SPEECH OF HON'BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR UNION TERRITORY OF CHANDIGARH, SHRI BANWARILAL PUROHIT ON THE OCCASION OF CRAFT MELA AT CHANDIGARH AT 06.15 PM ON 7TH OCTOBER, 2022

यह प्रसन्नता का विषय है कि करोना महामारी की त्रासदी से निपटने के बाद शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और विभिन्न कलाओं को दर्शकों के सम्मुख जीवंत करने के लिए हम दस दिवसीय ‘12 वें चण्डीगढ़ राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले का आयोजन कर पा रहे हैं।

मैं देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुये शिल्पकारों, दस्तकारों या फिर यूं कहूं कि कौशल कुबेरों का और कलाकारों का, इस सुनियोजित शहर, चंडीगढ़ में स्वागत करता हूँ।

मेले और त्यौहार इस देश की धरोहर हैं और इनके माध्यम से हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को ना केवल प्रदर्शित करते हैं अपितु इसे सहेजने के लिये हम हमारी युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित भी करते हैं।

इस तरह के मेलों के माध्यम से कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण भी मिलता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका भी रहती है। आज के इस सोशल मीडिया के युग में जहाँ हर घटना को आभासिक / वर्चुअल रूप में देखने का चलन बढ़ गया है, कला और कलाकारों को रूबरू देखने का इस प्रकार का अवसर मिलना बहुत ही सुखद और रोमांचकारी है।

यह भी एक सुखद तथ्य है कि इस मेले का आयोजनउत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र औरचंडीगढ़ प्रशासन संयुक्त रूप से करता है और शहर की कई संस्थायें भी इसमें सहयोग करती हैं।

सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना से मेरा जुड़ाव रहा है और इनकी गतिविधियों को बहुत नजदीक से देखा भी है। सांस्कृतिक केंन्द्र देश की कलाओं विशेषकर लोक कलाओं के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र भी समय-समय पर इस तरह के उत्सवों को आयोजित कर देश की आकर्षक लोक संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह क्राफ्ट मेला देश की कई कलाओं और शिल्प को आगामी दस दिवसों में आपके सम्मुख प्रस्तुत करेगा। मुझे बताया गया है कि इस बार मेले के संयोजन में हमारी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने का विशेष ध्यान रखा गया है। आशा करता हूँ कि मेले के इस नये कलेवर को आप लोग पसंद करेंगे।

प्रिय मित्रों,

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का कहना था कि भारत का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक हम भारत के गांवों का जमीनी स्तर तक विकास नहीं कर लेते।

गांधीजी ने देश के समग्र विकास की प्रक्रिया में हमेशा ग्रामोद्योग अर्थात हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों की भूमिका की पुरजोर वकालत की

भारत में कारीगरों और शिल्पकारों की एक विस्तृत श्रृंखला है और शानदार कला की विरासत है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को रोजगार के अवसर प्रदान कर उनका आर्थिक सशक्तिकरण कर रही है, बल्कि भारत की स्वदेशी पारंपरिक विरासत का संरक्षण और प्रफुलन भी कर रही है, जो एक समय पर विलुप्त होने की कगार पर थी।

क्राफ्ट मेले में प्रदर्शित स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादों के ज़रीए वोकल फॉर लोकल अभियान को मज़बूती मिलेगी और स्वदेशी से स्वावलंबन की सोच प्रोत्साहित होगी।

मित्रों

आज इस अवसर पर मुझे आपसे यह जानकारी सांझा करते हुये हर्ष हो रहा है कि कलाग्राम में थियेटर बनाने का जो निर्णय लिया गया था और जो किन्हीं कारणोंवश आगे नहीं बढ़ पाया था उसे अब आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया है और कला के प्रोत्साहन हेतु चंडीगढ़ प्रशासन इसमें 4 करोड़ के रूप में अपना योगदान देगा और सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार का योगदान 6 करोड़ रूपये होगा होगा।

इस अवसर पर मुझे यह घोषणा करते हुये भी हर्ष हो रहा है कि प्रत्येक वर्ष दो कला साधक पुरस्कार लोक कलाओं के लिये आजीवन समर्पित कलाकारों को दिये जायेंगें । इसे लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी कह सकते हैं। प्रत्येक पुरस्कार की राशि 5 लाख रूपये होगी जो कि संभवतः देश में कलाओं के लिये, विशेषकर लोक कलाओं को दिये जाने वाले पुरस्कारों में सबसे अधिक होगी।

मैं आशा करता हूँ कि उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला एवं चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा आयोजित यह मेला एक भव्य आयोजन होगा।

दर्शक विभिन्न कलाओं के प्रदर्शन का आनंद लेने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। आपसे मेरा यह अनुरोध भी रहेगा कि आप इन शिल्पकारों के उत्पाद अवश्य खरीदें क्योंकि यहाँ आये हुये शिल्पकार और दस्तकार बहुत दूर-दूर से अपना सामान ढोकर बहुत आशाएं लेकर यहाँ आये हैं।

दीपावली का त्यौहार इस मेले के तुरंत बाद ही है और आपको खरीददारी भी करनी ही है। यदि आप इन शिल्पकारों और दस्तकारों से खरीददारी करते हैं तो आप इनके संरक्षण में भी अपना योगदान दे रहे होते हैं।

मैं उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र एवं चण्डीगढ़ प्रशासन के मेले से जुड़े हुए तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों की इस मेले को सफल बनाने के अथक प्रयासों की सरहाना करता हूँ तथा ट्राइसिटी के लोगों का आह्वान करता हूँ कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देखने के लिए चण्डीगढ़ राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में जरूर आएं।

धन्यवाद

जय हिन्द!