SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR UNION TERRITORY OF CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF PRIZE DISTRIBUTIONS TO BSF JAWANS AT BSF CAMPUS KHARKAN ON 07TH SEPTEMBER, 2022
- by Admin
- 2022-09-07 19:05
जल संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो।
श्री गुरू नानक देव जी ने कहा था कि, ’’पवन गुरु, पाणी पिता, माता धरत महत ’’।
इसी विषय को ध्यान में रखें तो सारी कुदरत इसी में समाहित है।
पिता जो कि परिवार का पालक होता है ठीक उसी प्रकार पानी/जल को पिता की संज्ञा दी गई है।
शरीर का 70 प्रतिशत भाग पानी से ही संचालित है।
पानी आधारभूत आवश्यकता है।
परन्तु मानव अपने स्वास्थ्य, सुविधा, दिखावा व विलासिता को दिखाने के लिये अमूल्य जल की बर्बादी करने से नहीं चूकता है।
यह कहना बिल्कुल उचित है कि ‘जल ही जीवन है ’। प्रकृति ने जल संसाधनों का वरदान दिया है। इसने हमें विशाल नदियां दी हैं, जिनके तट पर महान सभ्यताएं विकसित हुई हैं।
भारतीय संस्कृति में नदियों का विशेष महत्व है और उन्हें माता के रूप में पूजा जाता है। तालाबों और कुओं के निर्माण को एक पुण्य कार्य माना जाता था, लेकिन दुर्भाग्य से आधुनिकता और औद्योगिक अर्थव्यवस्था के आमगन के साथ ही हमने प्रकृति से वह जुड़ाव खो दिया है।
कैसी विडम्बना है कि हम खुद को उसी प्रकृति से अलग महसूस करते हैं , जिसने हमें बनाए रखा है।
हम पानी का इस्तेमाल करते हुए पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं।
परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। शहर को पूरे साल जल देने वाले तालाब और झील जैसे जल स्रोत शहरीकरण के दबाव में लुप्त हो गए हैं।
अन्तरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान के अनुसार भारत में वर्ष 2050 तक अधिकांश नदियों में जलाभाव की स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावना है।
बन्धुओं,
आज के समय में जल का उचित सेवन व उसके रक्षण की अति आवश्यकता है।
जल संकट एक अंतर्राष्ट्रीय संकट बन गया है और यह भयानक रूप ले सकता है। कुछ रक्षा विशेषज्ञों ने तो यहां तक कह दिया है कि भविष्य में यह अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
यदि पानी का संचयन न किया गया तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा , तृतीय विश्व युद्ध संभव हो जाएगा, सृष्टि का ही अंत हो जाएगा।
हम लोगों को मानवता को ऐसी स्थितियों से बचाने के लिए सतर्क रहना होगा।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का समाना करना और अपनी पृथ्वी की रक्षा करना हम सभी के सामने एक प्रमुख चुनौती है।
जल संरक्षण, जल को प्रदूषित होने से बचाना और उसके विवेकपूर्ण उपयोग - जिसमें जल के उपयोग को यथासंभव कम करना तथा उद्योग, निर्माण और कृषि जैसे क्षेत्रजहां पुनः चक्रित जल का उपयोग संभव हो, उसके उपयोग को प्राथमिकता और बढ़ावा देकर हम जल संरक्षण कर सकते हैं।
प्रति व्यक्ति पेयजल की उपलब्धता घट रही है, जबकि मांग बढ़ रही है। भूमिगत जल के स्तर में बहुत तेजी से गिरावट हो रही है, जिससे खेती सहित सामान्य जीवन-यापन भी मुश्किल हो रहा है। जलस्रोत से उपभोक्ता तक पहुँचते पहुँचते जल का एक बड़ा हिस्सा गटर और नालियों में बह जाता है।
जीवन के लिए अमूल्य इस जल की सुरक्षा हमारे द्वारा इसे प्रदूषित होने से बचाने और इसके विवेकपूर्ण आवश्यकतानुसार उपयोग पर ही पूरी तरह से निर्भर है। हमारे द्वारा उठाया गया यह कदम इस‘‘अमूल्य जीवननिधि’’ जल की उपलब्धता को हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुनिश्चित करेगी।
वो अंग्रेजी में एक कहावत है न - बींतपजल इमहपदे ंज ीवउम - तो मेरा आप से अनुरोध है कि इस नेक कार्य की शुरुआत भी आप पहले अपने घर से ही करिए।
घर में नल और अन्य टंकियों से पानी के रिसाव और टपकने को यथासंभव रोकें।
पेड़ पौधे की सिंचाई सायंकाल में करें , जिससे सिंचाई में प्रयुक्त जल वाष्पित होकर बेकार न हो, बल्कि पौधे उसका समुचित उपयोग करें।
खेतों में फसलों की सिंचाई में , यदि संभव हो, फव्वारों वाली ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। यह एक अधिक प्रभावी तकनीक है।
घरों में उपयोग कर रहे पानी की टंकियों के लिए वॉटर ओवर फ़्लो अलार्म का उपयोग करें।
वृक्षारोपण करें - चूंकि वृक्ष प्रकृति के सबसे बड़े मित्र होते हैं । जहां एक तरफ इससे जलसंरक्षण को बल मिलेगा वहीं मृदा-अपरदन भी कम होगा ।
रेनवाटर हार्वेस्टिंग को प्राथमिकता दें तथा जहां भी संभव हो अपने कैंप, अपने घरों, अपने दोस्तों के घरों में इसकी व्यवस्था जरूर करें।
घर के बाहर जब कभी भी कहीं किसी जलस्त्रोत का नल या कोई टंकी टपकती हुई मिले तो तुरंत इसकी सूचना वॉटर सप्लाई डिपार्टमेंट के लोगों को दीजिये ।
व्यक्तिगत स्तर पर उठाए गए कदमों के अलावा कुछ ऐसे भी कदम हैं जिनको एक समाज के रूप में यदि अपनाया जाए तो इससे जल संरक्षण के प्रयासों को और अधिक बल मिलेगा।
पानी चूंकि उद्योग धंधों के लिए भी बहुत आवश्यक है और भारी मात्रा में पानी की उपलब्धता उद्योगों के लिए जरूरी है लेकिन उद्योगों में आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देकर पानी की खपत को कम किया जा सकता है। यह जल संरक्षण के दिशा में बहुत ही प्रभावी कदम होगा।
पानी बचाने के लिए रिड्यूस, रीसायकल और रियूज की ट्रिपल-आर रणनीति लागू की जा रही है। मैं समझता हूं कि इस रणनीतिक सिद्धांत को भारत की जल प्रबंधन नीति का आधार बने रहना चाहिए।
जल संरक्षण के गंभीर्य विषय को ध्यान में रखकर समय-समय पर जो कदम उठाए जाते हैं, वे सराहनीय हैं।
मित्रों,
जहाँ जल का व्यर्थ बहना चिंता का विषय है, वहीं उसका संचयन करना व सोचना और सोचकर प्रयास करना हर्ष का विषय है।
मुझे विदित हुआ कि श्री प्रकाश राय खन्ना श्रीमती कौशल्या राय खन्ना ट्रस्ट गढ़शंकर, गत 6 वर्षों से उग्र रूप से कार्यरत है। जल रक्षण हेतुयुवा पीढ़ी को जागृत करना, उन्हें प्रेरित करना इस ट्रस्ट का विशेष उद्देश्य है।
हर्ष हुआ यह जानकर कि यह ट्रस्ट मौखिक रूप से नहीं बल्कि लिखित माध्यम से बच्चों को प्रेरणा दे रहा है। उनकी निबन्ध लेखन व विचार लेखन प्रतियोगिताएं करवाई जा रही हैं।
खन्ना ट्रस्ट प्रमाण पत्र व नकद राशि देकर बच्चों का उत्साह बढ़ा रहा है।
यह भी खुशी का विषय है कि परिवार के परिवार इस मुहिम से जुड़े हैं।
आप सब बी.एस.एफ. सुरक्षाकर्मी दुनिया की सबसे बड़ी और श्रेष्ठ सीमा सुरक्षा बल के सदस्य हैं। इस क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य बहुत गतिशील है और हमारे विरोधियों और सीमापार अपराधियों द्वारा दिन-प्रतिदिन दी जा रही नईचुनौतियों का सामना हमारे बलों द्वारा किया जाता है। इन चुनौतियों के बावजूद बहादुर प्रहरीदिन-रात सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और हमारे देश और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले तस्करों और घुसपैठियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं। इतनी बड़ी जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए आप अपने परिवारों के साथ खन्ना ट्रस्ट द्वारा जल रक्षण के लिए चलाई जा रही गतिविधियों में जुड़े हैं जोकि सराहनीय है। इसके लिए मैं आपको और आपके कमान्डंट को दिल से बधाई देता हूं।
मैं इस भव्य कदम हेतु श्री अविनाश राय खन्ना जी का भी हार्दिक अभिनंदन करते हुए उन्हें अपना सहयोग देने का वादा करता हूँ कि वे समाज के इस गंभीर मुद्दे को विचारणीय बनाकर युवा पीढ़ी के समक्ष लाए।
अंत में इतना ही कहूंगा किः
जल संरक्षण कीजिए , जल जीवन का सार।
जल न रहे यदि जगत में , जीवन है बेकार।।
धन्यवाद,
जय हिन्द।