MAT जैसे कर की दरें कम करना और उन्हें कॉरपोरेट्स के समान स्तर पर रखना।
· उठाए गए ऐसे कुछ कदम देश में सहकारी आंदोलन को और अधिक मजबूती प्रदान करेंगे।
· इस वर्ष अप्रैल माह में सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय सहकारी नीति को अंतिम रूप देने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
· इसमें विभिन्न राज्यों के सहकारी संगठनों के उच्च अधिकारियों को उनके सुझाव के लिए आमंत्रित किया गया था।
- मैं आशा करता हूँ कि नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति की शीघ्र घोषणा न केवल सहकारी समितियों को लोकतांत्रिक और स्वायत्त बनाएगी , बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि राज्यों में सहकारिता आंदोलन और मजबूत हो।
· वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों और अंचलों में सहकारिता आंदोलन का असंतुलित विकास हो रहा है।
मित्रों,
- देश में सहकारिता आन्दोलन के संतुलित विकास के लिए कदम उठाने होंगे ताकि सभी राज्यों में सहकारिता आंदोलन का समान विकास संभव हो।
· हाल ही में देश में सहकारी आंदोलन के विकास को नई दिशा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा सहकारी समितियों को जैम (GEM)पोर्टल पर खरीदारों के रूप में पंजीकृत करने का निर्णय लिया गया है।
· मुझे ज्ञात है कि एनसीयूआई को सभी सहकारी समितियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है ताकि वे जैम पोर्टल पर पंजीकरण करा सकें।
- यह कदम निश्चित रूप से सहकारी समितियों के कामकाज को
o पारदर्शी बनाएगा,
o उन्हें संसाधनों की बचत और
o प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।
· उत्तर क्षेत्र राज्यों की सहकारी समितियों को इस सुअवसर का फायदा उठाते हुए अपने आपको जैम पोर्टल पर एनसीयूआई के सहयोग से पंजीकृत कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहिए।
· हाल में उत्तर क्षेत्र के राज्यों में सहकारिता आंदोलन ने सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है।
- पंजाब राज्य में सहकारी समितियों ने राज्य में आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और विकास की गति को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
· पंजाब में सहकारिताओं ने गांवों के हर दरवाजे पर सेवाओं और संसाधनों को लाया हैं और कृषि, आवास, चीनी, डेयरी, क्रेडिट इत्यादि जैसे क्षेत्रों में सहकारिताएँ राज्य के लोगों को सेवा प्रदान कर रही हैं।
- मिल्कफेड और पंजाब राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ जैसी सहकारी समितियों नेडेयरी के क्षेत्र में प्रभावशाली कार्य किया है।
- देश के कुल दूध उत्पादन का 6.7 प्रतिशत उत्पादन , अकेला पंजाब राज्य करता है ; देश में प्रति व्यक्ति 1,181 ग्राम दूध प्रतिदिन की उपलब्धता के साथ यह सबसे अधिक है।
· पंजाब में 3.5 लाख से अधिक डेयरी किसान मिल्कफेड से जुड़े हैं।
- हरियाणा राज्य में भी लगभग 75 प्रतिशत लोग सहकारी समितियों से जुड़े हैं।
· हरियाणा में दुग्ध सहकारिताएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं।
- हिमाचल प्रदेश में भी सहकारिता आंदोलन ने काफी प्रगति की है।
· किसानों को एक छत के नीचे विविध सेवाएं प्रदान करने के लिए नाबार्ड के सहयोग से कई प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को बहुउद्देश्यीय सेवा केंद्रों के रूप में परिवर्तित किया गया है। हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2020 ने राज्य में सहकारिता आंदोलन के कामकाज में पारदर्शिता प्रदान की हैं और इस और अधिक लोकतांत्रिक बनाया है।
- जम्मू और कश्मीर में निष्क्रिय डीसीसीबी को पुनर्जीवित करने के लिए और अन्य सहकारी बैंकों के लिए करोड़ों रुपये का कायाकल्प पैकेज, सहकारी आंदोलन को और अधिक मजबूत करने की दिशा में उठाया गया सही कदम है।
- देश की राजधानी दिल्ली में सहकारी आंदोलन के विकास की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन सहकारी बैंक, थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट सोसाइटी और हाउसिंग सोसाइटी जैसी कुछ समितियां इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। अन्य क्षेत्रों में भी समितियों को और अधिक सक्रिय होना अपेक्षित है।
मित्रों,
· केंद्र सरकार प्राथमिक सहकारी समितियों को प्राथमिकता दे रही है, और उनके डिजिटलीकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
- उत्तर क्षेत्र के राज्यों में स्थित पैक्स को और अधिक मजबूती प्रदान करने का यह सुअवसर है।
· हमें आवश्यक कदम उठाने होंगे ताकि पैक्स को बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों में परिवर्तित किया जा सके और उनकी आय में सृजन हो।
· राज्यों में सहकारी समितियों को अपने उत्पादों के निर्यात करने जैसे नए क्षेत्रों में कार्य करना चाहिए और सरकार ने भी एक निर्यात एजेंसी की स्थापना की घोषणा की है, यह एजेंसी राज्यों में सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी।
· उत्तर क्षेत्र के राज्यों में सहकारी समितियों में बड़ी सहकारी समितियां और छोटी सहकारी समितियां जमीनी स्तर पर अच्छा कार्य कर रही हैं,उनकी सफलता की कहानियों को सामने लाने की भी आवश्यकता है।
· इस क्षेत्र में युवाओं के बीच सहकारी मॉडल को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है क्योंकि युवाओं में सहकारिता के बारे में जागरूकता नगण्य है।
· उद्यमिता विकास पर ध्यान रखते हुए सहकारी समितियों को युवा जागरूकता के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नियमित अंतराल पर शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिएं।
· सहकारी समितियों को अधिक से अधिक संख्या में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। सहकारिता के माध्यम से महिलाओं को सशक्त करने के लिए और भी अधिक प्रयासों की ज़रूरत है।
· हमारे देश के प्रमुख संतों में से एक, संत तुकारामजी ने मराठी में कहा है-
- एकमेका साह्य करू अवघे धरू सुपंथ
· जिसका मतलब है,
- एक दूसरे का सहयोग करके हम सही मार्ग पर पहुंच सकते हैं।
· सहकारिता आंदोलन का भी यही गंतव्य होना चाहिए।
· मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस सम्मेलन में उत्तरी क्षेत्र में सहकारी विकास के सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा होगी और उत्तर क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन को मजबूती प्रदान करने हेतु सार्थक सुझाव सामने आएंगे।
· मैं इस उत्तर-क्षेत्रीय सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं।
जय हिन्द।