SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR UNION TERRITORY OF CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF FELICITATION CEREMONY OF VETERANS AND VEER NARIS AT VAJRA MULTIPURPOSE HALL JALANDHAR CANTONMENT ON 07TH SEPTEMBER, 2022

आज जब देशभर में हमारे महान राष्ट्र की स्वतंत्रता के गौरवशाली 75 वर्षों के जश्न मनाए जा रहे हैं, तो ऐसे एतिहासिक समय में राष्ट्र के वास्तविक जीवन के नायकों को सम्मानित करना व उनका आभार प्रकट करना अनिवार्य है।

गौरवशाली 75 वर्षों का उत्सव उनके सम्मान के बिना अधूरा होगा क्योंकि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

मैं, हमारे सम्मानित पूर्व सैनिकों और इस भव्य सभा में हमारे बीच मौजूद वीर नारियों को और उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जो अब हमारे बीच नहीं हैं और जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का अनुमपन बलिदान दिया है।

मित्रों,

हमारे रक्षा बल हमारे राष्ट्र द्वारा हासिल की गई सभी उपलब्धियों में हमेशा सबसे आगे रहे हैं तथा शांति और युद्ध के दौरान अपने सभी प्रयासों में देश को गौरवान्वित किया है।

उन्होंने अपनी निस्वार्थ सेवा, राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना, निष्ठा और अखंडता से राष्ट्र के सामने आने वाली हर चुनौती को पार किया है, जिसकी देश में कोई और मिसाल नहीं है।

शौर्य व सर्वस्व बलिदान की भावना हमारे क्छ। में है। हमारे पूजनीय पौराणिक ग्रंथों श्री भगवद रामायण और महाभारत में हमारे वीर व बहादुर पूर्वजों की वीरता और बलिदान निहित हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज व महाराणा प्रताप द्वारा दिखाए गए व्यक्तिगत पराक्रम और शहीद-ए-आज़म भगत सिंह व उधम सिंह के अतुलनीय बलिदान जैसे अनेकों उदाहरण उपलब्ध हैं जो हमारे रक्षा बलों के कर्मियों में वीरता और बलिदान की चिंगारी को सुलगाए रखते हैं और सभी चुनौतियों के खिलाफ विजय की भावना को जगाए रखते हैं।

हमारे रक्षा बलों से बेहतर अन्य कोई और सर्विस नहीं है जो नागरिकों के अनुसरण के लिए ‘नेशन फर्स्ट’की विचारधारा को अपनाती है।

शेर-ए-पंजाब के तौर पर जाने जाते महाराजा रणजीत सिंह के समय से ही पंजाब ने देश की रक्षा के लिए अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए हमारे राष्ट्र के इतिहास में हमेशा एक गौरवपूर्ण स्थान हासिल किया है।

इस वीरता और बलिदान को श्रद्धेय सिख गुरुओं ने अपनी सभी शिक्षाओं और व्यक्तिगत आचरण में शामिल किया है।

यही वीरता और बलिदान पंजाब के सैनिकों की पीढ़ियों में अभी भी देखने को मिलता है जो सशस्त्र बलों में अपनी सेवा निभा रहे हैं और हमारे रक्षा बलों की वर्दी को धारण करने में बहुत गर्व महसूस करते हैं।

‘डिफेंडर्स ऑफ पंजाब’ के तौर पर प्रसिद्ध वज्र कॉर्प्स स्वतंत्रता के बाद हमारे शत्रु पड़ोसीयों के साथ हुए युद्धों में प्रदर्शित वीरता का प्रतीक रहा है।

हमारे पास हमारी समृद्ध परंपराओं, बहादुरी, वफादारी, बलिदान, अखंडता, सम्मान और समर्पण के मेल से बना एक ऐसा सूत्र है जिसने प्राचीन काल से ही रक्षा बलों के वीर सैनिकों को एक साथ बांधे रखा है और यह आज भी उतना ही मज़बूत है जितना यह पहले था।

यह हमारे सुरक्षा बलों की अनगिनत पीढ़ियों के कारण ही संभव हो पाया है जिन्होंने न्यायोचित उद्देश्य और राष्ट्र प्रथम की विचारधारा में विश्वास किया है।

आज शूरवीरों की इस वीर भूमि की वीर नारियों और पूर्व सैनिकों का सम्मान करने और इनके निस्वार्थ बलिदान के लिए राष्ट्र की ओर से आभार और कृतज्ञता व्यक्त करना मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है।

देश और देश की सरहदों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले भारत के अमर शहीदों की वीर पत्नियों को सम्मानित करना, उनके कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाना- देश और समाज का परम नैतिक कर्त्तव्य है। इन वीर नारियों के साथ सहयोग कर उनकी सुविधाओं की व्यवस्था कर हम उन पर कोई अनुग्रह नहीं करते वरन अपनी नैतिक और राष्ट्रीय जबाबदेही को ही पूरा करते हैं।

शहीदों की शहादत के बाद उनकी स्मृतियों को जगाये रखते हुए अपना जीवन बसर कर रही उनकी वीर - नारियों के कल्याण हेतु केन्द्र या राज्य सरकार, समाज या आम नागरिक जो कुछ प्रयास करते हैं, उससे राष्ट्र की गरिमा बढ़ती है तथा एक आत्मविश्वास जागता है कि हम अपने अमर शहीदों, उनकी वीरांगना पत्नियों और आश्रितों के प्रति अपने कर्त्तव्यों के प्रति सजग एवं तत्पर हैं।

केन्द्र एवं राज्य सरकार सैनिकों, अमर शहीदों तथा उनके आश्रितों के कल्याण के लिए जो विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही हैं, उनकी जानकारी सैनिकों एवं शहीद परिवारों तक पहुँचायी जानी जरूरी है तथा उनका वास्तविक लाभ उन्हें सहज सुलभ हो सके, यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।

सभी सैन्य एवं सिविल अधिकारियों का भी यह दायित्व है कि वे इस बात पर नजर रखें कि अमर शहीदों की वीरांगना विधवाओं को वृद्धावस्था में कोई कठिनाई न हो, उनकी स्वास्थ्य सुविधाओं की समुचित व्यवस्था हो तथा रोजगार / स्वरोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराते हुए वीर नारियों का आर्थिक सशक्तिकरण किया जाए ताकि उनके आश्रितों का भी समुचित विकास हो सके।

मित्रों,

मेरा मानना है कि हम सैनिकों के कल्याण के लिए जितना अधिक अपना योगदान देंगे, देश की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी। जब हम उनके सुख-दुःख के सहभागी बनेंगे, तो इससे उनको बहुत अधिक प्रसन्नता होगी।

हमारे देश के सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना दिन-रात देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। जब पूरा देश त्योहार मना रहा होता है, तो उस समय हमारे सैनिक हमारी रक्षा के लिए अपने परिवारों से दूर देश की सीमाओं पर तैनात होकर अपना फर्ज निभा रहे होते हैं।

देश के आजाद होने के बाद पैदा हुई विभिन्न स्थितियों के दौरान हमारी सेना ने हमेशा देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया और देश को सुरक्षित रखा। आज हम शांति से रह रहे हैं और अपने त्योहारों को हर्षोल्लास से मना पा रहे हैं और यह केवल हमारे जवानों के राष्ट्र के प्रति समर्पण की उनकी भावना के कारण ही संभव हो पाया है।

विभिन्न युद्धों और सीमाओं की रक्षा तथा आंतरिक सुरक्षा और शांति बहाली के क्रम में अपने प्राणों का अनुपम बलिदान देने वाले देश के अमर शहीद सैनिकों से हमें राष्ट्र के प्रति प्रेम, त्याग और अपना सर्वस्व न्यौछावर करने की प्रेरणा मिलती है।

राष्ट्र को उनकी वीरता पर गर्व है और उन लोगों के प्रति श्रद्धा है जिनके बलिदानों ने एक राष्ट्र के रूप में भारत के सपने को साकार किया है।

अंत में, मैं पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और उनके आश्रितों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूरा देश उनके बलिदान के लिए उनका ऋणी रहेगा और यह हमारी प्रतिबद्धता और कर्तव्य है कि हम अपने आदरणीय पूर्व सैनिकों का कल्याण सुनिश्चित करें।

इस उद्देश्य के लिए हमारे प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत हैं।